एक-दूसरे को रंग से सराबोर करने का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे लोगों में होली के पावन पर्व का उल्लास छाता जा रहा है। 6 मार्च को रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा, लेकिन इसके साथ ही डॉक्टर भी अपनी चिंता जताने लगे हैं। डॉक्टरों को रंगों में इस्तेमाल में होने वाले जहरीले रसायन के कारण स्किन व आंखों में इंफेक्शन की चिंता है और वे लोगों से इन रंगों से बचने की सलाह भी दे रहे हैं।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के मुख्य कॉस्मेटिक सर्जन अनूप धीर कहते हैं कि होली का त्योहार बिना रंगों के बेमतलब है लेकिन रसायन वाले रंगों के कारण कई समस्याएं पैदा होते हैं। यदि रंगों में ऑक्साइड, धातु, शीशे के कण व टेक्सटाइल इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले डाई बेस जैसे खतरनाक व जहरीले रसायन मिले हुए होंगे तो ये बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, इन रसायनिक रंगों में सीसा, टेट्राथिलिन, बेंजिंन व अन्य सुगंधित पदार्थ मिले होते हैं जो त्वचा को सूखा बना देते हैं। लाल, काले व हरे जैसे गहरे रंगों में भारी मात्रा में मरकरी सल्फाइट, सीसा, ऑक्साइड व कॉपर सल्फेट मिले होते हैं जिनसे स्किन कैंसर भी हो सकता है।
डॉक्टर धीर कहते हैं कि कई लोगों को इन रसायनिक रंगों से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। इन रंगों के कारण खुजली व एलर्जी होने लगती है। यदि इन रंगों को बालों पर लगाए जाने के तुरंत बाद ही नहीं धोया जाए तो वे कमजोर व बेजान हो सकते हैं।
रसायनिक रंगों से बचें
रंगों के इस त्योहार के दिनों में खुजली व एलर्जी के मामले कई गुना बढ़ जाते हैं। इनमें बच्चे और बड़े सभी होते हैं। बीएलके अस्पताल में प्लास्टिक सर्जन कंसल्टेंट डीजेएस. टुला का कहना है कि कई लोग मस्ती व शरारत के लिए चिकनाई वाले रंगों का इस्तेमाल करते हैं।
आम तौर पर इन रसायन वाले पदार्थों के संपर्क में आने के दो से तीन घंटे बाद ही प्रतिक्रिया दिखनी शुरू हो जाती है। कई बार जिद्दी रंगों को छ़ुडाने के लिए साबुन, डिटर्जेंट व केरोसिन के इस्तेमाल से भी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।