म्यूजिक डे सबसे पहले कहां मनाया गया, संगीत का जीवन में महत्व
विश्व संगीत दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। इसे फेटे डी ला म्यूजिक भी कहा जाता है। जिसका अर्थ है म्यूजिक फेस्टिवल। फ्रांस में 1982 से इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी। इसके बाद विश्व म्यूजिक दिवस करीब 17 देशों में हर साल मनाया जाता है। जिसमें भारत देश भी शामिल है।
संगीत दिवस को मनाने की पहल पूर्व अमेरिका के योएल कोहेन ने 1976 में की थी। इसके बाद से भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, लक्समबर्ग, जर्मनी, इज़राइल, चीन, पाकिस्तान, मोरक्को, स्विट्जरलैंड, कोस्टा रिका, लेबनाम, मलेशिया, रोमानिया, कोलम्बिया और फिलीपींस। अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न तरह से इस खास दिन को मनाया जाता है। कहीं पर संगीत कार्यक्रम रखा जाता है, कहीं पर ईडीएम नाइट, कहीं पर संगीत प्रतियोगिता तो कही संगीत की महफिल सजाई जाती है।
संगीत का शहर है भारत का यह शहर
उत्तर प्रदेश में स्थित वाराणसी की अपनी अलग कहानियां है। जिसे धर्म भूमि और संगीत की भूमि दोनों ही कहा जाता है। यूनेस्को द्वारा भारत की वाराणसी भूमि को संगीत का शहर के रूप में घोषित किया गया है। इस शहर से ऐसे कई सितारों ने जन्म लिया हैं उन्होंने संगीत को नई पहचान दिलाई है। रविशंकर, शहनाई, विशेषज्ञ बिस्मिल्ला खान, गिरिजा देवी सहित कई संगीतकारों का जन्म हुआ।
संगीत और जीवन
संगीत और जीवन दो अलग-अलग है लेकिन एक दूसरे को पूरा करते हैं। अक्सर जब हमारे मन की बात कोई समझ नहीं पाता है उसका सार हमें संगीत में मिल जाता है। और जब संगीत में वह सार नहीं होता इंसान उस चीज को संगीत के माध्यम से कहता है। अंग्रेजी में कहावत है, माय प्ले लिस्ट अंडरस्टेंड मी बेटर देन अदर्स मतलब दूसरों से अधिक मेरे गानों की सूची मुझे बेहतर समझती है।
संगीत एक भावना है, एहसास है, जिसे हर कोई सुनकर आनंदित हो जाता है। अक्सर लोग अच्छा महसूस नहीं करने पर अकेले में थे बैठकर संगीत सुनना पसंद करते हैं। सुनने के कुछ देर बाद वह बहुत हल्का और आराम महसूस करने लगते हैं।
आज के वक्त में इंसान के मूड के अनुसार संगीत के भी कई तरह के जोनर हैं। जिन्हें प्ले करने से ही इंसान का मूड समझ आ जाता है और वह काफी आराम महसूस करते हैं। संगीत और सेहत का गहरा नाता है। इंसान जब अपने अपना पसंदीदा म्यूजिक सुनता है तो उसके शरीर में संवेदनशील अंगों में तरंगे उठने लगते ही। मन हल्का और झूमने लगता है, खुशी और उल्लास का आभास होता है, तो कभी कुछ धुन सुनकर आंसू भी आ जाते हैं।
बता दें कि मनोवैज्ञानिक के अनुसार संगीत का सेहत का गहरा संबंध है। वैज्ञानिक क्षेत्र में संगीत और सेहत पर रिसर्च जारी है लेकिन आदि काल से संगीत का सेहत का महत्व रहा है और सेहत पर उसका असर देखने के बाद उसे संगीत थेरेपी कहा जाने लगा है।
आज के भागदौड़ भरी जिंदगी, तनाव चहुओर शोर से मन को शांत करने के लिए इंसान संगीत सुनना अधिक पसंद करता है। फिर चाहे वह स्लो म्यूजिक हो, गजल हो, क्लासिकल हो। इसलिए संगीत को म्यूजिक थेरेपी भी कहा जाता है।
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