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G-20 Summit : यूक्रेन में शांति की वकालत, आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा, G-20 Summit के पहले दिन की ये बातें रहीं खास...

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रविवार, 10 सितम्बर 2023 (00:39 IST)
G-20 Summit : जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रमुख मतभेदों को दूर करते हुए शनिवार को सदस्यों देशों ने 'नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन' को अपनाया, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कामयाबी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक विश्वास की कमी को समाप्त करने का आह्वान किया।
 
इस मौके पर मोदी ने यह भी घोषणा की कि अफ्रीकी संघ को जी-20 के स्थाई सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। जी-20 देशों के घोषणा पत्र में कहा गया कि आज का युग युद्ध का नहीं है और इसी के मद्देनजर घोषणा पत्र में सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता तथा संप्रभुता सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान किया गया और यूक्रेन में शांति का मौहाल कायम करने की वकालत की गई।
 
घोषणा पत्र में कहा गया है, परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देना अस्वीकार्य है। प्रमुख विकसित और विकासशील देशों के समूह के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के शुरुआती दिन दूसरे सत्र की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने 37 पृष्ठ के घोषणा पत्र पर आम सहमति और उसके बाद इसे अपनाने की घोषणा की।
 
घोषणा पत्र पर आम सहमति और उसके बाद इसे अपनाने की घोषणा भारत द्वारा यूक्रेन संघर्ष का वर्णन करने के लिए जी-20 देशों को एक नया पाठ बांटने के कुछ घंटों बाद की गई। मोदी ने शिखर सम्मेलन में नेताओं से कहा, मित्रों, हमें अभी-अभी अच्छी खबर मिली है कि हमारी टीम की कड़ी मेहनत और आपके सहयोग के कारण, नई दिल्ली जी-20 लीडर्स समिट डिक्लेरेशन पर आम सहमति बन गई है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं घोषणा करता हूं कि इस घोषणा पत्र को स्वीकार कर लिया गया है।
 
मोदी ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट में कहा, नई दिल्ली घोषणा पत्र (नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लरेशन) अपनाने के साथ ही इतिहास रचा गया है। सर्वसम्मति और उत्साह के साथ एकजुट होकर हम एक बेहतर, अधिक समृद्ध और सामंजस्यपूर्ण भविष्य के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करने का संकल्प लेते हैं। जी-20 के सभी सदस्यों को उनके समर्थन और सहयोग के लिए आभार।
भारत की अध्यक्षता में शक्तिशाली जी-20 समूह ने आतंकवाद के सभी रूपों की शनिवार को निंदा की और आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह और भौतिक या राजनीतिक समर्थन से वंचित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।
 
घोषणा पत्र के अनुसार, हम मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी वृद्धि और अपने जलवायु उद्देश्यों को हासिल करने के साधन के रूप में विभिन्न मार्गों का अनुसरण करते हुए स्वच्छ, टिकाऊ, न्यायसंगत, सस्ते और समावेशी ऊर्जा संक्रमण में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
 
जी-20 समूह ने व्यक्तियों, धार्मिक प्रतीकों और पवित्र पुस्तकों के खिलाफ धार्मिक घृणा के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा की। घोषणा पत्र को स्वीकार किया गया जिसमें उन्होंने धर्म या आस्था की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी और शांतिपूर्ण सभा के अधिकार पर जोर दिया।
 
जी-20 शिखर सम्मेलन पर यूक्रेन विवाद की छाया के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने समूह के नेताओं का आह्वान किया कि वे मौजूदा विश्वास की कमी को दूर करें और अशांत वैश्विक अर्थव्यवस्था, आतंकवाद तथा खाद्य, ईंधन एवं उर्वरकों के प्रबंधन का ठोस समाधान सामूहिक रूप से निकालें।
 
मोदी ने शिखर सम्मेलन में अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत पूरी दुनिया को एक साथ आने और सबसे पहले वैश्विक विश्वास की कमी को वैश्विक विश्वास और भरोसे में बदलने के लिए आमंत्रित करता है। भारत की जी-20 की अध्यक्षता में अफ्रीकी संघ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के समूह का स्थाई सदस्य बन गया। जी-20 की स्थापना 1999 में की गई थी और इसके बाद से इस गुट में यह पहला विस्तार है।
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मोदी ने दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए 55 देशों वाले अफ्रीकी संघ को नए सदस्य के तौर पर शामिल किए जाने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सभी सदस्य देशों ने स्वीकार कर लिया। मोदी ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि इस समूह को ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज भी सुननी चाहिए। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल अक्सर विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं।
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मोदी ने 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन के ‘एक पृथ्वी’ सत्र को संबोधित करते हुए कहा, यह वैश्विक कल्याण के लिए सभी के एक-साथ मिलकर चलने का समय है। जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी सहित अन्य नेता भाग ले रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शिखर सम्मेलन में शिरकत नहीं कर रहे हैं।
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मोदी ने यहां ‘भारत मंडपम’ सम्मेलन केंद्र में सभा को संबोधित करते हुए कहा, वैश्विक कोविड महामारी के बाद दुनिया ने विश्वास में कमी की नई चुनौती का सामना किया और दुर्भाग्य से युद्धों ने इसे गहरा कर दिया। उन्होंने कहा, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि यदि हम कोविड जैसी वैश्विक महामारी को हरा सकते हैं, तो हम विश्वास में कमी की इस चुनौती से भी पार पा सकते हैं। आज भारत जी-20 के अध्यक्ष के रूप में पूरी दुनिया से विश्वास की कमी को एक-दूसरे पर भरोसे में तब्दील करने की अपील करता है।
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मोदी ने कहा, अब समय आ गया है, जब पुरानी चुनौतियां हमसे नए समाधान चाहती हैं और इसीलिए हमें अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के वास्ते मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना होगा। यूक्रेन संघर्ष के संबंध में नई दिल्ली घोषणा पत्र में बाली दस्तावेज से अलग भाषा को लेकर जयशंकर ने कहा, बाली, बाली था, नई दिल्ली, दिल्ली है। बाली घोषणा के बाद से कई चीजें घटित हुई हैं।
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उन्होंने कहा, किसी को भी इसके बारे में रूढ़िवादी दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए। नई दिल्ली घोषणा पत्र आज की स्थिति पर आधारित है। ‘जी-20 बाली लीडर्स डिक्लेरेशन’ में कहा गया था, हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित अन्य मंचों पर व्यक्त किए गए रुख को दोहराया, जिसे दो मार्च 2022 के प्रस्ताव संख्या ईएस-11/1 में अपनाया गया था। समूह यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा करता है और यूक्रेन के क्षेत्र से उसकी पूर्ण और बिना शर्त वापसी की मांग करता है। इसमें यह भी कहा गया था, ज्यादातर सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा की।
 
यह पूछे जाने पर कि यूक्रेन मुद्दे पर आम सहमति पर पहुंचना कितना मुश्किल था, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, यह 83 पैराग्राफ का घोषणा पत्र है और इसमें बहुत सारे विषयों को शामिल किया गया है, लेकिन जाहिर तौर पर जारी संघर्ष और इस संबंध में अलग-अलग विचारों के कारण पिछले कुछ दिनों में भू-राजनीतिक मुद्दों के संबंध में काफी समय व्यतीत हुआ और ये मुद्दे यूक्रेन युद्ध पर ही केंद्रित थे।
 
यह पूछे जाने पर कि किन देशों ने यूक्रेन संघर्ष पर आम सहमति बनाने में मदद की, उन्होंने कहा, दरअसल हर किसी ने मदद की। सर्वसम्मति बनाने के लिए हर कोई एक साथ आया, लेकिन उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने इस पर विशेष नेतृत्व किया और हममें से कई लोगों के पास एक साथ काम करने का एक मजबूत इतिहास है।
 
भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने यूक्रेन संघर्ष के शब्दों पर बातचीत को कठिन बताते हुए कहा कि यह कई दिनों तक चली और प्रधानमंत्री के नेतृत्व के कारण मुद्दा सुलझ गया। उन्होंने कहा कि जी-20 नेताओं द्वारा अपनाया गया ‘नई दिल्ली घोषणा पत्र’ मजबूत और सतत विकास, सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगति में तेजी लाने, हरित विकास समझौते और बहुपक्षवाद में नए सिरे से जान फूंकने पर केंद्रित है।
 
कांत ने ‘एक्स’ पर किए गए सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, आज के युग को मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के स्वर्ण युग के रूप में चिह्नित किया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की जी-20 अध्यक्षता ने इस लक्ष्य की दिशा में अथक प्रयास किया है। कांत ने कहा कि जी-20 घोषणा पत्र सभी विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर 100 प्रतिशत आम सहमति के साथ ‘ऐतिहासिक’ और ‘अभूतपूर्व’ है।
 
रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ की एक खबर के अनुसार, जी-20 में रूस की शेरपा स्वेतलाना लुकाश ने कहा कि नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेनी मुद्दे पर बातचीत बहुत जटिल थी, लेकिन ब्रिक्स देशों की सामूहिक स्थिति कारगर रही। खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए, जी-20 नेताओं ने प्रासंगिक बुनियादी ढांचे पर सैन्य कार्रवाई या अन्य हमलों को रोकने का भी आह्वान किया। फोटो सौजन्‍य : यूएनआई
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

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