Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

अब आसानी से हो सकेगी महिलाओं में ‘गर्भाशय कैंसर’ की पहचान

अब आसानी से हो सकेगी महिलाओं में ‘गर्भाशय कैंसर’ की पहचान
, गुरुवार, 5 अगस्त 2021 (12:25 IST)
नई दिल्ली, कैंसर सबसे जानलेवा बीमारियों में से एक है। इसके उपचार की दिशा में प्रगति तो हुई है, परंतु इसके लिए बीमारी की शुरुआती अवस्था में ही उसका पता चल जाना आवश्यक है।

तमाम प्रयासों के बावजूद महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर की आरंभिक अवस्था में पहचान एक चुनौती रही है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने चेन्नई स्थित कैंसर इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआईए) के साथ मिलकर एक पाइंट-ऑफ-केयर डिवाइस बनाने की ओर अग्रसर है, जो महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर का शुरुआती स्तर पर पता लगाने में मददगार होगी।

आईआईटी मद्रास द्वारा जारी वक्तव्य में बताया गया है कि महिलाओं में जो कैंसर होते हैं, उनमें गर्भाशय कैंसर सातवें स्थान पर आता है। वहीं, कैंसर से होने वाली मौतों के मामले में यह आठवें स्थान पर आंका गया है। वर्ष 2020 में विश्वभर में गर्भाशय कैंसर के कुल 3,14,000 मामले सामने आए, जिनमें से 44,000 भारत में दर्ज किए गए।

जहां तक इससे होने वाली मौतों का प्रश्न है तो वर्ष 2020 में दुनियाभर में गर्भाशय कैंसर से 2,07,000 महिलाओं की मौत हुई, जिनमें से 32,077 भारतीय महिलाएं थीं। इससे होने वाली मौतों में वे महिलाएं भी शामिल हैं, जिनकी बीमारी शुरुआती स्तर पर ही पकड़ में आ गई थी।

गर्भाशय का कैंसर एक प्रकार का 'साइलेंट किलर' है क्योंकि शुरुआती अवस्था में इसके कोई विशेष लक्षण नहीं उभरते और अग्रिम चरण में जाकर ही इस बीमारी के लक्षण प्रभावी रूप से प्रत्यक्ष होते हैं।

विश्वसनीय उत्पादों या सटीक परीक्षणों का अभाव भी गर्भाशय कैंसर की शुरुआती अवस्था में पहचान को कठिन बना देता है। ऐसे में, आईआईटी मद्रास और डब्ल्यूएआई की यह पहल बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

कैंसर इंस्टीट्यूट में डिपार्टमेंट ऑफ मॉलिक्यूलर ओन्कोलॉजी के प्रोफेसर और विभाग प्रमुख डॉ. टी. राजकुमार कहते हैं- 'गर्भाशय के कैंसर की शुरुआती अवस्था में ही पड़ताल को लेकर हुए शोध में हमने गर्भाशय कैंसर की 138  मरीजों, 20 बेनाइन (कम गंभीर) गर्भाशय कैंसर के मरीज और 238 स्वस्थ व्यक्तियों के रक्त के नमूने लिए।

इस शोध में प्रोटीन की प्रारंभिक पहचान के लिए लम्बी प्रोटीन श्रृंखलाओं के प्रोटिओमिक्स पर आधारित मात्रात्मक विश्लेषण किया गया। इनमें 507 रक्त प्रोटीन स्वस्थ व्यक्तियों की अपेक्षा एपिथिलियल ओवेरियन कैंसर में अलग तरह से दिखे।'

इस साझा के संबंध में आईआईटी मद्रास के एप्लाइड मैकेनिक्स विभाग के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ वी वी राघवेन्द्र साई कहते हैं, ‘यह साझेदारी हमें चिकित्सकों के साथ मिलकर काम करने और क्लीनिकल डायग्नोसिस में आने वाली बधाओं के निदान पर सक्रिय प्रणाली विकसित करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करेगी। हमारा लक्ष्य एक अत्याधुनिक निदान प्रणाली को विकसित करना है ताकि कैंसर की जांच और उसके इलाज के तरीके में बेहतरी लाई जा सके।’ (इंडिया साइंस वायर)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

हाथों में गहरी मेहंदी रचाने के 10 आसान टिप्स, यहां पढ़ें