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PM मोदी के प्रस्ताव के बाद संयुक्त किसान मोर्चा का बयान, बातचीत के रास्ते खुले हैं

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रविवार, 31 जनवरी 2021 (00:51 IST)
नई दिल्ली। केन्द्र के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को कहा कि सरकार के साथ बातचीत का रास्ता बंद करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज हुई सर्वदलीय बैठक में कहा था कि किसान यूनियनों के साथ बातचीत के दौरान सरकार द्वारा की गई पेशकश अभी भी बरकरार है और उससे बस सम्पर्क करके बातचीत की जा सकती है।

इस बयान के बाद ही शाम को संयुक्त किसान मोर्चा ने बातचीत का रास्ता बंद नहीं करने की बात कही है। आंदोलन में शामिल किसान नेताओं ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ‘सद्भावना दिवस’ मनाया और दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर पूरे दिन का उपवास रखा।

मोर्चा के नेता दर्शन पाल के अनुसार, किसान अपनी निर्वाचित सरकार से बातचीत करने के लिए दिल्ली के दरवाजे तक चलकर आए हैं, इसलिए किसान संगठनों द्वारा सरकार से बातचीत का दरवाजा बंद किए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। किसान संगठनों और केन्द्र सरकार के बीच अंतिम बातचीत 22 जनवरी को हुई थी।

मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि यूनियनें तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने की अपनी मांग जारी रखेंगी। मोर्चा ने किसान आंदोलन को कमजोर और बर्बाद करने के पुलिस के प्रयासों की भी आलोचना की।

पाल ने एक बयान में कहा, यह स्पष्ट है कि पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमलों को बढ़ावा दे रही है। पुलिस और भाजपा के गुंडों द्वारा लगातार की जा हिंसा सरकार के भीतर के डर को दिखाती है। बयान में कहा गया है कि दिल्ली की सभी सीमाओं सहित पूरे देश में आज एक दिन का उपवास रखा गया। किसानों ने अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखने की शपथ ली।

बयान के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और अन्य राज्यों में भी किसानों के उपवास करने की सूचना है। वहीं बिहार में मुजफ्फरपुर और नालंदा जिलों सहित अन्य जिलों में सद्भावना दिवस पर मानव श्रृंखला बनाई गई।

तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने तक जारी रहेगा किसानों का संघर्ष : राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष एवं मथुरा के पूर्व सांसद जयंत चौधरी ने कहा कि किसान बिरादरी पुरानी बातें भूलकर एकजुट हो गई है और कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर अब कोई समझौता नहीं होगा।

भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर मथुरा के मांट विधानसभा क्षेत्र के बाजना कस्बे के मोरकी इंटर कॉलेज में आरोजित किसान पंचायत में चौधरी ने कहा, किसान बहुत भोला-भाला है। राष्ट्रीय लोकदल किसी राजनीतिक मंशा से नहीं, बल्कि किसानों पर हो रहे अत्याचार को देख उनके साथ खड़ा हुआ है। यही वजह है कि किसान आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हो गए हैं।

उन्होंने कहा, किसान बिरादरी पुरानी सब बातें भुलाकर एक हो गई है। इसलिए अब जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं हो जाते, आंदोलन जारी रहेगा। यह फैसला शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में हुआ है और हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

पूर्व सांसद ने कहा, किसानों पर लाठी चलवा सरकार ने अपना इकबाल खो दिया है। इससे क्रूर और निर्दयी सरकार आज तक नहीं आई। मैं ऐसी सरकार को लानत भेजता हूं। उन्होंने कहा, किसानों का बदन लोहा, लेकिन दिल सोना है। इस आंदोलन को फिर से शुरू करने की आवश्यकता है। सोते हुए किसानों पर डंडे बरसाए गए। मैं इसकी भी आलोचना करता हूं।

उन्होंने कहा, चौधरी साहब (अजित सिंह) ने भी कहा है कि यह हमारे जीवन-मरण का सवाल है। किसे सरकार कुचलना चाह रही है, किस पर लट्ठ चला रही है, किसान पर। सरकार को इसका खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा।

समाजवादी पार्टी के नेता और विधान परिषद सदस्य संजय लाठर ने 2022 और 2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा को सबक सिखाने की चेतावनी दी। भाकियू नेता सोनू प्रधान ने इस दौरान कहा कि राकेश टिकैत के हर आंसू का हिसाब सरकार से समय पर लिया जाएगा।(भाषा)

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