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आज का युवा और विपश्यना

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28 जनवरी को रतलाम विपश्यना केंद्र पर एक 10 दिवसीय शिविर का आयोजन सम्पन्न हुआ। जिसमें कुल 20-22 लोगों ने हिस्सा लिया। 13 युवा वर्ग के प्रतिभागी थे जिनकी औसत आयु 26 वर्ष के आसपास रही।
 
विपश्यना एक सम्प्रदाय और ​जातपात विहीन तथा वैज्ञानिक आधार वाली ध्यान साधना विधि है। 
 
विपश्यना आज के युवा वर्ग को, जो सूचना क्रांति से लैस है तथा अधिक जागरूक और वैज्ञानिक सोच वाला है, को बहुत मददगार साबित होती है। यही कारण है कि अधिकांश युवा स्वप्रेरणा से नेट पर सर्च करके अपने लिए बेहतर व्यक्तित्व विकास और तनाव से निपटने के लिए विपश्यना ध्यान साधना की तरफ सहज आकृष्ट ​होते हैं। वे विपश्यना सीखकर सन्तोष का अनुभव करते हैं।
 
ग्राम कन्कराज बदनावर से आए 21 वर्षीय युवा अर्जुन सिर्वी अपने अनुभव में लिखते हैं कि उसे यहाँ रहकर धर्म को उसके वास्तविक अर्थों में समझने में मदद मिली। 23 वर्षीय सचिन कहते हैं - मैंने यहाँ रहकर यह जाना की धर्म क्या होता हैं और धर्म को पढ़कर समझने की जगह अनुभव करके अगर समझा जाए तो उसके वास्तविक और कल्याणकारी अर्थ हमारे सामने एक नए रास्ते को प्रकट करते हैं। 
 
मुरैना से आए संतोष कुशवाह लिखते हैं मेरा मन किसी जगह टिकता नहीं था और इस कमजोरी से मैंने बहुत खोया, पर यहां रहकर मैंने यह सीखा कि मन को हम कैसे शुद्ध वैज्ञानिक आधार पर नियंत्रित करें और वह भी उसी विधि से जिसे हर कोई धारण कर सके बिना सांप्रदायिक भेदभाव के सब उसे सीख सकें।
 
63 वर्षीय श्रीमती संध्या शर्मा जो धार से आई थी, वे कहती हैं कि ध्यान सीखने का उनका यह पहला अनुभव था। बहुत परेशान आई थी पर अब आनन्द और संतोष भाव लिए घर जा रही हूँ। 
 
रतलाम के 24 वषीय युवा पंकज शास्त्री बताते हैं मुझे यहाँ आकर बहुत कुछ सीखने और जानने को मिला। मैंने इन दस दिनों में ही अपने अन्दर कई सकारात्मक बदलाव महसूस किए हैं। अब मैं नए उत्साह से भरकर घर वापस जा रहा हूँ। मेरे पास  तनाव से निपटने का कारगर और प्राकृतिक तरीका है। इस तरह के शिविर युवा वर्ग के लिए अत्यंत मददगार साबित हो सकते हैं क्योंकि आज का युवा कई तरह के तनावों का सामना बचपन से ही करने लगता हैं। 
 
ग्राम कसावदा धार से आई श्रीमती कांता पाटीदार लिखती हैं अब ध्यान सीखकर मैं शांति का अनुभव कर रही हूँ। मुझे मेरे माइग्रेन के रोग से निपटने में भी मदद मिली और ये समझ आया कि मन का अशांत होना ही कई रोगों का जनक होता है।
 
उज्जैन से आई कृतिका खत्री जो एम.ए. योगा की विद्यार्थी हैं, लिखती हैं यह मेरा दूसरा अनुभव था। विपश्यना ध्यान सीखने से मेरी पढ़ाई करने के लिए जरूरी एकाग्रता, और मेरी निर्णय क्षमता बढ़ी। जीवन के प्रति सकारात्मक सोच में इजाफा हुआ। निराशा के भाव कम हुए। 
 
अगला विपश्यना कोर्स 4 मार्च 2018 से आरम्भ होने जा रहा है। 

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