लिंबायत (गुजरात)। भाजपा के गढ़ लिंबायत विधानसभा में ज्यादातर वोटर मराठी समुदाय के हैं। इस बार भी भाजपा ने मौजूदा विधायक संगीता पाटिल को टिकट दिया है। कांग्रेस ने उनके खिलाफ गोपाल पाटिल को टिकट दिया है। पंकज तायड़े को आप से टिकट मिला है। लिंबायत सीट पर कुल 3.04 लाख वोटर हैं। यहां 1.20 लाख मराठी वोटों के मुकाबले 90 हजार मुस्लिम वोटों से बाजी पलट सकते हैं।
मराठी वोटों के विभाजन का खतरा है, क्योंकि सभी 3 प्रमुख दलों अर्थात भाजपा, कांग्रेस और आप द्वारा मैदान में मराठी उम्मीदवारों को उतारा है। लिंबायत सीट पर कुल 3.04 लाख मतदाताओं में से मराठी जाति के कुल वोट 1.20 लाख हैं। इस सीट पर मराठी के अलावा अन्य मुस्लिम वोटर भी नतीजे बदल सकते हैं।
सूरत जिले की सभी विधानसभा सीटों में से लिंबायत विधानसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक है। कुल 44 उम्मीदवारों में से 33 उम्मीदवार केवल निर्दलीय हैं। पिछले 2 चुनावों में भाजपा प्रत्याशी संगीता पाटिल ज्यादा वोटों से जीतती रही हैं। पिछला चुनाव 2017 में 31,951 के अंतर से जीता था।
शहर में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, लेकिन लिंबायत विधानसभा सीट ऐसी है, जहां न तो कांग्रेस और न ही आप भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ किसी जाने-पहचाने चेहरे को खड़ा कर पाई है। संगीता पाटिल के लिए यह मायने रखता है कि वे कितनी बढ़त हासिल करती हैं? इस सीट पर 33 निर्दलीय उम्मीदवार वोटों को विभाजित कर सकते हैं, जो आप और कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब साबित हो सकता है।
2017 के विधानसभा चुनाव में लिंबायत विधानसभा चुनाव में कुल 2.58 लाख मतदाता थे जिसमें से 65.33 फीसदी मतदान हुआ। भाजपा की संगीता पाटिल को 93,585 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 61,634 वोट मिले। 2017 के मुकाबले अब 40 हजार वोटर बढ़ गए हैं।
पिछले चुनावों में मुस्लिम वोटर्स का झुकाव कांग्रेस की ओर ज्यादा रहा है और इस बार आप के आने से लड़ाई रोचक हो गई है। जिन सीटों पर एआईएमआईएम ने उम्मीदवार उतारे हैं, वहां मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है। मराठी समाज के बाद यहां मुस्लिम वोट अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे समय में भाजपा के लिए मुस्लिम बहुल इलाकों में जीत पाना मुश्किल है। लिहाजा मुस्लिम समुदाय का वोट हासिल करना और लिंबायत सीट पर भी जीत हासिल करना भाजपा के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है।
Edited by: Ravindra Gupta