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अनुराग ठाकुर : खून में राजनीति, स्वभाव से प्रशासक

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नई दिल्ली। स्वतंत्र भारत के सबसे युवा बीसीसीआई अध्यक्ष चुने गए अनुराग ठाकुर ने ऐसे समय में दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट संस्था का पदभार संभाला है, जब बोर्ड उच्चतम न्यायालय की आमूलचूल बदलावों की सिफारिशों के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई से जूझ रहा है।

 
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले से 3 बार के लोकसभा सांसद के लिए यह सफर निश्चित रूप से आसान नहीं होगा, क्योंकि उनका यह कार्यकाल सितंबर 2017 तक होगा और निकट भविष्य में उन्हें मुश्किल दौर से गुजरना पड़ेगा। अगर लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू की जाती हैं तो ठाकुर को अनिवार्य रूप से 3 साल की अवधि तक इंतजार करना होगा।
 
ठाकुर के लिए इस ‘हॉट सीट’ पर आगामी कुछ महीने का समय सचमुच परेशानीभरा होगा, क्योंकि उन्हें उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद बीसीसीआई की कार्यप्रणाली में तेजी से बदलाव करने होंगे।
 
लेकिन हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल के बेटे ठाकुर राजनीतिज्ञ हैं और वे अपनी विशिष्ट संचालन शैली से काम करेंगे, जो बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और शशांक मनोहर से अलग होगी। 
 
साथ ही ठाकुर के जुझारू व्यक्तित्व को भी नकारा नहीं जा सकता, जो किसी भी बात को कहने से हिचकते नहीं हैं और वे बीसीसीआई के उन अधिकारियों (तब के कोषाध्यक्ष अजय शिर्के) में शामिल थे जिन्होंने तत्कालीन अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन को मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद अपने पद से इस्तीफा देने के लिए कह दिया था।
 
हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष ठाकुर किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले समय लेते हैं। इस संदर्भ में यह मामला भी देखा जा सकता है कि रवि शास्त्री का अनुबंध विश्व टी-20 के बाद खत्म हो गया था लेकिन भारत के अगले मुख्य कोच के रूप में कौन आएगा? ठाकुर ने इसका खुलासा अभी तक नहीं किया है, लेकिन उनकी अपनी ही उपलब्धियां भी हैं। धर्मशाला में धौलाधर रेंज में स्थित क्रिकेट स्टेडियम निश्चित रूप से भारत में सबसे खूबसूरत क्षेत्र में बना स्टेडियम है।
 
धर्मशाला के अलावा हिमाचल के बिलासपुर, उना, अमतर, प्रगति नगर और लाल पानी में आधुनिक क्रिकेट ढांचे मौजूद हैं। बिलासपुर और उना ने बीसीसीआई के वरिष्ठ स्तर के मैचों की मेजबानी की है।
 
बीसीसीआई के शीर्ष स्तर पर युवा अधिकारी होने के नाते उनका राष्ट्रीय टीम के बीते और मौजूदा क्रिकेटरों से अच्छा तालमेल है बल्कि कई को लगता है कि वे खिलाड़ियों के पसंदीदा हैं, क्योंकि बतौर सचिव उन्होंने सुनिश्चित किया कि किसी भी सीनियर खिलाड़ी के लिए दरवाजे बंद नहीं हों, जो अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
 
ठाकुर के सचिव बनने के बाद युवराज सिंह, हरभजन सिंह, आशीष नेहरा सरीखे खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय टीम में वापसी की तथा सीनियर चयन समिति के समन्वयक बन गए। (भाषा)

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