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farmers protest : दिल्ली चलो मार्च, सीमाओं पर डटे किसान, पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, डल्लेवाल बोले- बातचीत के लिए तैयार

किसान नेताओं ने पथराव से किया इंकार

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 14 फ़रवरी 2024 (17:04 IST)
चंडीगढ़ में हो बातचीत 
शंभू बॉर्डर पर छोड़े आंसू गैस के गोले    
पथराव से किसानों ने किया इंकार

farmers protest News : सैकड़ों किसान बुधवार सुबह एक बार फिर अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू करने के लिए पंजाब-हरियाणा की दो सीमाओं पर डटे रहे। अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अपनी मांगों को लेकर केंद्र के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।
 
दिल्ली कूच की योजना पर बैठक : पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों ने विभिन्न मांगों को लेकर ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत हरियाणा की सीमा पर अवरोधक हटाने का नए सिरे से प्रयास किया। किसान नेता शंभू बॉर्डर पर बहुस्तरीय अवरोधक हटाकर ‘दिल्ली कूच’ की अपनी योजना पर आगे बढ़ने से पहले बैठक करेंगे।
 
आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार : पुलिस ने हरियाणा के जींद जिले में दाता सिंहवाला-खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की। पुलिस के मुताबिक, इस झड़प में नौ पुलिसकर्मियों को चोटें आईं।
 
ट्रैक्टर ट्रॉली की लगी कतार : ‘दिल्ली चलो’ मार्च में भाग लेने के लिए पंजाब के कई स्थानों से किसानों का आना जारी है। पंजाब की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी देखी जा सकती हैं।
 
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि जब कुछ किसान शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड के पास एकत्र हुए तो हरियाणा पुलिस ने बुधवार सुबह आंसू गैस के कई गोले दागे।
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प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने के लिए दृढ़ हैं। कई युवा किसानों ने शंभू बॉर्डर पर बहुस्तरीय अवरोधक हटाने के लिए अपने ट्रैक्टर तैयार रखे हैं।
 
गीले कपड़े से बचाव : प्रदर्शनकारी किसानों ने हरियाणा पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले के प्रभाव को कम करने के लिए पानी के टैंकरों की भी व्यवस्था की है। किसान आंसू गैस के गोले के प्रभाव को सीमित करने के लिए पानी की बोतलें और गीले कपड़े भी ले जाते दिखे।
 
क्या बोले किसान : कई किसानों ने कहा कि मंगलवार को हरियाणा पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले के कारण उन्हें सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन हुई। शंभू बॉर्डर पर एक प्रदर्शनकारी किसान ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए दावा किया कि कॉरपोरेट के भारी-भरकम ऋण माफ किए जा सकते हैं, लेकिन किसानों को जो चाहिए सरकार वह देने के लिए राजी नहीं है।
 
कई किसान घायल : किसान सिर्फ यह चाहते हैं कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी दे। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के लिए केंद्र की आलोचना की और कहा कि कई किसान घायल हुए हैं।
 
पंधेर ने कहा कि हम सरकार से यह सब रोकने और सकारात्मक माहौल सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं। हम कल भी बातचीत के लिए तैयार थे और आज भी इसके लिए तैयार हैं।
 
उन्होंने कहा कि किसान प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि वह एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाएं, क्योंकि उनका दिल बहुत बड़ा है। पंधेर ने कहा कि न तो सरकार उनकी मांगें मान रही है और न ही उन्हें अपने मुद्दे रखने के लिए दिल्ली की ओर जाने दे रही है।
 
पजांब-हरियाणा सीमा के दो बिंदुओं पर मंगलवार को प्रदर्शनकारी किसानों की हरियाणा पुलिस के साथ झड़प हुई थी। किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे और पानी की बौछार की थी।
पुलिस के साथ कई घंटों तक चली झड़प के बाद किसान नेताओं ने दिन भर के लिए विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया था। उन्होंने कहा कि वे बुधवार को शंभू बॉर्डर से मार्च पुन: शुरू करेंगे।
 
शंभू बॉर्डर के पास किसानों ने मंगलवार को सीमेंट से बने अवरोधक हटाने के लिए ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया। ये अवरोधक प्रदर्शनकारी किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए घग्गर नदी पुल पर हरियाणा पुलिस द्वारा बैरिकेड के हिस्से के तौर पर रखे गए थे।
 
हरियाणा पुलिस ने कहा था कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों पर पथराव कर रहे हैं।
 
प्रदर्शनकारी किसानों ने आंसू गैस के गोले फेंकने के लिए हरियाणा सरकार की आलोचना की और कहा कि वे अपनी मांगों को मनवाने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के वास्ते दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए दृढ़ हैं।
 
विफल रही थी बातचीत : संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की थी कि किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के वास्ते कानून बनाने सहित विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली कूच करेंगे। सोमवार को केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान प्रतिनिधियों की वार्ता विफल रही थी। 
 
डल्लेवाल बोले बातचीत के लिए तैयार : किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बुधवार को कहा कि वे फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।
 
डल्लेवाल ने मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने बयान में कहा है कि केंद्र किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है और किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए भी तैयार है।
 
डल्लेवाल ने यहां शंभू बार्डर पर संबोधित करते हुए कहा कि हम केंद्र सरकार को यह कहने के लिए कोई गुंजाइश नहीं देना चाहते कि वह हमें आमंत्रित कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। जिसे हमने स्वीकार कर लिया है और हम बातचीत के लिए तैयार हैं।
 
चंडीगढ़ में हो बातचीत : उन्होंने कहा कि किसान नेताओं ने सरकार के साथ बातचीत के लिए साथी किसानों की सहमति ली है। भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधुपुर) के अध्यक्ष डल्लेवाल ने कहा, ‘‘ उनकी सहमति के बाद हम बातचीत करेंगे। हमारी प्राथमिकता है कि यह बातचीत चंडीगढ़ में हो। यदि केंद्र ने यह सब देखने के बाद सुझाव दिया है और कहा है कि वे हमारे मुद्दों का समाधान करने के लिए तैयार हैं तो हमें उनकी बात सुननी चाहिए।’’
 
डल्लेवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें अभी तक बातचीत के लिए कोई निमंत्रण नहीं मिला है। उन्होंने पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के लिए केंद्र की भी आलोचना की।
 
हालांकि, डल्लेवाल ने हरियाणा पुलिस के उन दावों का खंडन किया कि प्रदर्शनकारी किसानों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया था।
 
किसान नेता अब तक सरकार से दो बार बातचीत कर चुके हैं। सबसे पहले किसानों ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय से बातचीत की थी। जबकि किसानों और सरकार के बीच दूसरे दौर की बातचीत चंडीगढ़ में हुई थी। ये दोनों बैठक बेनतीजा रहीं हैं।
 
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा अपनी मांगों को स्वीकार कराने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के वास्ते 'दिल्ली चलो' आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं।

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