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World Cancer Day : कैंसर पेशेंट को मोटिवेट नहीं जागरूक करने की जरूरत है....

World Cancer Day : कैंसर पेशेंट को मोटिवेट नहीं जागरूक करने की जरूरत है....
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सुरभि भटेवरा

, शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022 (09:59 IST)
कैंसर ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही इंसान जिंदगी वहीं हार जाता है। जी हां, कैंसर आज के वक्त में तेजी से बढ़ने वाली बीमारी में से एक है। यह अनुवांशिक भी हो सकती है और लाइफस्टाइल की वजह से भी हो सकता है। वहीं बदलते दौर में जिंदगी जीने की उम्र में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। वर्ल्‍ड बैंक के मुताबिक भारत में 2019 में जिंदगी जीने की औसतन उम्र 69 साल के करीब है। वहीं एक रिपोर्ट में सामने आया कि 2019 में लाइफ एक्सपेक्टेंसी पुरुष की 69 साल थी और महिलाओं की 72 साल थी। जो 2020 में घटकर पुरुषों की 67 साल हो गई और महिलाओं की 60 साल हो गई। लेकिन इस जीवन घातक बीमारी से बचा जा सकता है विश्व कैंसर दिवस ( World Cancer Day) पर एक्सपर्ट डॉ योगेंद्र शुक्ला, कैंसर स्पेशलिस्ट, भोपाल से जानते हैं इस बीमारी के बारे में -

कैंसर होने का प्रमुख कारण -

कैंसर कई कारणों से होते हैं। पहला जेनेटिक दूसरा कारण इंसान के विकसित होने के दौरान भी कैंसर हो सकता है। इसलिए ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी कैंसर परिवार में होने की वजह से हो।    

इसका एक और फैक्‍टर है स्‍ट्रेस। जी हां, तनाव भी कैंसर का एक कारण है। इसके भी फैक्‍टर है एक आपके खाने की आदत। तंबाकू, सिगरेट, शराब, रॉ मीट, नॉनवेज खाना, प्रोसेस्‍ड फूड खाना।

दूसरा कारण है - बॉडी को प्रॉपर आराम नहीं मिलता है, वे तनाव में रहते हैं। मेंटल स्ट्रेस है फिजिकली आराम भी नहीं मिलता है जिससे बॉडी में हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं जिससे कैंसर होने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।  

- कैंसर से बचाव के लिए कैसी हो लाइफस्‍टाइल ?  

इससे बचाव के लिए बैलेंस्ड फूड खाना जरूरी है। नियमित रूप से भोजन करें। सोने के लिए कम से कम 6 से 8 घंटे होना चाहिए। माइल्‍ड एक्सरसाइज जरूरी है। एक जापानिज कहावत है आपके खाने में 5 तरह के कलर होना चाहिए। सफेद, काला, लाल, हरा और पीला। साथ ही ध्‍यान रखें फ्रेश फूड बहुत जरूरी है। बासी खाना नहीं खाएं, प्रोसेस्‍ड फूड और पैक्ड फूड बहुत खराब होता है।क्‍योंकि इसमें ऐसी चीजें होती है जो फूड को लंबे वक्त तक फ्रेश रखते हैं।

- कैंसर का इलाज होने के बाद फिर से कैंसर हो सकता है
 
संभावना रहती है। कैंसर का इलाज अन्‍य बीमारियों से अलग होता है। दो कारण है। पहले इसमें एक इलाज नहीं होता है। तीन तरह से इलाज होता है कीमोथेरेपी, रेडियोलॉजी और सर्जरी। और यह स्‍टेज के आधार पर किया जाता है।

लेकिन दूसरा सबसे बड़ा कारण है फॉलो अप का। जो रेग्‍युलर मरीजों को बताते हैं अगर वैसे ही मरीज फॉलो करते हैं तो अगर वो दोबारा कैंसर होने पर जल्दी पकड़ा जा सकता है। ऐसे में कम इलाज में जल्दी और सही वक्त पर इलाज किया जा सकता है।

साल 2022 की थीम है - ' kill The Care Gap' ये बहुत बड़ा मुद्दा है जो भारत में बहुत चलता है। मरीज को पता है इलाज जल्‍द से जल्‍द कराना जरूरी है। लेकिन ऐसा नहीं होता है। देर से निर्णय लेने के दो कारण है - पहला - जागरूकता का अभाव और दूसरा - महंगा इलाज। लेकिन आज की तारीख में आयुष्मान कार्ड की मदद से भी इलाज हो रहा है और अच्‍छा इलाज हो रहा है।
 
कैंसर के मरीजों को मोटिवेट नहीं जागरूक करने की जरूरत है -

मोटिवेशन से ज्यादा जागरूकता की जरूरत है। अगर उन्‍हें सही जानकारी मिले तो वे खुद ब खुद समझ जाएंगे। आप उसे अच्छी-अच्छी बात करेंगे तो बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। कैंसर शब्द सुनते ही इंसान को लगता है अब तो जिंदगी खत्म हो गई। जागरूक करना जरूरी है कि कैंसर का इलाज है,  कैंसर होने के बाद मरीज ठीक होते हैं।

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