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नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा का मिशन दक्षिण जरूरी या 'मजबूरी'?

नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा का मिशन दक्षिण जरूरी या  'मजबूरी'?
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विकास सिंह

, शनिवार, 12 नवंबर 2022 (15:33 IST)
2024 को लोकसभा चुनाव में भले ही अभी लंबा वक्त शेष बचा हो लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अपने मिशन दक्षिण भारत का आगाज कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण भारत के चार राज्यों कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के दो दिन के दौरे पर है। भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में मिशन मोड में आ चुकी है,इसके साथ भाजपा का फोकस दक्षिण भारत के उन राज्यों पर भी है जहां आने वाले वक्त में विधानसभा के चुनाव होने हैं। अगले साल होने वाले कर्नाटक,तेलंगाना और तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए भाजपा ने अपना मिशन शुरु कर दिया है।
 
दक्षिण भारत पर भाजपा का फोकस क्यों?-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा 2014 से केंद्र की सत्ता में काबिज है। 2019 को लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर भारत के बड़े राज्यों में बड़ी जीत हासिल की थी। अगर 2019 के चुनाव नतीजों को देखे तो भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 62 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं मध्यप्रदेश की 29 में 28, गुजरात की सभी 26 सीटों, महाराष्ट्र की 48 में से 23 सीटों पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया। इसके साथ राजस्थान की 25 में 24 सीटों पर,बिहार की 17 सीटें, छत्तीसगढ़ की 11 में से 9 सीटें, हरियाणा की सभी 10 सीटें, हिमाचल की सभी 4 सीटों पर भाजपा ने 2019 में जीत हासिल की है। वहीं दिल्ली की सातों सीट,  उत्तराखंड की पांचों सीटों, जम्मू-कश्मीर की 6 में से 3 सीटें जीती, झारखंड की 14 में से 11 सीटें, ओडिशा की 21 में से 8 सीटें और पश्चिम बंगाल की 42 में से 18 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। 

दक्षिण भारत भाजपा के लिए चुनौती?-अगर 2019 के चुनाव परिणाम को देखे तो भाजपा उत्तर भारत के राज्यों में अपने उच्चतम प्रदर्शन कर चुकी है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही जहां उत्तर भारत में भाजपा का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण के कई राज्यों में उसका खाता तक नहीं खुल पाया। 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक को छोड़कर भाजपा का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा।  आंध्र प्रदेश की 25 सीटों में वाईएसआरसीपी ने 22 सीटों पर जीत हासिल की जबकि 3 सीटों पर टीडीपी का कब्जा रहा था। वहीं आंध्र प्रदेश के साथ-साथ केरल में भाजपा का खाता नहीं खुला।
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यहीं कारण है कि भाजपा ने अब मिशन 2024 के लिए दक्षिण पर अपना फोकस कर दिया है, भाजपा ने मिशन दक्षिण के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रणनीति पर काम करना शुरू भी कर दिया है दरअसल भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है
 
दक्षिण भारत के पांच राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलगांना, केरल और कर्नाटक में लोकसभा की कुल 129 सीटें है, ऐसे में भाजपा ने 2024 के लिए इन सीटों पर अपना फोकस कर दिया है। 2024 के चुनावों से भाजपा दक्षिण के इन राज्यों में अपना संगठन मजबूत करने में जुटी ही है जिससे लोकसभा में पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर सके। 
 
दक्षिण भारत में भाजपा के लिए मौका-मौका!-चुनावी रणनीतिकरों का मानना है कि दक्षिण भारत में भाजपा के लिए मौका-मौका ही है।  कर्नाटक जहां भाजपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 28 सीटों में से 25 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं से प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दक्षिण भारत के मिशन का आगाज किया। वहीं कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने है। कर्नाटक में सत्ता में काबिज भाजपा एक बार सत्ता में लौटने का प्लान तैयार कर रही है। इसके साथ कर्नाटक के साथ भाजपा की नजर  तेलगांना पर भी टिका है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तेलंगाना में भाजपा ने 4 सीटों पर जीत हासिल कर सभी को चौंका दिया था। ऐसे में तेलंगाना में जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने है भाजपा ने अपना पूरा फोकस कर दिया है। 

भाजपा ने 2024 के चुनावी रण के लिए अपनी ताकत दक्षिण के पांच राज्यों में झोंकने की तैयारी कर ली है। पिछले दिनों भाजपा की हैदराबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ‘दक्षिण विजय’ का रोडमैप तैयार किया गया। इसके साथ ही दक्षिण के किले में सेंध लगाने के लिए भाजपा सियासी कार्ड भी चल रही है। हाल ही में देश के उच्च सदन राज्यसभा में मनोनीत होने वाली पीटी ऊषा केरल से,संगीतकार इलैया राजा तमिलनाडु से, लेखक और निर्देशक वी विजयेंद्र आंध्र प्रदेश और समाजसेवी वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक से आते है। 
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राजीव गांधी की हत्यारों की रिहाई से यूपीए संकट में!- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का तमिलाडु की राजनीति पर आने वाले समय में काफी असर देखने को मिल सकता है। राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके जोकि कांग्रेस के नेतृत्व में वाली यूपीए की प्रमुख घटक दल है लंबे समय से राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई की मांग कर रही थी। वहीं कांग्रेस ने राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई पर सवाल उठाया है और खुलकर इसका विरोध किया है। 
 
अगर देखा जाए तो 2019 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में डीएमके और कांग्रेस ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और राज्य की 39 में से 38 सीटों पर कब्जा जमाया था, ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट से राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के फैसले ने डीएमके को ‘धर्मसंकट’ में डाल दिया है।

अगर लोकसभा चुनाव के लिए डीएमके कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव में जाती है तो उसको नुकसान हो सकता है। वहीं कांग्रेस के लिए तमिलाडु में एक तरफ कुंआ और दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति है। अगर कांग्रेस डीएमके के साथ चुनाव में जाती है तो सवाल उठेगा कि राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का समर्थन करने वाली डीएमके के साथ कांग्रेस सिर्फ चुनावी फायदे के लिए जा रही है और अगर कांग्रेस अकेले चुनाव में जाती है तो उसका सीधा मुकाबला डीमके से होगा जो तमिलनाडु के साथ केंद्रीय स्तर पर यूपीए की एकता के लिए एक बड़ा संकट होगा। 

राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ने बढ़ाया टेंशन- 2024 को लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने मुख्य चुनौती कांग्रेस है। 2024 के लिए कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरु कर दी है। 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बेहद अहम मानी जा रही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को दक्षिण भारत में जिस तरह से रिस्पॉन्स मिला है उससे भाजपा की चिंता बढ़ गई है। तमिलनाडु से शुरु हुई भारत जोड़ो यात्रा को केरल, कर्नाटक और तेलंगाना में जिस तरह से लोगों की भीड़ उमड़ी उसने भाजपा को अलर्ट मोड पर आ गई। शायद यहीं कारण है कि भाजपा ने बिना देर किए अपने दक्षिण भारत के मिशन का आगाज कर दिया है। 

दक्षिण की विजय भाजपा के लिए कितना मायने रखती है इसको भाजपा के चुनावी चाणक्य और देश के गृहमंत्री अमित शाह के पूर्व में दिए इस बयान से समझा जा सकता है कि भाजपा का स्वर्णिण काल तब आएगा जब दक्षिण भारत में कमल खिलेगा। दक्षिण भारत में कर्नाटक के बाद तेलंगाना में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तेलंगाना में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनेगी। इसके साथ प्रधानमंत्री ने तेलंगाना में अगले साल डबल इंजन की सरकार बनने का दावा किया। 

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