7 अक्टूबर : मिशनरीज ऑफ चैरिटी का स्थापना दिवस
1. 7 अक्टूबर यानी आज ही के दिन, सन् 1950 में मदर टेरेसा को वेटिकन से मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना करने की इजाजत मिली थी।
2. मदर टेरेसा ने इसकी शुरुआत कोलकाता से की थी। ये एक स्वयंसेवी धार्मिक संगठन है, जो दुनिया भर के कई देशों में विभिन्न मानवीय कार्यों में योगदान दे रहा है।
3. 7 अक्टूबर 1950 को रोमन कैथोलिक चर्च ने ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना के लिए मान्यता दी।
4. इस मिशनरीज संस्था की स्थापना निराश्रित, अनाथ और बेघर लोगों की सहायता के लिए हुई, जहां मदर टेरेसा स्वयं पीड़ित रोगियों व गरीबों की सेवा करती थीं।
5. मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को मेसिडोनिया की राजधानी स्कोप्जे शहर में हुआ। उनका नाम ‘एग्नेस गोंझा बोयाजिजू' था। वे भारत आकर ईसाई ननों की तरह अध्यापन से जुड़ गईं और कोलकाता के सेंट मैरीज हाईस्कूल में पढ़ाने के दौरान एक दिन कॉन्वेंट की दीवारों के बाहर फैली दरिद्रता देख वे विचलित हो गईं। वह पीड़ा उनसे बर्दाश्त नहीं हुई और कच्ची बस्तियों में जाकर सेवा कार्य करने लगीं।
6. मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सदस्य शरणार्थियों, अनाथों, दिव्यांगों, एड्स तथा अन्य घातक रोगों से पीड़ित लोगों की सेवा, उनके भोजन की व्यवस्था करते हैं। साथ ही वे अनेक अनाथ आश्रम, वृद्धाश्रम और अस्पताल भी प्रबंधित करते हैं।
7. मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था में शामिल होने के लिए 9 वर्षों की सेवा, परीक्षण के बाद, ईसाई धार्मिक मूल्यों पर खरा उतारने तथा संगठन के विभिन्न कार्यों में अपनी सेवा देने के बाद ही मिशनरीज ऑफ चैरिटी में शामिल किया जाता है।
8. इस संस्था के सदस्यों को 4 प्रमुख संकल्पों पर अडिग रहना होता है। जिसमें आज्ञाकारिता, पवित्रता, दरिद्रता और गरीबों की सेवा में अपने दिल से तथा उसी में अपना जीवन व्यतीत करना जरूरी होता है।
9. साल 1962 में भारत सरकार ने उनकी समाजसेवा और जनकल्याण की भावना की कद्र करते हुए मदर टेरेसा को 'पद्मश्री' से नवाजा। साल 1980 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारतरत्न’ से अलंकृत किया गया। पोप जॉन पाल द्वितीय ने 19 अक्टूबर 2003 को रोम में मदर टेरेसा को 'धन्य' घोषित किया था। विश्वभर में फैले उनके मिशनरी के कार्यों की वजह से व गरीबों और असहायों की सहायता करने के लिए उन्हें को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया।
10. मदर टेरेसा ने 13 मार्च 1997 को ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के मुखिया का पद छोड़ दिया और 5 सितंबर 1997 को उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के समय तक ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ में 4,000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं काम कर रही थीं, समाजसेवा में लिप्त थीं।
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