Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

बहन-भाई का पवित्र त्योहार भाईदूज, यह है पौराणिक कथा...

Webdunia
* भाईदूज : यमराज और यमुना की पौराणिक कथा
 
प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भैयादूज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं। इस दिन को यम द्वितीया भी कहते हैं, इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है।
 
ब्रजमंडल में इस दिन बहनें भाई के साथ यमुना स्नान करती हैं जिसका विशेष महत्व बताया गया है। भाई के कल्याण और वृद्धि की इच्छा से बहनें इस दिन कुछ अन्य मांगलिक विधान भी करती हैं। यमुना तट पर भाई-बहन का समवेत भोजन कल्याणकारी माना जाता है। 
 
भाईदूज की पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। उन्हीं का अनुकरण करते हुए भारतीय भ्रातृ परंपरा अपनी बहनों से मिलती है और उनका यथेष्ट सम्मान पूजनादि कर उनसे आशीर्वाद रूप तिलक प्राप्त कर कृतकृत्य होती हैं। 
 
बहनों को इस दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर अपने भाई के दीर्घ जीवन, कल्याण एवं उत्कर्ष तथा स्वयं के सौभाग्य के लिए अक्षत (चावल) कुंकुमादि से अष्टदल कमल बनाकर इस व्रत का संकल्प कर मृत्यु के देवता यमराज की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। इसके पश्चात यमभगिनी यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों की पूजा करनी चाहिए, तदंतर भाई को तिलक लगाकर भोजन कराना चाहिए। इस विधि के संपन्न होने तक दोनों को व्रती रहना चाहिए। 
 
इस पर्व के संबंध में पौराणिक कथा इस प्रकार मिलती है। सूर्य की संज्ञा से 2 संतानें थीं- पुत्र यमराज तथा पुत्री यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उसे ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहां से चली गई। छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था, किंतु यम और यमुना में बहुत प्रेम था। 
 
यमुना अपने भाई यमराज के यहां प्राय: जाती और उनके सुख-दुख की बातें पूछा करती। यमुना यमराज को अपने घर पर आने के लिए कहती, किंतु व्यस्तता तथा दायित्व बोझ के कारण वे उसके घर न जा पाते थे। 
 
एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक जा पहुंचे। बहन यमुना ने अपने सहोदर भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया। विविध व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन कराया तथा भाल पर तिलक लगाया। यमराज अपनी बहन से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना को विविध भेंटें समर्पित कीं। जब वे वहां से चलने लगे, तब उन्होंने यमुना से कोई भी मनोवांछित वर मांगने का अनुरोध किया। 
 
यमुना ने उनके आग्रह को देखकर कहा- भैया! यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रतिवर्ष आप मेरे यहां आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार किया करेंगे।
 
इसी प्रकार जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे तथा उसे भेंट दें, उसकी सब अभिलाषाएं आप पूर्ण किया करें एवं उसे आपका भय न हो। यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया। तभी से बहन-भाई का यह त्योहार मनाया जाने लगा। 
 
वस्तुतः इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य है भाई-बहन के मध्य सद्भावना, तथा एक-दूसरे के प्रति निष्कपट प्रेम को प्रोत्साहित करना है। द्वितीया के दिन पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन हो जाता है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Pushya Nakshatra 2024: पुष्य नक्षत्र में क्या खरीदना चाहिए?

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

झाड़ू से क्या है माता लक्ष्मी का कनेक्शन, सही तरीके से झाड़ू ना लगाने से आता है आर्थिक संकट

30 को या 31 अक्टूबर 2024 को, कब है नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का पर्व?

गुरु पुष्य योग में क्यों की जाती है खरीदारी, जानें महत्व और खास बातें

सभी देखें

धर्म संसार

Diwali Muhurat Trading 2024: कब होगा शेयर बाजार में दिवाली का मुहूर्त ट्रेडिंग 31 अक्टूबर या 01 नवंबर, NSE ने किया स्पष्ट

24 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 अक्टूबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

Dhanteras jhadu: धनतेरस पर कौन सी और कितनी झाड़ू खरीदें?

दीपावली पर कैसे पाएं परफेक्ट हेयरस्टाइल? जानें आसान और स्टाइलिश हेयर टिप्स

આગળનો લેખ
Show comments