Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

भारतीय रेलवे पर लगा Coronavirus महामारी का ग्रहण, 167 साल के इतिहास में पहली बार थमे ट्रेन के पहिए

Webdunia
सोमवार, 28 दिसंबर 2020 (19:12 IST)
नई दिल्ली। कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण के कारण 2020 में पहली बार आधुनिक भारत को इस बात का अनुभव हुआ कि ट्रेनों के बिना जीवन कैसे हो सकता है?
 
कोरोनावायरस (Coronavirus) से प्रभावित रहे 2020 में भारत के लोगों ने जहां ट्रेनों के महत्व को जाना, वहीं रेलवे ने भी यात्री न होने की स्थिति में तमाम नई सेवाएं शुरू कर देश की वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में मदद की।
 
भारत में कोरोनावायरस के मद्देनजर 24 मार्च को लॉकडाउन लगाया गया था और 167 साल के रेलवे के इतिहास में पहली बार इसकी रेल सेवाएं पूरी तरह से बंद की गईं.... और इसका असर कुछ ऐसा हुआ कि देशभर में अधिकतर लोग अपने घर नहीं पहुंच पाए क्योंकि उन्हें उनके घर तक पहुंचाने वाली रेल बंद थी। हजारों प्रवासी मजदूरों सहित कई लोगों को हारकर पैदल ही अपने गंतव्यों की ओर निकलना पड़ा।
 
इस दौरान ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में लाखों टिकट रद्द भी की गईं, जो रेलवे के इतिहास का एक अनसुना रिकॉर्ड बना। कई महीने बंद रहने के बाद एक मई से रेलवे ने अपनी सेवाएं फिर शुरू कीं, लेकिन केवल प्रवासी मजदूरों के लिए..... 1 मई से 30 अगस्त के बीच रेलवे ने 23 राज्यों में चार हजार से अधिक श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाईं और 63.15 लाख से अधिक मजदूरों को उनके घर पहुंचाया।
 
इन ट्रेनों से केवल फंसे हुए मजदूरों को राहत नहीं मिली, बल्कि अन्य लोगों को भी एक उम्मीद मिली की उनकी जीवन रेखा कुछ समय के लिए रुकी जरूर थी, लेकिन उसने उनका साथ अब भी नहीं छोड़ा है।
 
श्रमिक विशेष ट्रेनों में यात्रा करने के लिए लोगों से पैसे लेने को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना भी की। हालांकि रेलवे ने कहा कि उसने मजदूरों से एक रुपया भी नहीं लिया और उनकी यात्रा पर दो हजार करोड़ रुपए खर्च किए। हालांकि इस मुद्दे पर राजनीति जारी ही रही।
 
अभी रेलवे 1,089 विशेष ट्रेनें चला रहा है। कोलकाता मेट्रो 60 प्रतिशत सेवाओं का परिचालन कर रही है, मुम्बई उपनगर 88 प्रतिशत और चेन्नई उपनगर 50 प्रतिशत अपनी सेवाओं का परिचालन कर रहा है।
 
रेलवे बोर्ड के चेयामैन एवं सीईओ वीके यादव ने भी इस बात को स्वीकार किया कि रेलवे के लिए यह एक मुश्किल साल रहा लेकिन साथ ही इस बात को रेखांकित भी किया कि इस संकट को अवसर में बदलने की भी पूरी कोशिश की गई।
 
यादव ने से कहा कि यह वर्ष भारतीय रेलवे के लिए धैर्य और जीत से भरा रहा। कोविड से जुड़ी कठिन और अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करते हुए, भारतीय रेलवे ने ना केवल राष्ट्रीय खाद्य श्रृंखला को जारी रखा बल्कि बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में लाखों लोगों को भी उनके घर पहुंचाया। साथ ही अपने कार्यबल को पहचानने में सक्षम रहा, जो बेहद कठिन परिस्थितियों में नवोन्मेष समाधानों के साथ सामने आए।
 
यात्रियों की संख्या पिछले साल की तुलना में 87 प्रतिशत कम रही। रेलवे ने अपनी माल ढुलाई में व्यापक बदलाव किए, पार्सल सेवाओं की शुरुआत की, दूध, दवाइयों और यहां तक कि वेंटिलेटर जैसी आवश्यक वस्तुओं को भी ट्रेनों में ले जाया गया। रेलवे ने तेज गति और कम लागत में देशभर में फसलें भेजने के लिए किसानों के लिए आठ किसान रेल सेवाएं भी शुरू कीं।
 
रेलवे ने 5000 से अधिक ट्रेन के डिब्बों को कोविड देखभाल डिब्बों में परिवर्तित कर कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में देश का साथ भी दिया। (भाषा) 

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी और गृहमंत्री शाह से की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा...

सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

सभी देखें

नवीनतम

उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर बवाल, हिंदू संगठनों का प्रदर्शन, पुलिस ने किया लाठीचार्ज, 27 लोग घायल

Maharashtra : पुणे में पानी की टंकी गिरी, 5 श्रमिकों की मौत, 5 अन्य घायल

Cyclone Dana : चक्रवात दाना पर ISRO की नजर, जानिए क्या है अपडेट, कैसी है राज्यों की तैयारियां

भारत के 51वें CJI होंगे जस्टिस संजीव खन्ना, 11 नवंबर को लेंगे शपथ

चीन के साथ समझौते पर क्‍या बोले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

આગળનો લેખ
Show comments