विश्व पवन दिवस या ग्लोबल विंड डे पवन ऊर्जा (Wind Energy) को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन विश्व भर में विभिन्न आयोजनों के माध्यम से प्राकृतिक ऊर्जा का इस रूप के महत्त्व को समझाया जाता है।
विश्व पवन दिवस का इतिहास:
विश्व पवन दिवस प्रति वर्ष 15 जून को मनाया जाता है। इसे वर्ल्ड विंड डे भी कहा जाता है। यूरोपीय पवन ऊर्जा संघ ने वर्ष 2007 में इस पर्व को पहली बार मनाया, बाद में ग्लोबल विंड एनर्जी कौंसिल के सहयोग से इसे अलग अलग आयोजनों के माध्यम से विश्व स्तर पर मनाया जाने लगा। दोनों संगठनों द्वारा यह तय किया गया कि विश्व भर में इस दिन पवन ऊर्जा के महत्वों से लोगों को अवगत करवाया जाएगा।
इस दिन पवन ऊर्जा को दैनिक जीवन में उपयोग करने, वातावरण से कार्बन की मात्रा को कम करने और विश्व भर में पवन ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन लोगों को पवन ऊर्जा के इस्तेमाल और इसके द्वारा मिलने वाले लाभों के बारे में भी पता चलता है।
भारत और पवन ऊर्जा:
बढ़ती आबादी के चलते भारत ने भी अक्षय ऊर्जा के महत्त्व को समझा है। पवन ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है, जिसमें सबसे ज्यादा योगदान तमिलनाडु का है। भारत में स्थापित पवन ऊर्जा संयंत्रों की कुल उत्पादक क्षमता 40 गीगा वाट के करीब है।