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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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दशहरा 2023: रावण को मारने के लिए श्री राम ने किए थे ये 5 महत्वपूर्ण कार्य

दशहरा 2023: रावण को मारने के लिए श्री राम ने किए थे ये 5 महत्वपूर्ण कार्य
Dussehra 2023: दशहरा पर माता दुर्गा ने महिषासुर और श्री राम ने रावण का वध किया था। इसीलिए आश्‍विन माह की दशमी पर विजयादशमी और दशहरा का पर्व मनाया जाता है। लेकिन आपको यह भी जानना जरूरी है कि भगवान श्रीराम ने दशानन रावण का वध करने के पहले किए थे ये 5 ऐसे कार्य जिसके कारण ही रावण का वध हो पाया था।
 
1. सुग्रीव को उसका अधिकार दिलाना : हनुमान मिलन के बाद हनुमानजी ने श्रीराम को वानरराज सुग्रीव से मिलाया। सुग्रीव ने बताया कि किस तरह उनके बड़े भाई बाली ने उन्हें राज्य से बेदखल कर दिया है जिसके चलते उन्हें किष्किंधा के इस पहाड़ पर शरण लेना पड़ी है। प्रभु श्रीराम ने बाली का वध करके सुग्रीव के किष्किंधा का सम्राट बनाया। बदले में सुग्रीन से रावण से लड़ने के लिए एक विशाल वानर सेना का गठन किया।
 
2. रामेश्‍वरम की स्थापना : श्रीराम ने अपनी सेना के साथ रामेश्वरम में पड़ाव डाला और वहां पर उन्होंने शिवजी का आहवान करने के लिए शिवलिंग की स्थापना करके उनका अभिषेक और पूजा की। उस स्थान पर आज भी वह शिवलिंग मौजूद है।  श्रीराम ने रावण का वध करने के पूर्व नीलकंठ को देखा था। नीलकंठ को शिवजी का रूप माना जाता है। अत: दशहरे के दिन इसे देखना बहुत ही शुभ होता है।
 
3. आदिशक्ति की उपासना : वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम ने युद्ध में विजयी होने के लिए ऋष्यमूक पर्वत पर आश्‍विन प्रतिपदा से नवमी तक आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना की थी। इसी के साथ उन्होंदे देवी अपराजिता की पूजा भी की थी। इसके बाद भगवान श्रीराम इसी दिन किष्किंधा से लंका के लिए रवाना हुए थे।
 
4. नल और नील से सेतु बनवाना : नल और नील दो भाई थे। नल ने ही समुद्र पर सेतु यानी ब्रिज बनाया था। यह पुल करीब 5 दिनों में बनाया गया था। जिसकी लंबाई 100 योजन और चौड़ाई 10 योजन थी। नल के निरीक्षण में वानरों की सहायता से यह पुल बनाया गया था। उस काल में इस सेतु का नाम श्रीराम ने 'नल सेतु' रखा था।

5. विभीषण से रावण की मृत्यु का राज लेना : हनुमानजी की नीति के तहत श्री राम ने विभीषण को शरण दी थी। भगवान श्रीराम को विभीषण से रावण की संपूर्ण सैन्य शक्ति का राज बताया था। इसी के साथ ही विभीषण ने यह भी बताया कि रावण की मौत कैसे होगी। इसीलिए यह संभव हो पाया कि प्रभु श्रीराम रावण का वध कर पाए।

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