जहरीली शराब मामले में नीतीश कुमार ने क्यों लिया मध्यप्रदेश का नाम, क्या है एमपी में जहरीली शराब से मौतों का ग्राफ?
आबकारी विभाग के अधिकारी मामले में जवाब देने को नहीं तैयार
बिहार में जहरीली शराब से करीब 50 ज्यादा लोगों की मौत हो गई। यह पहला मामला नहीं है, जब बिहार या देश के किसी दूसरे राज्य में इस जहरीले नशे से लोगों की मौत हुई हो। इसके पहले भी बिहार और गुजरात में मौतें हो चुकी हैं, जबकि इन दोनों ही राज्यों में शराबबंदी है। हालांकि जहरीली या अवैध शराब से मौतों के मामले में मध्यप्रदेश बिहार से भी आगे है, शायद यही वजह है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश का नाम लिया।
बता दें कि शराब से मौतों के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग की जा रही है। इसी बीच उन्होंने यह भी ऐलान किया है कि शराब से मरने वालों को सरकार कोई मुआवजा नहीं देगी। वहीं तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार से ज्यादा मध्यप्रदेश और गुजरात में जहरीली शराब से मौतें हुई हैं, ऐसे में बीजेपी राज्यों के सीएम से इस्तीफे क्यों नहीं मांगे गए।
आखिर जहरीली शराब से मौतों के मामले में क्या है मध्यप्रदेश की स्थिति?
पिछले सालों में मध्यप्रदेश में जहरीली या नकली शराब से मौतों की अक्सर खबरें आती रही हैं। साल 2020 में ही एमपी में शराब से सिर्फ 9 महीनों के भीतर ही 42 मौतें हो चुकी हैं। प्रदेश के अलग-अलग शहरों की बात करें तो खरगोन में 02 मौतें, इंदौर में 07, मंदसौर में 08, रतलाम में 11, उज्जैन में 16 और मुरैना में 28 मौतें जहरीली शराब पीने से हो चुकी हैं।
अधिकारी नहीं दे रहे जवाब!
वेबदुनिया ने जब मध्यप्रदेश में अवैध और जहरीली शराब के तस्करों पर कार्रवाई को लेकर आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त मनीष खरे से संपर्क किया तो उन्होंने इस बारे में बात करने से साफ इनकार कर दिया और फोन काट दिया। वेबदुनिया ने उनसे चर्चा कर बस यही जानने की कोशिश की थी कि बिहार की तरह मध्यप्रदेश में जहरीली या अवैध शराब से किसी की मौत न हो इसलिए आबकारी विभाग की तरफ से क्या प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त ने बात करने से मना कर दिया। सहायक आयुक्त श्री खरे को दोबारा कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
6 साल में देश में 6,172 की मौत
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 से 2022 तक देश में जहरीली शराब पीने से 6,172 लोगों की मौत हो चुकी है। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया- 2016 में 1054, 2017 में 1510, 2018 में 1365, 2019 में 1296 और 2020 में 947 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई।
5 राज्यों में शराब से मौतें
देशभर के 5 राज्यों की बात करें तो मध्यप्रदेश 1214 मौतों के साथ एक नंबर पर है। (एमपी में इनमें से 42 मौतें तो 9 महीनों में ही हो चुकी थी), बिहार 1000 मौतों के साथ दूसरे, कर्नाटक 909 के साथ तीसरे और पंजाब में जहरीली शराब से 725 लोगों की मौतें हुईं।
शराब से मौत में टॉप पर मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश : 1214 मौतें
बिहार : 1000 मौतें
कर्नाटक : 909 मौतें
पंजाब : 725 मौतें
काम नहीं आई शिवराज की सख्ती
शराब से लगातार होने वाली मौतों का संज्ञान लेते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले साल सख्ती दिखाई थी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि अवैध शराब से यदि किसी की मौत होती है तो आरोपी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड दिया जाएगा। पहले इसके लिए अधिकतम 10 साल की सज़ा का प्रावधान था। वहीं, जुर्माने की राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए किया गया था।
नई शराब नीति नहीं हो सकी कारगर
शराब से होने वाली मौतों को रोकने और अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए सरकार ने नई शराब नीति में नई दुकानें खोलने के बजाय मांग वाले इलाकों और क्षेत्रों में उप-दुकानें खोलने का निर्णय लिया था, लेकिन, अवैध शराब बिक्री रोकने में यह नीति भी काम नहीं आई।
कैसे जान ले लेती है जहरीली शराब?
इंदौर के जाने-माने जनरल फिजिशियन डॉक्टर प्रवीण दाणी ने खासतौर से वेबदुनिया को बताया कि जो इथाइल एल्कोहल वाली शराब को नॉर्मल शराब माना जाता है, जिसे हम अच्छी और लाइसेंस्ड वैध दुकानों से खरीदकर पीते हैं, जबकि जहरीली शराब में मिथाइल अल्कोहल होता है। डॉ दाणी ने बताया कि दरअसल, मिथाइल एल्कोहल सस्ता होता है या सस्ता पडता है, इसलिए इसे शराब में डाला जाता है। ये बॉडी में मेटाबॉलिक एसीडोसेस बढ़ाने का काम करता है। अगर यह स्तर बढ़ता है तो शरीर के ऑर्गन यानी बॉडी पार्ट काम करना बंद कर देते हैं। डॉ दाणी ने बताया कि छोटे अस्पतालों यह डिडक्ट नहीं हो पाता है। ऐसे में ऐसी शराब पीने वालों की मौत हो जाती है। यह आंखों पर असर डालकर लोगों को अंधा भी कर सकता है। लेकिन समय पर सही अस्पताल या डॉक्टर के पास ले जाने पर जान बचाई जा सकती है। जानकारों के मुताबिक शराब का अवैध धंधा करने वाले और तस्कर खर्च ज्यादा होने की वजह से आमतौर पर अस्पतालों में उपयोग होने वाले सर्जिकल स्प्रिट का इस्तेमाल करते हैं। इसमें 95 प्रतिशत इथेनॉल और 5 प्रतिशत अल्कोहल होता है।