अभ्यंग मसाज एक प्रकार का आयुर्वेदिक मसाज है। मौसम में परिवर्तन, गलत आहार-विहार, प्रतिरोधक क्षमता में कमी, पर्याप्त संतुलित आहार का अभाव, उचित व्यायाम की कमी आदि कारणों से शरीर में दोष दिखाई देते हैं। यही दोष कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक बीमारियों को साथ लाते हैं। रोगी की प्रकृति को देखकर अभ्यंग मसाज द्वारा इन रोगों को दूर किया जा सकता है।
रोगी में जिस दोष का प्रकोप हुआ है, उसे देखते हुए तथा उसके शरीर की क्षमता के अनुसार मसाज के लिए तेल का चयन किया जाता है। नारियल अथवा सरसों के तेल में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियां मिलाकर मसाज के लिए उपयुक्त तेल तैयार किया जाता है।
मसाज के लिए प्रातः काल का समय उपयुक्त होता है। मसाज हमेशा खाली पेट ही होना चाहिए। अगर पेट साफ न हुआ हो तो एनीमा देकर साफ कर लें। मसाज के समय व्यक्ति पूर्णतः तनावरहित हो। मसाज के दौरान शरीर पर कम से कम कपड़े होना चाहिए। मसाज करने वाला व्यक्ति दक्ष हो। अभ्यंग मसाज से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में लाभ होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। रक्त संचार ठीक होता है। जोड़ों में नमी पहुँचती है। विजातीय द्रव्य शरीर से बाहर हो जाते हैं। अनिद्रा दूर होती है और स्वाभाविक नींद आती है। स्फूर्ति, चुस्ती का आभास होता है।
अभ्यंग मसाज के लाभ
अभ्यंग मसाज से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में लाभ होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। रक्त संचार ठीक होता है। जोड़ों में नमी पहुँचती है। विजातीय द्रव्य शरीर से बाहर हो जाते हैं। अनिद्रा दूर होती है और स्वाभाविक नींद आती है। स्फूर्ति, चुस्ती का आभास होता है। उचित तेल का चयन कर उसे कुनकुना कर लें।
मसाज लेने वाले को आरामदायक तरीके से लिटा दें। पूरे शरीर पर तेल लगाएं। पांच मिनट तक ऐसे ही छोड़ दें ताकि तेल शरीर में अच्छी तरह सोख लिया जाए। फिर मसाज शुरू करें। मसाज करते समय पैर, हथेली, उँगलियों व नाखून के छोरों पर तेल अच्छी तरह लगाएं क्योंकि यहां बड़ी संख्या में तंत्रिकाओं के छोर होते हैं। पेट एवं हृदय जैसे संवेदनशील अंगों पर मसाज हल्के हाथों से करें।