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दद्दू का दरबार : दिन भर क्या करती हो?

एमके सांघी
प्रश्न: दद्दू जी, जब भी मैं अपने ऑफिस या बाजार के लिए निकलने के लिए ड्रेस बदलता हूं तो मेरी धर्मपत्नी हमेशा यह कहकर दखल देती है कि यह ड्रेस क्यों पहन रहे हो वह क्यों नहीं। नई क्यों निकाली है पुरानी क्यों नहीं पहन लेते। एक ही ड्रेस (अक्सर नई वाली) बार बार क्यों पहनते हो इतनी सारी पुरानी हैं उनका क्या करेंगे। जबकि मुझे याद नहीं आता कि पिछले एक दशक में मैंने उन्हें टोका हो कि यह साड़ी क्यों पहनी और वह क्यों नहीं। नई साड़ी क्यों पहनी अलमारी भर पुरानी साड़ियों का क्या करोगी। अब आप ही बताइए पत्नी की यह दखलंदाजी उचित है। यदि नहीं तो उसे रोकने के लिए मैं क्या करूं?
 
उत्तर : बच्चू जी, यह एक ऐसी लाइलाज समस्या है जिससे अधिकांशतः मध्यमवर्गीय पति लोग जूझते हैं। दद्दू की समझ में पत्नियों को इस टोकाटाकी का पूरा अधिकार है। वह इसलिए कि पत्नी पति के कपड़े धोती है, प्रेस करती है जबकि पति पत्नी की साड़ियां नहीं धोता। पति क्या पहनते हैं इससे उसे फर्क पड़ता है। जब किसी पार्टी में जाना होगा तब आपको नई ड्रेस उसे ही निकाल कर देनी होती है। नहीं दे पाई तो 'दिन भर क्या करती हो' यह ताना भी उसे ही सुनना होता है। आई बात समझ में?    

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