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Bharat Bandh Updates : भारत बंद का कहां, कैसा रहा असर, जानिए दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक का हाल

Bharat Bandh Updates : भारत बंद का कहां, कैसा रहा असर, जानिए दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक का हाल
, मंगलवार, 8 दिसंबर 2020 (20:23 IST)
नई दिल्ली/चंडीगढ़। नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान पर मंगलवार को देश के कई हिस्सों में दुकानों एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के बंद रहने, यातायात बाधित होने से जनजीवन प्रभावित हुआ।
 
प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़क एवं रेल मार्गों को बाधित किया। हालांकि बंद लगभग शांतिपूर्ण रहा और किसानों ने अपनी शक्ति प्रदर्शित की। स्वराज इंडिया पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने दावा किया कि 25 राज्यों में करीब 10,000 स्थानों पर राष्ट्रव्यापी बंद का असर देखने को मिला।
बंद से आपात सेवाओं और बैंकों को दूर रखा गया। बैंक भी खुले रहे। अखिल भारतीय बंद को अधिकतर विपक्षी दलों और कई मजदूर संघों का समर्थन मिला। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के अलावा ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार और महाराष्ट्र में भी बंद का असर देखा गया। हालांकि यह शांतिपूर्ण रहा।
 
बंद के मद्देनजर देशभर में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। कुछ स्थानों पर अशांत भीड़ भी देखने को मिली और दिल्ली से लगी सीमा पर काफी संख्या में प्रदर्शनकारी जमे रहे। प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में कई स्थानों पर रेल पटरियां अवरूद्ध कर दीं।
 
प्रदर्शन के टीकरी जैसे केंद्र बिंदु पर ‘किसान एकता जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए और आंदोलन ने जोर पकड़ा। सोशल मीडिया भी इससे अछूता नहीं रहा, जहां दोपहर बाद तक ‘आज भारत बंद है’ हैशटैग छाया रहा।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में मंडियां बंद रहीं लेकिन दुकानें खुली रहीं, राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस और प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें होने की खबरें हैं।
 
दिल्ली में अधिकतर मुख्य बाजार खुले रहे। हालांकि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा दिल्ली पुलिस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नजरबंद करने का आरोप लगाए जाने के बाद तनाव पैदा हो गया था। दिल्ली पुलिस ने इस दावे को खारिज कर दिया, लेकिन आप के नेता अपने रुख पर अड़े रहे।
 
किसान संगठनों ने पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चक्काजाम प्रदर्शन के दौरान देशभर में राष्ट्रीय राजमार्ग अवरूद्ध करने और टोल प्लाजा घेरने की धमकी दी थी।
 
अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के महासचिव हन्नान मौला ने कहा कि ‘भारत बंद’ किसानों की ताकत दिखाने का एक जरिया है और उनकी जायज मांगों को देशभर के लोगों का समर्थन मिला है।
 
मौला ने कहा कि हम तीनों (नए कृषि) कानूनों की पूरी तरह वापसी की अपनी मांग पर अडिग हैं और किसी तरह के संशोधनों पर राजी नहीं होंगे। ये ऐसे कानून हैं, जिसमें संशोधन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा...यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम अपने आंदोलन को अगले चरण में ले जाने को तैयार हैं।
प्रदर्शनकारी किसानों को इस बात का डर है कि नए कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे और मंडिया खत्म हो जाएंगी, जिसके बाद वे बड़े कॉरपोरेट की दया के सहारे रह जाएंगे। वहीं, सरकार का कहना है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर उपलब्ध कराएंगे और कृषि में नयी प्रौद्योगिकी लेकर आएंगे।
 
विपक्षी दलों के बुधवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने की उम्मीद है, जिस दौरान वे केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के बारे में अपनी आशंकाओं से उन्हें अवगत कराएंगे।
 
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने के पहले (कृषि कानूनों का विरोध करने वाले) विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता बैठक कर चर्चा करेंगे और सामूहिक रुख अपनाएंगे।
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बंद के दौरान पंजाब और हरियाणा में दुकानें एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान तथा हजारों पेट्रोल पंप बंद रहे। दोनों राज्यों में सुबह से ही किसान राजमार्गों एवं अन्य मुख्य मार्गों पर एकत्र हुए। पंजाब में सभी बड़ी पार्टियों--सत्तारूढ़ कांग्रेस सहित आप और शिरोमणि अकाली दल (शिअद)-- ने अपना समर्थन दिया।
 
पंजाब सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुखचैन खैरा ने बताया कि किसानों के समर्थन में 50,000 से अधिक सरकारी कर्मचारियों ने सामूहिक आकस्मिक अवकाश लिया। पड़ोसी राज्य एवं भाजपा-जजपा गठबंधन शासित हरियाणा में विपक्षी कांग्रेस और इंडिशन नेशनल लोकदल ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया।
 
हरियाणा पुलिस के यात्रा परामर्श में लोगों को चेतावनी दी गई थी कि मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग बंद रहेंगे और बंद का मुख्य असर दोपहर 12 बजे से दोपहर तीन बजे तक देखे जाने की उम्मीद है।
 
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस और वाम दलों के साथ ‘भारत बंद’ का समर्थन किया। हालांकि, इसे लागू कराने से दूर रही। राज्य में बंद का मिला जुला असर देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों ने राज्य में कई स्थानों पर रेल पटरियों को जाम किया और सड़कों पर धरना दिया।
 
बिहार में भी बंद से जनजीवन प्रभावित हुआ। राज्य में विपक्षी दलों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। राज्य के जहानाबाद जिले में पटना-पलामू एक्सप्रेस ट्रेन को बंद समर्थकों ने कुछ देर के लिए रोक दिया।
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ओडिशा में भी ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं, जहां किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं, मजदूर संघों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भुवनेश्वर, कटक, भद्रक और बालेश्वर में पटरियों पर धरने पर बैठ गए थे। राज्य में शेष स्थानों पर भी जनजीवन प्रभावित हुआ, जहां बाजार एवं कार्यालय बंद रहे तथा कांग्रेस और वाम दलों के समर्थकों ने मुख्य सड़कों को बाधित किया।
 
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन ने बंद का समर्थन किया। पुणे, नासिक, नागपुर और औरंगाबाद में थोक बाजार बंद रहे। कई शहरों में दुकानें बंद रहीं। राज्य के कई हिस्से में कृषि उत्पाद विपणनन समितियां (एपीएमसी) बंद रहीं।
 
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने एक रिकॉर्डेड संदेश में कहा कि मैं देश के लोगों से अपील करता हूं, दिल्ली में जो आंदोलन चल रहा है, वह पूरे देश में चलना चाहिए। सरकार पर दबाव बनाने के लिए ऐसी स्थिति बनाने की जरूरत है और इसके लिए किसानों को सड़कों पर उतरना होगा। लेकिन कोई हिंसा नहीं करे। हजारे महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगण सिद्धि गांव में दिन भर के अनशन पर बैठे। अन्य राज्यों में बंद का मिला-जुला असर रहने की खबर है।
अधिकारियों ने बताया कि असम में दुकानें बंद रहीं, प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कर दीं और धरना दिया लेकिन ज्यादातर कार्यालय खुले रहे। दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। तेलंगाना में सत्तारूढ तेलंगाना राष्ट्र समिति और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल तथा विभिन्न संगठनों ने प्रदर्शन किए।
 
तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल द्रमुक और कांग्रेस सहित उसके सहयोगी दलों ने राज्य भर में प्रदर्शन किए लेकिन जनजीवन मुख्य रूप से अप्रभावित रहा। गोवा, हिमाचल प्रदेश, मेघालय और अरूणाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में बंद का ज्यादा असर देखने को नहीं मिला और जनजीवन सामान्य रहा। (भाषा)

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