Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Ganesh Chaturthi Special: मेवाड़ में है अनूठा मंदाकिनी मंदिर जहां होती है नारी गणेश की मूर्तियों की पूजा

फसल की रक्षा और महामारी से बचाव के लिए विनायिकी पूजा की परंपरा

WD Feature Desk
मंगलवार, 3 सितम्बर 2024 (16:35 IST)
mandakini ganesh mandir

Ganesh Chaturthi Special: गणेशी या नारी गणेश नाम सुनने में भले ही थोड़ा भिन्न लग सकते हैं, लेकिन भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया के प्राचीन मंदाकिनी मंदिर में नारी गणेश की दो मूर्तियां हैं। मंदाकिनी मंदिर ऐसा अनूठा मंदिर है जहां दो विनायिकी मूर्तियां हैं।

मेवाड़ में नारी गणेश को पूजने की परंपरा रही है और इसके अनुसार गणेश महोत्सव और बुधवार को यहां नारी गणेश की मूर्तियों की पूजा की जाती है। महामारी, टिड्डियों से बचाव और फसल की सुरक्षा के लिए नारी गणेश को देवी के रूप में पूजने की परंपरा रही है।

नारी गणेश की मूर्तियों का अंकन 12वीं शताब्दी में माना जाता है। देशभर में एक नारी गणेश की मूर्ति तो कुछ मंदिरों में हैं, लेकिन दो मूर्तियां मंदाकिनी मंदिर में ही हैं। मुख्य मंदिर के बाहरी स्तंभ पर नारी गणेश की एक छोटी प्रतिमा है, जबकि पीछे मंदिर के दक्षिण भाग कोष्ठकों में नारी गणेश की ललितासन प्रतिमा उत्कीर्ण है।

कैसा है नारी गणेश की चतुर्भुज प्रतिमा का रूप:
नारी गणेश की चतुर्भुज प्रतिमा में शिल्पियों द्वारा हाथ में फरसा, गदा, मोदक और सूंड बायीं और मोदक थाल पर अवतरित की गई है। जबकि उन्नत वक्ष और अलंकरण नारी देह के परिचायक है। मंदाकिनी मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। दोनों विनायिकी प्रतिमाओं के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी थी। करीब आठ साल पहले कस्बे वासियों को इन अनूठी मूर्तियों का पता चला, तब से हर बुधवार, गणेशोत्सव पर भक्त दर्शन पूजन करते हैं।ALSO READ: चमत्कारी है कनिपाकम विनायक का ये मंदिर, लगातार बढ़ रहा है मूर्ति का आकार

देश में यहां भी हैं नारी गणेश की एक-एक मूर्तियां:
ओडिशा के चौंसठ योगिनी मंदिरों और जबलपुर भैराघाट मंदिर में नारी गणेश की एक मूर्ति है। राजस्थान के हर्ष देव मंदिर में भी नारी गणेश की मूर्ति है।

ऐसे हुआ गणेश का स्त्री अवतार
मत्स्य पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में बताया गया है कि जब राक्षस अंदोक (अंधक) माता पार्वती का अपहरण करने की कोशिश कर रहा था तब भगवान शिव का त्रिशूल माता पार्वती को लग गया। इस कारण जो रक्त जमीन पर गिरा वो स्त्री और पुरुष दो भागों में विभाजित होकर आधी स्त्री और आधा पुरुष का रूप ले लिया जिसे गणेशानी के नाम से जाना गया। कुछ अन्य ग्रंथों जैसे लिंगपुराण और दुर्गा उपनिषद में भी भगवान गणेश के स्त्री अवतार का उल्लेख किया गया है।

नारी गणेश के हैं कई नाम:
गणेशी, नारी गणेश, गजानना, हस्तिनी, वैनायिकी, विघ्नेश्वरी, गणेश्वरी, गणपति ह्दया, अयंगिनी, महोदरा, गजवस्त्रा, लंबोदरा, महाकाया आदि नाम है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

22 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

22 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Prayagraj Mahakumbh : 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइटों से संवारा जा रहा महाकुंभ क्षेत्र

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह में आ रही अड़चन, तो आज ही धारण करें ये शुभ रत्न, चट मंगनी पट ब्याह के बनेंगे योग

આગળનો લેખ
Show comments