Bangladeshi Hindu: दुनिया की आबादी लगभग 8 अरब से ज्यादा है जिसमें एक जानकारी के मुताबिक पूरी दुनिया में अब मात्र 13.95 प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं। भारत का विभाजन हुआ तब पाकिस्तान में 1951 तक करीब 22 प्रतिशत हिंदू रहते थे। 1998 की जनगणना के दौरान पाकिस्तान में 1.6 फीसदी हिन्दू ही बचे थे जो अब और भी घट गए हैं। इसी तरह जब पाकिस्तान का विभाजन हुआ तब बांग्लादेश में 18 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू रहते थे परंतु अब 8 प्रतिशत से कम ही हिंदू बचे हैं। जबकि विभाजन के समय भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या करीब 5 करोड़ के आसपास थी जो अब बढ़कर 16 करोड़ से ज्यादा हो गई है।
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बांग्लादेश में हिन्दू : पाकिस्तान का जबरन हिस्सा बन गए बंगालियों ने जब विद्रोह छेड़ दिया तो इसे कुचलने के लिए पश्चिमी पाकिस्तान ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। पाकिस्तान की सत्ता में बैठे लोगों की पहली प्रतिक्रिया उन्हें 'भारतीय एजेंट' कहने के रूप में सामने आई और उन्होंने चुन-चुनकर शिया और हिन्दुओं का कत्लेआम करना शुरू कर दिया। 24 साल के भीतर ही यह दूसरा क्रूर विभाजन था जिसमें लाखों बंगालियों की मौत हुई। हजारों बंगाली औरतों का बलात्कार हुआ। एक गैर सरकारी रिपोर्ट के अनुसार लगभग 30 लाख से ज्यादा हिन्दुओं का युद्ध की आड़ में कत्ल कर दिया गया। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ 9 महीने तक चले बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हिन्दुओं पर अत्याचार, बलात्कार और नरसंहार के आरोपों में दिलावर को दोषी पाया गया था।
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ऐसे में बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी और भारतीय सेना ने अपना खून बहाकर सन् 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराया गया। 1971 के खूनी संघर्ष में पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के लगभग 1 करोड़ हिन्दू और मुसलमानों को पड़ोसी देश भारत के पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य (असम आदि) में शरण लेनी पड़ी। बांग्लादेश बनने के बाद युद्ध शरणार्थी शिविरों में रहने वालों मुसलमानों को सरकार ने आज तक उनके देश भेजने का कोई इंतजाम नहीं किया। अब इनकी संख्या 1 करोड़ से बढ़कर 3.50 करोड़ के आसपास हो गई है।
बांग्लादेश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएं भारत और दक्षिण-पूर्व सीमा म्यांमार से मिलती हैं। दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश के पश्चिम में भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल है तो उत्तर-पूर्व में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम हैं। दूसरी ओर बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्व में म्यांमार का रखैन इलाका है। जहां-जहां से भारत की सीमा बांग्लादेश से लगती है अब वहां जातीय गणित गड़बड़ा गया है। हिन्दू अल्पसंख्यक हो गया है और मुसलमान बहुसंख्यक। बांग्लादेश की ओर से घुसपैठ जारी है जिसके चलते असम में हालात बिगड़ गए हैं।
2011 में बांग्लादेशी सरकार द्वारा जारी किए गए धार्मिक जनगणना के डाटा अनुसार इस समय बांग्लादेश में हिन्दुओं की संख्या महज 8.6 प्रतिशत रह गई है। बांग्लादेश में पहली जनगणना में (जब वह पूर्वी पाकिस्तान था) मुस्लिम आबादी 3 करोड़ 22 लाख थी जबकि हिन्दुओं की जनसंख्या 92 लाख 39 हजार थी। 60 वर्षों बाद हिन्दुओं की संख्या केवल 1 करोड़ 20 लाख है जबकि मुस्लिमों की संख्या 12 करोड़ 62 लाख हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में यहां हिन्दुओं पर हमलों की कई घटनाएं हुई हैं। हिन्दुओं की संपत्तियों को लूटा गया, घरों को जला दिया गया तथा मंदिरों की पवित्रता को भंग कर उसे आग के हवाले कर दिया गया और ये हमले बेवजह किए गए जो अब भी जारी है।
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बांग्लादेश में हिंदुओं की घटती संख्या और अत्याचार के पीछे वहां की कट्टरपंथी जमात के साथ ही पाकिस्तान का हाथ स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसी के साथ ही भारतीय राजनीति की ढुलमुल और उपेक्षा की नीति के चलते भी पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा होती रही है। इसका एक कारण यह भी माना जाता है कि हिंदुओं पर कहीं भी जुल्म हो रहा हो उसके लिए भारत के हिंदू कभी भी एकजुट होकर न तो प्रदर्शन करते हैं और न ही उन्हें किसी भी प्रकार का मोरल सपोर्ट करते हैं। जैसे कश्मीर में जब पंडितों का नरसंहार किया जा रहा था तब न तो केंद्र और राज्य सरकार ने इसको रोकने का प्रयास किया और न ही अन्य राज्यों के हिंदुओं ने कभी उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। जाति और प्रांतों में बंटे हिंदुओं का भारत में अस्तित्व कब तक बरकरार रहेगा यह कोई नहीं जानता।