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Hyperthyroidism दिल के लिए बन रहा खतरा, डॉक्टर से जानें बचाव के उपाय

हाइपरथायरायडिज्म से दिल की बीमारियों का खतरा, नियमित रूप से व्यायाम करें, समय समय पर जांच कराते रहें : डॉ. तन्मय भराणी

Hyperthyroidism Causes

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 24 मई 2024 (15:57 IST)
Hyperthyroidism Causes
Hyperthyroidism Causes : बिगड़ती लाइफ़स्टाइल और खानपान में हो रही गड़बड़ के कारण कई तरह की बीमारियां लोगों को प्रभावित कर रही है। भारत में हर 10 में से एक व्यक्ति थायरॉयड की समस्या जूझ रहा है। इस वक्त भारत में 4 लाख से ज़्यादा लोग थायरॉयड से पीड़ित हैं। लेकिन यहाँ सबसे बड़ी समस्या यह है कि थॉयरायड से पीड़ित होने के बाद भी लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। इस बीमारी के लक्षण इतने आम होते हैं जिन्हें आसानी से नजरअंदाज किया जा सकता है। ALSO READ: AC का मजा बन जाएगी सजा! ये टेंपरेचर दिमाग और आंखों को कर देगा डैमेज, डॉक्टरों की ये सलाह मान लीजिए

पब्लिक हेल्थ अपडेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर 20 करोड़ से अधिक लोग थायरॉयड से जूझ रहे हैं और इनमें 50% मामले ऐसे हैं जिनका निदान नहीं होता है। थायरॉयड रोग की रोकथाम को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 25 मई को थायरॉयड दिवस मनाया जाता है। बहुत व्यापक रूप  से एक भ्रामक जानकारी यह भी फैली हुई है कि थॉयरायड संक्रामक बीमारी है, इसी को ध्यान में रखते हुए इस  साल की थॉयरायड दिवस की थीम 'थॉयरायड डीसीज आर नॉन- कम्युनिकेबल डिजीज' रखी गई है।  
 
एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं होता कि वे इससे पीड़ित हैं: 
मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. तन्मय भराणी के अनुसार, 'थायरॉइड गर्दन के  पास तितली के आकार की एक ग्रंथि (ग्लैंड) होती है, इससे कई आवश्यक हार्मोन निकलते हैं। यह सब के शरीर में होती है लेकिन जो हार्मोन मेटाबोलिज्म, शरीर के तापमान और विकास के लिए जरूरी होती है। लेकिन कभी कभी थायरॉयड का स्तर बढ़ने या कम होने से शरीर को नुकसान हो सकता है।

थायरॉयड विकार आयोडीन की कमी, अनियमित जीवनशैली या खानपान के कारण हो सकता है। थायरॉइड के साथ सबसे बड़ी दिक़्क़त ये है कि क़रीब एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं होता कि वे इससे पीड़ित हैं। आमतौर पर यह बीमारी महिलाओं में ज़्यादा पाई जाती है। गर्भावस्था और डिलिवरी के पहले तीन महीनों के दौरान, करीब 44 फ़ीसदी महिलाओं में थायरॉइड की समस्या शुरू हो जाती है।
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थायरॉइड ग्रंथि जब शरीर के लिए पर्याप्त हार्मोन पैदा नहीं कर पाती, तो इस स्थिति को 'हाइपो-थायरॉइडिज़्म' कहा जाता है। वहीं यदि थायरॉइड ग्रंथि ज़्यादा हार्मोन पैदा करने लगे, तो इस समस्या को 'हाइपर-थायरॉइडिज़्म' कहते हैं। तीसरी स्थिति थायरॉइड ग्रंथि की सूजन है, जिसे गॉयटर (गलगंड या घेघा) कहते हैं। दवाओं से ठीक न होने पर इसे सर्जरी करके ठीक करने की ज़रूरत पड़ सकती है।'
 
थायरॉइड के लक्षण :
डॉ. भराणी कहते हैं, 'वज़न बढ़ना, चेहरे, पैरों में सूजन, कमज़ोरी, आलस होना, भूख न लगना, बहुत नींद आना, बहुत ठंड लगना, महिलाओं के मामले में माहवारी चक्र का बदल जाना, बालों का झड़ना, गर्भधारण में समस्या आदि हाइपो-थॉयरायड के लक्षण हो सकते हैं।

थायरॉइड के 10 फ़ीसदी रोगी हाइपो-थायरॉइडिज़्म से पीड़ित हैं, लेकिन उनमें से आधे को अपनी समस्या मालूम भी नहीं होती। हाइपर-थायरॉइड की स्थिति में ग्रंथि से ज़रूरत से ज़्यादा हार्मोन निकलता है, इसलिए भूख लगने और पर्याप्त भोजन करने के बाद भी वज़न घटने लगता है और दस्त की समस्या भी हो सकती है। इसी के साथ ही बेचैनी, हाथ और पैरों में कम्पन और गर्मी ज़्यादा लगना भी हाइपर-थायरॉइड के लक्षण हैं।

इस स्थिति में मूड स्विंग, नींद आने में समस्या, धड़कन में उतार-चढ़ाव होता है और नज़र भी कमज़ोर हो सकती है। यदि हाइपो-थायरॉइडिज़्म की समय पर पहचान नहीं होती, तो कई बार दिमाग़ में समस्याएं पैदा हो सकती हैं। वहीं हाइपर-थायरॉइडिज़्म के चलते धड़कन बढ़ती-घटती है, जिससे दिल की बीमारियां पैदा हो सकती हैं। 
 
थॉयरायड की समस्या होने पर ये करें :
थॉयरायड की समस्या होने के बाद चीनी युक्त पदार्थों से दूरी बनाएं। शुगर और प्रोसेस्ड फूड शरीर में सूजन पैदा  करते हैं। शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी12 की कमी की वजह से भी थॉयरायड हार्मोन प्रभावित हो सकते हैं। ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों से भी दूरी बनाएं।

ग्लूटेन डायबिटीज, वजन का बढ़ना और थॉयरायड जैसी कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। बेहतर स्वास्थ के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें, समय समय पर जांच कराते रहें और किसी भी तरह के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

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