एकादशी व्रत (ekadashi vrat) सभी महीनों के शुक्ल और कृष्ण दोनों पक्षों में किया जाता है। चैत्र कृष्ण एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी सभी तरह के पापों से मुक्ति दिलाती है।
1. इस व्रत को करने से मनुष्य जहां विष्णु पद को प्राप्त करता है वहीं उसके समस्त कलुष समाप्त होकर निर्मल मन में श्रीहरि का वास हो जाता है।
2. पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
3. पापमोचिनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु का ध्यान करें, इस दिन अगर रात्रि जागकर ध्यान और भजन-कीर्तन किया जाए तो हजार वर्षों तक की गई तपस्या का फल प्राप्त होता है तथा घर में सुख-शांति और तरक्की के अवसर मिलते हैं।
4. पापमोचिनी एकादशी पापों से मुक्त करती है। अत: चैत्र कृष्ण एकादशी को पूरे मनपूर्वक यह व्रत करें तो सब पाप नष्ट हो जाते हैं।
5. पापमोचिनी एकादशी पर धर्म-कर्म, अनुष्ठान तथा ब्रह्मचर्य रहकर तपस्या करने से जीवन में तप और तेज की प्राप्ति होती है।
6. पापमोचनी एकादशी की कथा वाचन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं।