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दशहरा कब है? कैसे मनाएं पर्व, इस बार बनेंगे ये दुर्लभ योग, क्या हैं शुभ और सबसे अच्छे मुहूर्त

दशहरा कब है? कैसे मनाएं पर्व, इस बार बनेंगे ये दुर्लभ योग, क्या हैं शुभ और सबसे अच्छे मुहूर्त
, मंगलवार, 27 सितम्बर 2022 (17:07 IST)
Vijayadashami 2022: शारदीय नवरात्रि के बाद दशहरा आश्‍विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा का पर्व मनाया जाता है, जिसे विजयादशमी भी कहते हैं। दशहरे के दिन को सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन को साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त में से एक है मुहूर्त माना जाता है। इस दिन हर तरह की खरीददारी की जा सकती है। आओ जानते हैं कि इस दिन के क्या है सबसे अच्‍छे मुहूर्त और दुर्लभ योग। साथ ही जानें कि कैसे मनाएं ये पर्व।
 
दशहरा कब है 2022 | Dashara kab hai 2022 :- 5 अक्टूबर 2022 को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। दशमी तिथि : शमी तिथि 12:00 PM तक उपरांत एकादशी।
 
दशहरा पर खरीदी और पूजा के सबसे शुभ मुहूर्त | Muhurat for purchase on Dussehra:-
 
अबूझ मुहूर्त : वैसे तो दशहरा के दिन को साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त में से एक माना जाता है इसलिए पूरा दिन ही शुभ होता है।
 
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:26 से 03:13 तक। इस मुहूर्त में शास्त्र पूजा कर सकते हैं।
 
अमृत काल मुहूर्त : सुबह 11:33 से दोपहर 01:02 तक। इस मुहूर्त में पूजा और खरीदी कर सकते हैं।
 
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:12 से 06:36 तक।
 
दशहरे के शुभ दुर्लभ योग :
- रवि योग : सुबह 06:30 से रात्रि 09:15 तक।
 
- सुकर्मा : 4 अक्टूबर सुबह 11:23 से दूसरे दिन 5 अक्टूबर सुबह 08:21 तक।
 
- धृति : 5 अक्टूबर सुबह 08:21 से दूसरे दिन 6 अक्टूबर सुबह 05:18 तक।
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कैसे मनाएं दशहरा का पर्व | How to celebrate Dussehra festival:
 
1. दशहरे पर सुबह वाहन, शस्त्र, राम लक्ष्णम, सीता व हनुमान, माता दुर्गा, देवी अपराजिता और शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है। दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है।
 
2. दशहरे के दिन घर से रावण दहन देखने के लिए जाते समय तिलक लगाकर जाएं और रावण दहन का आनंद लें।
 
3. रावण दहन से लौटते समय शमी के पत्ते लें और उन्हें लोगों को देकर दशहरे की बधाई दें। घर लौटने वाले की आरती उतारकर उनका स्वागत किया जाता है।
 
4. रावण दहन के बाद लोग एक-दूसरे के घर जाकर, गले मिलकर, चरण छूकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। दशहरे के दिन सभी स्वर्ण के प्रतीक शमी पत्तों को एक-दूसरे को बांटते हैं।
 
5. इस दिन बच्चों को 'दशहरी' देने का भी प्रचलन हैं। दशहरी के रूप में बच्चों को रुपए, वस्त्र या मिठाई देते हैं।
 
6.इस दिन खासतौर पर गिल्की के पकौड़े और गुलगुले (मीठे पकौड़े) बनाने का प्रचलन है। पकौड़े को भजिए भी कहते हैं।
 
7. इन दिन दुर्गा सप्तशति या चंडी पाठ भी किए जाने की परंपरा है। 
 
8. दशहरे के दिन पीपल, शमी और बरगद के वृक्ष के नीचे और मंदिर में दीया लगाने की परंपरा भी है। इस दिन घर को भी दीए से रोशन करना चाहिए।
 
9. इस दिन अपने भीतर की एक बुराई को भी छोड़ने का संकल्प लेने की परंपरा है। 
 
10. इन दिन सारे गिले-शिकवे दूर करके अपनों को गले लगाकर उसने पुन: रिश्ता कायम किए जाने का भी प्राचलन रहा है।

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