Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

अब दूर नहीं है सुपरसोनिक विमानों का युग

अब दूर नहीं है सुपरसोनिक विमानों का युग
webdunia

शरद सिंगी

, सोमवार, 25 जून 2018 (23:34 IST)
आप मानें या न माने, पर दुनिया हमेशा से रफ्तार की दीवानी रही है। हम पाठकों को याद दिला दें कि मानव सभ्यता के विकास को गति देने के दो आधारभूत आविष्कार हुए हैं- एक पहिया और दूसरी आग। धन्य है वह मानव जिसने सर्वप्रथम पहिए की खोज की। यद्यपि इतिहास में उसका नाम अंकित नहीं है किंतु पहिए की खोज के बाद ही बैलगाड़ी या घोड़ागाड़ी ने स्वरूप लिया होगा।
 
 
जब मानव सभ्यता 4 पहियों वाले वाहनों के मुकाम पर पहुंची तब यातायात की दुनिया में एक युगांतरकारी परिवर्तन आया था। उसके बाद तो 'दिल मांगे मोर' की तर्ज पर आविष्कार होते रहे और वैज्ञानिकों तथा अभियंताओं ने जल, थल और नभ में यातायात के कई अविश्वसनीय संसाधनों को जनता के लिए उपलब्ध कराया। बावजूद इसके, न तो कभी बेहतर रफ्तार की मांग रुकी और न ही विज्ञान कहीं विश्राम लेने को तैयार हुआ।
 
जैसा कि हम जानते हैं कि इस ब्रह्मांड में प्रकाश की गति अंतिम है और मनुष्य के लिए इस गति को पाना असंभव है। प्रकृति में दूसरी गति है ध्वनि की जिसे पाना भी कोई कम चुनौतीपूर्ण नहीं था किंतु इस गति पर पिछली शताब्दी में ही विजय पा ली गई और आज के अधिकांश आधुनिक लड़ाकू विमान ध्वनि की रफ्तार (1,235 किमी प्रतिघंटे) से भी अधिक तेज उड़ते हैं। जो विमान ध्वनि की गति से तेज उड़ सकता है, उन्हें 'सुपरसोनिक विमान' कहते हैं।
 
प्रकाश की गति, ध्वनि की गति से कई गुना अधिक होने से आसमान में कड़कती बिजली की चमक हमें पहले दिखाई दे जाती है और उसके कुछ पलों के पश्चात हमें बादलों की गर्जना सुनने को मिलती है। उसी तरह सुपरसोनिक विमान यदि हमारे पीछे की ओर से आ रहे हों तो आसमान में कड़की बिजली की तरह ये अचानक ही बिना आवाज के सामने प्रकट हो जाएंगे और इनकी गर्जन हमें इनके निकल जाने के बाद सुनाई देगी, क्योंकि आवाज इनके पीछे पीछे चलती है। 
 
सुपरसोनिक विमानों की उड़ान में जो सबसे बड़ी समस्या होती है वह है 'सोनिक बूम' की। जब विमान, ध्वनि की गति से अधिक वेग से हवा में उड़ान भरता है तो वायु में एक प्रकार की दशहत पैदा होती है जिससे अत्यधिक ऊर्जा वाली तरगें उत्पन्न होती हैं, जो विमान के आगे और पीछे के वायु के दबाव में परिवर्तन करती हैं। इसकी वजह से एक प्रबल ध्वनि पैदा होती है जिसे 'सोनिक बूम' कहते हैं। ऐसा लगता है कि एक भीमकाय राक्षस हवा में भयंकर गर्जना करते हुए या आसमान में विस्फोट करते हुए प्रबल वेग से उड़ता चला जा रहा है।
 
यूं तो सुपरसोनिक विमानों का परीक्षण पिछली शताब्दी के उत्तरार्द्ध से ही प्रारंभ हो गया था। सन् 1964 में वैज्ञानिकों ने 'सोनिक बूम' का प्रभाव देखने के लिए 65,000 फीट की ऊंचाई पर सुपरसोनिक टेस्ट विमानों को अमेरिका के ओकलाहोमा शहर के ऊपर से उड़ाया तो टूटी हुई खिड़कियों और बिखरे हुए प्लास्टर की 10,000 से अधिक शिकायतें दर्ज हुईं। तब अमेरिका के लगभग हर राज्य की सरकारों ने अपने हवाई क्षेत्र में सुपरसोनिक उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इतनी ऊंचाई पर उड़ने के बावजूद उनकी गड़गड़ाहट जमीन पर बसे मकानों और बिल्डिंगों को थरथरा देती हैं। 
 
यात्रियों को ढोने वाला पहला व्यावसायिक और अनोखा सुपरसोनिक विमान कॉनकॉर्ड, इंग्लैंड और फ्रांस ने आपसी सहयोग से निर्मित किया था। सन् 1976 से इसने व्यावसायिक उड़ानें भरना आरंभ कर दिया था। यह विमान अद्भुत था, जो ध्वनि की गति से भी लगभग दुगनी गति से आकाश को चीरता था तथा वर्तमान विमानों की अपेक्षा दोगुनी ऊंचाई पर उड़ता था। लंदन से न्यूयॉर्क की लगभग 7 से 8 घंटे की उड़ान को ये 3.30 घंटों में पूरी कर लेता था।
 
यद्यपि इसकी सवारी, सामान्य किराए से लगभग 30 गुना महंगी थी किंतु धनी लोग रोमांच के कुछ भी खर्च कर सकते हैं। दुर्भाग्य से इसे बंद करना पड़ा, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि कॉनकॉर्ड का आविष्कार अपने उचित समय से काफी पहले हो गया था और उस समय की सुरक्षा तकनीक इसकी गति से तालमेल नहीं कर पाई। अंतत: जुलाई 25, 2000 में पेरिस की बाहरी सीमा पर हुई दुर्घटना के बाद योजनाबद्ध तरीके से सन् 2003 तक इन विमानों को हमेशा के लिए विश्राम दे दिया गया। इसके साथ ही व्यावसायिक श्रेणी की रोमांचित करने वाली सुपरसोनिक यात्राओं का अंत हुआ।
 
आज सुरक्षा और अन्य तकनीकें बहुत उन्नत हो चुकी हैं, तो जाहिर है कॉनकॉर्ड की याद पुन: आना वाजिब है। अब तो अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा सहित अनेक कंपनियां अपने-अपने सुपरसोनिक मॉडल बनाने में जुट चुकी हैं, जो शीघ्र ही यात्री विमानों को, ध्वनि की गति के पार ले जाने के दावे कर रही हैं। साथ ही 'सोनिक बूम' के प्रभाव न्यूनतम करने के भी वादे हैं। वह दिन दूर नहीं, जब सुपरसोनिक विमान सेवाएं पुन: आरंभ हो जाएंगी और अब वह रोमांच के लिए नहीं, अपितु रफ्तार की दुनिया में एक मानक बन जाएंगी।
 
एक कंपनी तो अपने 2 सीटर प्रायोगिक यान का इसी वर्ष परीक्षण करने वाली है। और तो और, जापान एयरलाइंस ने 20 विमान खरीदने का ऑर्डर भी कर दिया है यानी हम कॉनकॉर्ड के बीते युग में पुन: प्रवेश करने वाले हैं। अब हमें यह बात चकित नहीं करेगी कि अगले 3 से 4 वर्षों में वर्तमान में उड़ने वाले विमान बैलगाड़ी की श्रेणी में आ जाएंगे और वैज्ञानिकों के लिए गति का लक्ष्य और आगे बढ़ जाएगा।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

चीन के क़र्ज़ तले दबे दुनिया के ये आठ देश