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इंदौर कैसे बना लगातार 6 बार भारत का सबसे साफ़ शहर, जानिए स्वच्छता के सिक्सर की इनसाइड स्टोरी

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रविवार, 2 अक्टूबर 2022 (10:53 IST)
इंदौर ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए लगातार छठी बार सफाई में देश में नंबर 1 बनने का का गौरव हासिल किया। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी की स्वच्छता से प्रभावित राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कहा कि पूरे देश को इंदौर का जनभागीदारी मॉडल अपनाना चाहिए। 2016 में जब स्वच्छता सर्वे शुरू हुआ था तब इंदौर 25वें नंबर पर था। फिर मां अहिल्या की नगरी ने ऐसा संकल्प लिया कि स्वच्छता ही इसकी पहचान बन गई। इंदौर कैसे बना लगातार 6 बार भारत का सबसे साफ़ शहर, जानिए स्वच्छता के सिक्सर की इनसाइड स्टोरी...
 
2022 के इस सर्वेक्षण में अलग-अलग श्रेणियों में कुल 4,355 शहरों के बीच टक्कर थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में दिल्ली में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में इंदौर को 1 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में फिर सिरमौर घोषित किया गया।
 

क्यों नंबर 1 है इंदौर :
 
इंदौर स्वच्छता में यूं ही नहीं है नंबर 1 : दिवाली हो, रंगपंचमी या अनंत चर्तुदशी सभी त्योहार यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं। इस दौरान सड़क पर कचरा भी होता है। शहरवासी जब सड़कों पर अंबार लगाकर आराम से कर रहे होते हैं, तब नगर निगम की सफाईकर्मियों की टीम सड़क पर उतरती है और देखते ही देखते सड़कें चकाचक हो जाती है। इस काम में न रात देखी जाती है ना दिन।
 
कचरे से निकला सफलता का रास्ता : केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर के लगातार छठी बार देश भर में अव्वल रहने की सिलसिलेवार कामयाबी हर रोज औसतन 1,900 टन कचरे को हर दरवाजे से 6 श्रेणियों में अलग-अलग जमा करने और इसका सुरक्षित निपटान के मजबूत मॉडल पर टिकी है। इंदौर देश का पहला कचरा मुक्त शहर है। इस साल शहर ने कचरे 14 करोड़ रुपए की कमाई की है।
 
शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गीले कचरे से बायो-सीएनजी बनाने का एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र लगाने के बाद इंदौर ने देश के अन्य शहरों को सफाई के मुकाबले में काफी पीछे छोड़ दिया है।
 
गंदे पानी का संयंत्रों में उपचार : शहर में निकलने वाले गंदे पानी का विशेष संयंत्रों में उपचार किया जाता है और इसका 200 सार्वजनिक बगीचों के साथ ही खेतों और निर्माण गतिविधियों में दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है। 
 
महापौर से लेकर आम आदमी तक सब हीरो : इंदौर को नंबर 1 बनाने में महापौर, निगमायुक्त, सफाइकर्मियों से लेकर इंदौर में रहने वाले लोगों तक सभी का बराबर योगदान है। शहर ने स्वच्छता को आदत बनाकर एक ऐसी मिसाल पेश की है जो यहां आने वाले सभी लोगों को एक सबक दे जाती है। यहां कचरा सड़क पर नहीं फेंका जाता बल्कि हरे और नीले रंग के बक्सों को ढूंढ कर उसमें ही फेंका जाता है।
 
आसान नहीं है 7वीं बार जीत की राह : भले ही इंदौर लगातार 6 बार से नंबर वन रहा हो लेकिन उसे सूरत, नवी मुंबई और विशाखापट्टनम जैसे शहरों से कड़ी टक्कर मिल रही है। शहर में 120 माइक्रान से कम के प्लास्टिक और डिस्पोजल का इस्तेमाल पूरी तरह बंद करना होगा। वायु गुणवत्ता के स्तर को सुधारने की दिशा में लगातार काम करना होगा। शहर में फिलहाल प्रति व्यक्ति 402 ग्राम कचरा उत्पन्न हो रहा है जिसे 398 ग्राम पर लाना होगा। 
 
Edited by : Nrapendra Gupta 

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