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देवशयनी एकादशी 2023 कब है?

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मंगलवार, 30 मई 2023 (14:33 IST)
Devshayani ekadashi kab hai 2023 : देव शयनी एकादशी को हरि शयन एकादशी, आषाड़ी एकादशी और देव शयन एकादशी भी कहते हैं। इस दिन चार माह के लिए देव सो जाते हैं। जब देव सो जाते हैं तो किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। फिर देव उत्थान एकादशी पर देव उठते हैं इसके बाद ही वैवाहिक आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं।
 
 
देवशयनी एकादशी कब है 2023 :
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारस को देवशयनी एकादशी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह एकादशी 29 जून 2023 गुरुवार के दिन रहेगी। इसी दिन से चातुर्मास प्रारंभ हो जाएंगे। चार माह भगवान विष्णु का शयन काल होता है। पुराणों के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं इसलिए इसे हरिशयनी एकादशी कहा जाता है।
कैसे सुलाते हैं श्रीहरि को :
- जिस तरह विशेष पूजा और मंत्रों के साथ देव को उठाया जाता है उसी प्रकार उन्हें सुलाया भी जाता है। 
- इस दिन व्रत रखकर श्रीहरि विष्णु जी की विशेष पूजा होती है। उनका षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।
- षोडशोपचार पूजन का अर्थ है कि पुष्प, गंध, हल्दी, कूंकू, धूप, दीप, मीठा पान, तुलसी, नैवेद्य आदि 16 प्रकार की वस्तुएं उन्हें अर्पित करते हैं।
- भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन अर्पित करके उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करते हैं।
-पूजा के बाद आरती उतारें और इस मंत्र द्वारा भगवान विष्णु की स्तुति करें-
 
   ‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्।
   विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।
अर्थात हे जगन्नाथ जी! आपके निद्रित हो जाने पर संपूर्ण विश्व निद्रित हो जाता है और आपके जाग जाने पर संपूर्ण विश्व तथा चराचर भी जाग्रत हो जाते हैं।
 
इस प्रकार श्रीहरि विष्णु का पूजन करने के बाद ब्रह्मणों को भोजन कराकर स्वयंभ भोजन करें और फिर रात्रि में भगवान भजन एवं स्तुति करने के बाद उन्हें सुलाएं और अंत में आप शयन करें।
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