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Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी 2024 कब है 6 या 7 सितंबर को? जानें तिथि, शुभ समय, महत्व, अनुष्ठान

Ganesh chaturthi kab hai 2024: गणेश उत्सव कब से प्रारंभ होकर कब समाप्त होंगे?

WD Feature Desk
गुरुवार, 29 अगस्त 2024 (11:27 IST)
Lord ganesh AI images
Ganesh chaturthi kab hai 2024: प्रत्येक माह के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्‍टी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस‍ दिन से 10 दिवसीय गणपति उत्सव प्रारंभ होता है। इस बार गणेशोत्सव कब से प्रारंभ होगा 6 सितंबर या 7 सितंबर 2024 को इसको लेकर असमंजस बना हुआ है। आओ जानते हैं सही दिनांक, समय, महत्व और अनुष्ठान।ALSO READ: Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी पर गणेश स्थापना से पहले कैसे गणपति बप्पा का घर में कराएं मंगल प्रवेश?
 
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 06 सितम्बर 2024 को दोपहर बाद 03:01 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 07 सितम्बर 2024 को शाम 05:37 बजे तक।
 
क्यों 07 सितंबर 2024 को मनाएं गणेश उत्सव?
- इस पर्व में मध्याह्न के समय मौजूद (मध्याह्न व्यापिनी) चतुर्थी ली जाती है क्योंकि गणेश जी का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। 
- उपरोक्त अनुसार से 06 नहीं 07 सितंबर 2024 को मध्यान्ह काल का समय रहेगा। दिन के दूसरे प्रहर को मध्यान्ह काल कहते हैं।
- मध्यान्ह काल सुबह 09 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच रहता है इसके बाद अपरान्ह समय लग जाता है।
- गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। 
- यदि कोई तिथि तीन प्रहर के बाद प्रारंभ हो तो फिर अगले दिन की तिथि को यानी उदया तिथि के अनुसार पर्व मनाया जाता है। 
- इसलिए गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर से प्रारंभ होकर 17 सितंबर को समाप्त होगा।
7 सितंबर 2024 गणेश स्थापना और पूजा का शुभ समय मुहूर्त:- 
गणेश पूजा मुहूर्त- सुबह 11:03 से दोपहर 01:34 तक।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:54 से दोपहर 12:44 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:24 से दोपहर 03:14 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग: दोपहर 12:34 से अगले दिन सुबह 06:03 तक।
रवि योग: सुबह 06:02 से दोपहर 12:34 तक।
 
10 दिवसीय गणेशोत्सव का महत्व:-
इस गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और डण्डा चौथ भी कहा जाता है। मान्यता है की इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए वरना कलंक का भागी होना पड़ता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेशजी की विधिवत पूजा की जाए तो घर में सुख, शांति और समृद्धि के साथ ही रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। जीवन में सभी कुछ शुभ-लाभ होता है। आमोद-प्रमोद बना रहता है। भक्त हमेशा संतोषी रहता है।ALSO READ: 2024 में कब मनाई जाएगी हरितालिका तीज और श्री गणेश चतुर्थी, जानें सही तिथि
 
गणेश मूर्ति स्थापना के नियम:
1. मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें, जिसकी सूंड बायीं ओर हो, मूषक हो और जनेऊधारी हो। बैठी हुई मूर्ति हो।
 
2. शुभ मुहूर्त में ही स्थापित करें, खासकर मध्यान्ह काल में किसी मुहूर्त में स्थापित करें।
 
3. गणेश मूर्ति को घर की उत्तर दिशा या ईशान कोण में ही स्थापित करें। वह जगह शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।
 
4. गणेशजी की मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
 
5. लकड़ी के पाट पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर ही स्थापित करें।
 
6. एक बार गणेश मूर्ति को जहां स्थापित कर दें फिर वहां से हटाए या हिलाएं नहीं। विसर्जन के समय ही मूर्ति को हिलाएं।
 
7. गणपति स्थापना के दौरान अपने मन में बुरे भाव न लाएं और न ही कोई बुरे कार्य करें।
 
8. गणेश स्थापना के दौरान घर में किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन न बनाएं। सात्विक भोजन करें।
 
9. गणेशजी की स्थापना कर रहे हैं तो विसर्जन तक प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा आरती करें और भोग लगाएं।
 
10. स्थापना के बाद गणपति जी की विधि विधान से पूजा-आरती करें और फिर प्रसाद वितरण करें।
 
 

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