Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

Bharat Bandh : कृषि कानूनों के विरोध में भारत बंद आज, सुबह 11 से 3 बजे तक चक्काजाम, केंद्र ने जारी किया परामर्श

Bharat Bandh : कृषि कानूनों के विरोध में भारत बंद आज, सुबह 11 से 3 बजे तक चक्काजाम, केंद्र ने जारी किया परामर्श
, मंगलवार, 8 दिसंबर 2020 (00:52 IST)
नई दिल्ली/चंडीगढ़। केंद्र के हालिया कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संघों के आज राष्ट्रव्यापी बंद के आह्वान को कुछ मजदूर संघों ने भी समर्थन देने का ऐलान किया है। हालांकि किसान नेताओं ने कहा है कि किसी को भी बंद में शामिल होने के लिये बाध्य नहीं किया जाएगा।
लगभग सभी विपक्षी दलों द्वारा ‘भारत बंद’ को समर्थन देने और कई संगठनों के किसानों के समर्थन में समानांतर प्रदर्शन करने की घोषणा के बाद केंद्र ने परामर्श जारी करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुरक्षा बढ़ाने और शांति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
 
सभी से 'सांकेतिक' बंद में शामिल होने की अपील करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि अपने प्रदर्शन के तहत सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक वे 'चक्काजाम' प्रदर्शन करेंगे जिस दौरान प्रमुख सड़कों को जाम किया जाएगा। प्रदर्शन के तहत उत्तरी राज्यों खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और दिल्ली के किसान सड़कों पर उतरे हैं।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारा बंद राजनीतिक दलों के बंद से अलग है। यह विचारधारा के कारण किया गया चार घंटे का सांकेतिक बंद है। हम चाहते हैं कि आम आदमी को कोई परेशानी न हो। हम उनसे इस अवधि के दौरान यात्रा न करने की अपील करते हैं। उन्होंने कहा कि हम दुकानदारों से भी इस अवधि के दौरान अपनी दुकानें बंद रखने का अनुरोध करते हैं।
 
भारतीय किसान एकता संगठन के अध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाला ने किसानों से शांति बनाकर रखने और बंद लागू करने के लिए किसी से नहीं झगड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि बंद के दौरान आपातकालीन सेवाओं को छूट रहेगी। नेताओं ने दावा किया कि बंद पूरे देश में प्रभावी होगा।
 
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि मोदी सरकार को हमारी मांगों को स्वीकार करना होगा। हम नए कृषि कानूनों को वापस लेने से कम किसी चीज में नहीं मानेंगे। केंद्र और किसान संघ बंद के एक दिन बाद छठे दौर की वार्ता करेंगे क्योंकि पूर्व में हुई बातचीत में गतिरोध बरकरार रहा था।
 
विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए भाजपा ने उन पर 'शर्मनाक दोहरे मापदंड' का आरोप लगाते हुए दावा किया कि उनमें से कई ने सत्ता में रहने के दौरान इन सुधारों का समर्थन किया था या संसद में उनका समर्थन किया था।
webdunia
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए भाजपा के विरोधी दल किसानों के प्रदर्शन में कूद पड़े हैं जबकि विभिन्न चुनावों में देश की जनता उन्हें बार-बार खारिज कर चुकी है।
 
प्रसाद ने आरोप लगाया कि किसानों का एक वर्ग 'निहित स्वार्थ' वाले कुछ लोगों के चंगुल में है और सरकार सुधारों को लेकर उनके बीच फैलाए गए भ्रम को दूर करने पर काम कर रही है। भाजपा नेता ने राजनीतिक दलों को अपने प्रदर्शन से नहीं जुड़ने देने के लिए कृषक संघों की सराहना भी की।
 
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी विपक्षी दलों पर निशाना साधा। प्रदर्शनकारी किसानों को हालांकि कलाकारों, खिलाड़ियों और मजदूर संगठनों समेत विभिन्न वर्गों के समर्थन भी मिल रहे हैं।
 
करीब 95 लाख ट्रक मालिकों और अन्य का प्रतिनिधित्व करने वाली देश में ट्रांसपोर्टरों की शीर्ष संस्था ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने कहा कि बंद के समर्थन में वह पूरे देश में अपना संचालन बंद रखेगी। ऐसे में हड़ताल का वस्तुओं के परिवहन पर असर पड़ सकता है। ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन ने भी किसानों का समर्थन किया है और कहा है कि उससे जुड़े लोग भोजनावकाश के दौरान धरने का आयोजन करेंगे। 
 
करीब नौ लाख सदस्यों वाले रेलवे संघ के समर्थन के साथ ही कई परिवहन संघों और मजदूर संघों के संयुक्त मंच जैसे इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) और द सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने भी किसानों के बंद को समर्थन दिया है।
 
कारोबारी संगठन सीएआईटी और ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने हालांकि कहा कि दिल्ली समेत देशभर में बाजार खुले रहेंगे और परिवहन सेवाओं का संचालन भी जारी रहेगा।
 
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) करीब सात करोड़ कारोबारियों के प्रतिनिधित्व का दावा करती है तो वहीं एआईटीडब्ल्यूए ने कहा कि वह देश में संगठित परिवहन क्षेत्र के 60-65 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करती है।
 
बैंक संघों ने कहा कि यद्यपि वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करते हैं लेकिन मंगलवार के ‘भारत बंद’ में हिस्सा नहीं लेंगे।
 
कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और उसके सहयोगी, टीआरएस, राजद, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और वाम दलों ने बंद का समर्थन किया है।
 
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी सोमवार को ट्वीट कर बंद को अपना समर्थन व्यक्त किया और केंद्र से किसानों की मांग मानने की अपील की। इनमें से कुछ दलों ने किसानों के बंद से समर्थन के साथ ही प्रदर्शन करने की भी घोषणा की है। किसानों ने हालांकि अपने बंद को गैरराजनीतिक बताया है।
 
कांग्रेस ने कहा कि वह सभी जिला व राज्य मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगी तो वहीं पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने तीन दिनों तक विभिन्न इलाकों में धरने की घोषणा की है। आम आदमी पार्टी ने कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेगी।
webdunia
बंद और प्रदर्शनों के आह्वान के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी देशव्यापी परामर्श में कहा कि राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन किया जाए और सामाजिक दूरी रखी जाए।
 
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को बताया गया है कि ‘भारत बंद’ के दौरान शांति और धैर्य बनाए रखा जाए और एहतियाती कदम उठाए जाएं ताकि देश में कहीं भी अप्रिय घटना नहीं हो।
 
नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में हजारों किसान बीते 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के हैं।
 
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के घोषणा-पत्र में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम को रद्द करने और कृषि-व्यापार को सभी पाबंदियों से मुक्त करने का वादा था।
 
प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी ने 2013 में सभी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया था कि वे फलों व सब्जियों को एपीएमसी की सूची से हटाएं और उन्हें सीधे खुले बाजार में बेचने की इजाजत दें।
 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कृषि क्षेत्र में निजी सेक्टर की ज्यादा भागीदारी की वकालत की थी और ऐसा करने के लिए उपयुक्त नियामक व नीतिगत बदलाव की जरूरत को उजागर किया था।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राकांपा नेता शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन और पीएजीडी अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला समेत प्रमुख नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर एक दिवसीय बंद का समर्थन किया और केंद्र से किसानों की जायज मांगों को पूरा करने को कहा। इस बीच पुलिस ने दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर सुरक्षा और बढ़ा दी है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

सुशील कुमार मोदी राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित