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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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जी हां, यह सच है कि बहस करने से बीमारियां होती हैं

जी हां, यह सच है कि बहस करने से बीमारियां होती हैं
- डॉ. सुधीर खेतावत  
 
 आपस में असंतुलित होकर बहस या तकरार करने से बीमारियां होती हैं? वैज्ञानिकों के प्रयोग द्वारा यह सिद्ध कर दिया गया है कि तकरार या बहस के दौरान पति-पत्नी नियंत्रण के बाहर हो जाते हैं। नतीजतन वे तरह-तरह की बीमारियों को न्योता देते हैं। एक शोध के अनुसार दंपति की मामूली बहस भी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती है। 
 
अक्सर कुछ दंपति आदतन जरा-सी बात में बहस कर बैठते हैं, जो कि तकरार में बदलते देर नहीं लगती। इस तरह दोनों ही एक-दूसरे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। उक्त शोध की रिपोर्ट में लिखा है कि बहस के दौरान वे कोशिकाएं सबसे अधिक प्रभावित होती हैं, जो शरीर के रोगाणुओं से लड़ती हैं। 
 
विशेषज्ञों के अनुसार रक्त में मिली वे कोशिकाएं तेजी से हो रही बहस के दौरान उग्र रूप धारण करके प्रतिकूल असर दिखाने लगती हैं जिससे शरीर की सामान्य कोशिकाएं भी नष्ट होने लगती हैं। 
 
नतीजतन व्यक्ति की बीमारी उखड़ आती है, तीव्रता बढ़ जाती है। सांस, रक्तचाप, हृदय रोग ही नहीं, कैंसर जैसी बीमारी भी उग्र हो जाती है। कई अन्य शोधकर्ताओं का भी कहना है कि तकरार की स्थिति में शरीर के प्राकृतिक उद्दीपक असंतुलित हो जाते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक होते हैं। इन्हें मस्तिष्क द्वारा निर्देश मिलता है। उसी के अनुसार उनमें घट-बढ़ होती है, क्योंकि तकरार में मस्तिष्क से संतुलन टूटने लगता है। लिहाजा, उद्दीपक का संतुलन भी डगमगा जाता है। 
 
 मानव शरीर में एड्रीनोलिन उद्दीपक की मात्रा सुबह के समय अपेक्षाकृत अधिक होती है। रात में नींद लाने वाला एडोरफिन सोने के लिए प्रेरित करता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि तकरार या डर के दौरान एड्रीनोलिन के स्राव के कारण शरीर में तीव्र एक्शन होता है। कुल मिलाकर इनकी मात्रा में कमी या बढ़ोतरी शरीर को प्रभावित करती है। 
 
महिलाओं में तो यही स्थिति आत्महत्या तक के लिए प्रेरित करती है, वहीं पुरुषों में यह स्थिति मरने-मारने की नौबत ला देती है। रिपोर्ट में तकरार के कुछ रोचक तथ्यों को भी इंगित किया गया है। इसके अनुसार अक्सर पति-पत्नी में तकरार जरा-सी बात में शुरू होती है और धीरे-धीरे बढ़ती जाती है जिससे पुरुष के अहं को चोट लगती है, नतीजतन बात और बढ़ जाती है। इस तकरार के तर्क-वितर्क दोनों ही शरीर की आंतरिक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। 
 
गुस्से की बातों को नजरअंदाज करें : 
 
परीक्षणों से पता चला है कि तकरार में गुस्सा पैदा होता है। इसकी शुरुआत मांसपेशियों में खिंचाव से होती है। हाथ और पैर की मांसपेशियां विशेष रूप से फड़कती हैं। चेहरे में खिंचाव आने लगता है जिससे श्वसन संस्थान बेहद प्रभावित होता है। अपनी बात मनवाने के लिए जब लोग बहस या तकरार करते हैं तो शरीर में ऊर्जा की कमी होने लगती है। 
 
इस कमी को पूरा करने के लिए सांस जल्दी-जल्दी चलती है। फेफड़े पहले की अपेक्षा अधिक क्रियाशील हो जाते हैं। जल्दी-जल्दी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन की अधिक मात्रा पहुंचती है, जो शरीर में उपस्थित भोजन से अधिक ऊर्जा प्राप्त करती है, यकृत से अधिक मात्रा में ग्लाईकोजन निकलने लगता है। यह ऊर्जा बढ़ाने में सहायक है। 
 
यदि शरीर को अन्य ऊर्जा न मिले तो चक्कर आने से लेकर दौरे आदि पड़ सकते हैं जिससे तनाव बढ़ता है। तकरार या बहस की चरम सीमा पर सबसे अधिक खतरा दिल को होता है, क्योंकि इस स्थिति में दिल की धड़कन आम स्थिति से कई गुना बढ़ जाती है। इसी के साथ शरीर में रक्त परिभ्रमण की गति कई गुना बढ़ जाती है जिससे रक्त धमनियों और दिल को अतिरिक्त कार्य करना पड़ता है। 
 
तकरार के दौरान रक्त की सर्वाधिक मांग मस्तिष्क की होती है। रक्त पूर्ति में तिल्ली दिल की मदद करती है, इसलिए वह भी प्रभावित होती है। पति-पत्नी के बीच तकरार से उपजे झगड़े की स्थिति तंत्रिका तंत्र की गंभीर बीमारी यूरोसिस को जन्म देती है। 
 
तकरार बहस अच्छी बात है, मगर उसे बेवजह बढ़ाना या उग्र करना उचित नहीं है। पति-पत्नी का संबंध प्रेम, विश्वास और सौहार्द का है, इसमें बहस या तकरार करके जहर न घोलें। अधिकांश मामले, जिनमें अचानक पति या पत्नी को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, उसका प्रमुख कारण बहस के फलस्वरूप उत्पन्न मानसिक तनाव और तनाव के कारण हृदयाघात या लकवा था अतः दोनों में से पति-पत्नी यदि एक भी बहस के दौरान मौन रह जाए तो तनाव से होने वाले रोग की उत्पत्ति रोकी जा सकती है। 
 
इसमें कोई संदेह नहीं, जब कोई विचार क्रिया में परिवर्तित नहीं होता है तो वह रोग बन जाता है। कभी-कभी छोटी-सी बात बहस के दौरान हृदय व मस्तिष्क को चुभ जाती है एवं इतना प्रभावित करती है कि वह असाध्य रोग से पीड़ित बना देती है। चिकित्सक द्वारा जाँच में कुछ नहीं आता, पर एक विचार से शरीर में गंभीर रोग का जन्म होता है, रोगी शिकायत नहीं कर पाता, अपनी भड़ास निकाल नहीं पाता और तब घुटन जन्म देती है असाध्य रोग को। 
 
अतः तकरार या बहस के बाद घंटों आपस में सही ढंग से बात नहीं करना, खाना नहीं खाना, इसके बदले यदि तुरंत मैत्री कर आपस में बात करने लगें और तकरार के कारण को नजरअंदाज कर दें या उसे सुलझा लें तो ऐसे कई रोगों से बचा जा सकता है।

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