हर साल 8 मई को अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस दिवस मनाया जाता है। इसके संस्थापक हेनरी ड्यूनेंट के जन्मदिन पर यह दिन मनाया जाता है। हेनरी ड्यूमेंट के प्रयासों से 1864 में जेनेवा समझौते के जरिए अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस मूवमेंट की स्थापना हुई थी। हेनरी ड्यूमेंट को पहला नोबेल शांति पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।
रेडक्रॉस एक स्वयंसेवी संस्था है और देश के किसी भी भाग में प्राकृतिक या मानवीय आपदा के शिकार लोगों को बचाने और राहत पहुंचाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस तरह की संस्थाओं में जो स्वयंसेवक होते हैं, उनसे लोगों को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
वर्तमान समय और परिस्थितियों में रेडक्रॉस की भूमिका केवल युद्ध के दौरान बीमार और घायल सैनिकों, युद्ध करने वालों और युद्धबंदियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना और उचित उपचार की सुविधाएं उपलब्ध कराना ही नहीं रह गया है। अब उसके दायित्व का दायरा और अधिक बढ़ गया है। पिछले कुछ सालों के दौरान आई प्राकृतिक आपदाएं, भयंकर बाढ़ और सुनामी लहरों के तांडव तथा कैटरीना तूफान के दौरान और उसके बाद अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस ने जो भूमिका निभाई उससे उसका महत्व और अधिक बढ़ गया है।
दुनियाभर में हर साल आज का दिन 'अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस दिवस' के रूप में मनाया जाता है और जहां तक भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का सवाल है, इसकी स्थापना 1920 में भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी अधिनियम के तहत की गई थी और उसके नौ साल बाद इसकी गतिविधियों को ध्यान में रखकर अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस आंदोलन ने इसे अपनी मान्यता दी।
वर्तमान समय में दुनिया में युद्ध के तरीकों और कारणों में बड़ा अंतर आ चुका है। अब युद्ध के दौरान सैनिकों की सहायता के साथ ही प्राकृतिक या मानवीय आपदाओं के शिकार लोगों को राहत एवं मदद पहुंचाने में भी रेडक्रॉस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दुनियाभर में शांति और सौहार्द के प्रतीक के रूप में जानी जाने वाली इस संस्था ने अपने कर्मठ, समर्पित और कर्तव्यनिष्ठ स्वयंसेवकों के माध्यम से अपनी एक अलग पहचान और छवि बना ली है। आज दुनिया के किसी भी भाग में प्राकृतिक या मानवीय आपदा में अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस की टीम सबसे पहले पहुंचकर राहत कार्य में जुट जाती है। वर्तमान समय और परिस्थितियों में इस संस्था का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।
सचाई तो यह है कि आज की विकट परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस जैसी संस्था पूरे विश्व की जरूरत बन गई है जो आपदा के समय भरोसेमंद दोस्त की तरह मदद का हाथ बढ़ाती है। इतना ही नहीं देश में रक्त एकत्र करने और उसको जरूरतमंद लोगों को समय पर पहुंचाने में यह संस्था जिस प्रकार कार्य कर रही है, वह किसी से छिपा नहीं है। यह लोगों को रक्तदान की प्रेरणा देती है, ताकि लोग अधिक से अधिक संख्या में रक्तदान करें। यह स्वयं शिविर लगाकर हर साल बड़ी मात्रा में रक्त एकत्र करती है, ताकि जरूरत के समय किसी प्रकार की कमी न रहे।
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी एक स्वयंसेवी राहत संस्था है है जो पूरे देश में 700 से अधिक शाखाओं का नेटवर्क है, आपदा और आपातकाल के समय राहत प्रदान करता है और कमजोर लोगों और समुदायों के स्वास्थ्य और देखभाल को बढ़ावा देता है। देश के विभिन्न भागों में यह संस्था बहुत ही सफलता के साथ कार्य कर रही है। इसमें शामिल होने वाले कर्मठ स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ती जा रही है।
वैश्वीकरण के इस जमाने में तेल और परमाणु हथियारों पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए युद्ध की बढ़ती आशंका और समय-समय पर भूकंप, तूफान और इसी तरह की अन्य अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं के समय पेश आने वाले मुश्किल हालात से निपटने में अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस जैसी संस्था का महत्व और अधिक बढ़ गया है। (वेबदुनिया डेस्क)