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भारत बंद: पंजाब-हरियाणा में सड़कों पर किसान, पटरियों पर बैठकर रेलवे ट्रेक किया जाम

भारत बंद: पंजाब-हरियाणा में सड़कों पर किसान, पटरियों पर बैठकर रेलवे ट्रेक किया जाम
, शुक्रवार, 26 मार्च 2021 (11:30 IST)
चंडीगढ़। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन के तहत शुक्रवार सुबह पंजाब और हरियाणा में कई राष्ट्रीय राजमार्गों, प्रमुख सड़कों और कुछ रेलवे पटरियों पर किसान एकत्र हुए। सुरक्षा उपायों के तहत दोनों राज्यों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
 
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के अनुसार, दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर आज सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे तक भारत बंद का आयोजन किया जा रहा है।
 
किसान बठिंडा, लुधियाना, अमृतसर, पटियाला, मोहाली, रोहतक, झज्जर और भिवानी जिलों सहित दोनों राज्यों में कई जगहों पर कई राजमार्गों और सड़कों पर एकत्र हुए हैं। पंजाब के जीरकपुर और खरार कस्बों में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के एक समूह ने कहा कि वे एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों को जाने की अनुमति दे रहे हैं।
 
पुलिस ने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने अंबाला-दिल्ली राजमार्ग को अंबाला कैंट के पास अवरुद्ध कर दिया।
 
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि एक अन्य समूह ने अंबाला कैंट से करीब पांच किलोमीटर दूर शाहपुर गांव के पास एक रेलवे पटरी को जाम कर दिया, जिसके कारण दिल्ली और सहारनपुर के बीच चलने वाली सभी ट्रेनें फंसी हुई हैं।
 
किसानों ने शंभू बैरियर के पास हरियाणा-पंजाब सीमा पर अम्बाला-राजपुरा राजमार्ग और अम्बाला सिटी के पास अम्बाला-हिसार राजमार्ग को भी अवरूद्ध कर दिया। पुलिस ने बताया कि हरियाणा के नारायणगढ़ और मुलाना में विभिन्न राजमार्गों पर नाकाबंदी की गई।
 
विरोध प्रदर्शन करने वाली यूनियनों के एक संयुक्त संगठन एसकेएम ने प्रदर्शनकारी किसानों से अपील की कि वे बंद के दौरान शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करें और किसी भी तरह के गैर-कानूनी विवाद और संघर्ष में शामिल न हों।
 
एसकेएम ने एक बयान में कहा, 'संपूर्ण भारत बंद के तहत सभी दुकानें, मॉल, बाजार और संस्थान बंद रहेंगे। सभी छोटी और बड़ी सड़कों और ट्रेनों को अवरुद्ध कर दिया जाएगा। एम्बुलेंस और अन्य आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाएं निलंबित रहेंगी। भारत बंद का प्रभाव दिल्ली के भीतर भी देखा जाएगा।'
 
एसकेएम द्वारा जारी बयान में दावा किया गया है कि विभिन्न किसान संगठनों, ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों, बार संघों, राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए उसके आह्वान का समर्थन किया है। (भाषा)

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