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सफलता का मंत्र है, तुरंत...'टाइम डाइटिंग' : खंडवा के साहित्यकार डॉ. आलोक सेठी की सोलहवीं किताब 'टाइम डाइटिंग' का विमोचन

'विषय कितना भी पुराना हो जाए, उस पर हमेशा कुछ नया, कुछ अलग लिखने- कहने की गुंजाइश होती ही है' : डॉ. आलोक सेठी

टाईम डाइटिंग का विमोचन

WD Feature Desk

, बुधवार, 25 सितम्बर 2024 (16:27 IST)
टाईम डाइटिंग का विमोचन
  • आज आप समय को बचाए, कल समय आपको बचाएगा
  • सुबह का पहला घंटा, पूरे दिन की दशा और दिशा तय कर देता है।
  • खुद का समय खराब करना माफ़ी लायक हो सकता है लेकिन किसी और का समय ख़राब करना पाप है।
  • यदि आप समय का मूल्य नहीं जानते, तो आपका जन्म शोहरत के लिए हुआ ही नहीं है।
  • दुःखी वे नहीं हैं जो व्यस्त हैं, दुःखी वे हैं जो अस्त-व्यस्त हैं।
  • हम तो बस अपने मिनटों का ध्यान रखें, घंटे हमारी परवाह खुद कर लेंगे
  • सफलता सही समय में फैसले लेने से नहीं बल्कि सही फैसलों पर समय से अमल करने से मिलती है।
- किताब 'टाइम डाइटिंग' में से कुछ चुनिन्दा पंक्तियां
 
साहित्यकार डॉ आलोक सेठी की किताब 'टाइम डाइटिंग' का विमोचन 24 सितंबर को होटल एसेंशिया में किया गया। इस अवसर पर नई दिल्ली के मुखर्जी नगर में आई.ए.एस एवं आई.पी.एस की पढ़ाई करने वाले छात्रों के जीवन पर आधारित बेस्ट सेलर बुक डार्क हॉर्स के नामचीन लेखक एवं ओजस्वी कवि श्री नीलोत्पल मृणाल ने इस मौके पर अपनी रचनाएं पढ़ी। मोटिवेशनल स्पीकर एवं शिक्षाविद श्री संदीप अत्रे एवं बुरहानपुर से आए शिक्षाविद श्री आनंद चौकसे ने भी टाइम मैनेजमेंट पर महत्वपूर्ण टिप्स दिए। 
 
समय प्रबंधन पर डॉ. आलोक सेठी कहते हैं कि अगर हम तकनीक और प्लानिंग के साथ काम करें तो अपना 60-70% समय बचा सकते हैं। टाइम मैनेजमेंट का एक बहुत बड़ा हिस्सा टाइम डाइटिंग भी है। यानि अपने कीमती समय से अनावश्यक टॉक्सिक और हानिकारक समय कम करना और फायदेमंद कार्यक्षमता बढ़ाना। जिस तरह शरीर को फिट रखने के लिए भोजन का सही डाइट प्लान जरूरी है उसी तरह सफलता की पहली शर्त है टाइम डाइटिंग। जिन्हें समय को गुलाम बनाना आ गया, सफलता खुद उसकी चाकरी करती है। इस पुस्तक में, ऐसी ही रोजमर्रा में सरलता के साथ आजमाए जाने वाली कुछ देसी जड़ी बूटियां हैं। 
 
नीलोत्पल मृणाल ने अपने सुरीले कंठ से श्रोताओं का दिल जीत लिया। काव्य पाठ 'बचपन' को याद करते हुए उनका गीत था - 'अरे कहा गया - हाय मेरा दिन वो सलोना रे, हाथों में था मेरे माटी का खिलौना रे, अरे वहीं मेरा चांदी था वहीं मेरा सोना रे..! धान-गेहूं-सरसों वाले, हरे-हरे खेत रख लो। रख लो एक बैल भईया, हल से बांध के, दुअरे पर गाय खड़ी हो, चारा खाए सान के। पूछेगा जो कोई तो उसको बताएंगे, आने वाली पीढ़ियों को चल के दिखाएंगे, कि दुनिया ऐसी हुआ करती थी। धरती रे धरती, बजरी पर तो फल फूटे हैं। एक नौकरी के चक्कर में देखो सिकंदर हार गया।' सोशल मीडिया की एडिक्ट होती जा रही नयी पीढ़ी पर उनका तंज था..'स्कूल की दीवारों पर दिल बनाने वाले लड़के, चलते तीर को हंसकर दिल पर खाने वाले लड़के, उस दौर का जादू क्या जाने ये रील बनाने वाले लड़के..' 
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टाईम डाइटिंग का विमोचन
कुशलवक्ता एवं भोपाल पुलिस कमिश्नर श्री हरिनारायणचारी मिश्र किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो पाए, डॉ. आलोक सेठी को बधाई देते हुए उन्होंने अपने आडियो संदेश के माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित किया। किताब 'टाईम डाइटिंग' टाईम मैनेजमेंट पर आधारित है इसलिए विमोचन समारोह में शहर के प्रबंधन से जुड़े अनेक गणमान्य उपस्थित थे। मंच संचालन संस्कृति कर्मी श्री संजय पटेल ने किया। 
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