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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में चमत्कारिक उपलब्धियां

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शरद सिंगी

पिछले पखवाड़े में अंतरिक्ष की दुनिया में 'स्पेस एक्स' नाम की एक प्राइवेट अमेरिकी कंपनी ने एक बड़ी छलांग लगाकर दुनिया को हतप्रभ कर दिया। किन्तु उसके इस कारनामे को जानने से पहले कंपनी के बारे में थोड़ा जानते हैं। सन् 2002 में अमेरिका के एक उद्यमी एलोन मस्क ने जब अंतरिक्ष परिवहन की लागत को कम करने और मंगल ग्रह के साथ अन्य ग्रहों पर बस्ती बसाने के उद्देश्य और लक्ष्य से 'स्पेस एक्स' नामक कंपनी की स्थापना की थी तब सच मानिए इस लेखक सहित अनेक लोगों ने इसे एक शगूफ़ा, मज़ाक या धोखाधड़ी के रूप में लिया था। किन्तु तब के बाद यह कंपनी सफलताओं के नए सोपान निरंतर चूमती चली गई।


मात्र पंद्रह वर्षों के कार्यकाल में इसकी सफलताएं तब के बाद सचमुच हतप्रभ करने वाली हैं। तब से अब तक 'स्पेस एक्स' ने फाल्कन नाम से प्रक्षेपण वाहन की सीरीज और ड्रैगन नाम से अंतरिक्ष यान की सीरीज का ऐसा विकास किया है, जो दोनों ही पृथ्वी की कक्षा में तैरते 'स्पेस स्टेशन' को जरूरी सामान मुहैया करने का काम करते हैं। जैसा कि हम जानते हैं अंतरिक्ष में सामान या यात्री वाला विमान (यान) भेजने के लिए एक रॉकेट की आवश्यकता होती है जो उस यान को प्रक्षेपित करता है। रॉकेट की सहायता से उपग्रह अथवा अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाता है या अंतरिक्ष में बसी प्रयोगशालाओं को समय-समय पर जरूरत का सामान मुहैया करवाया जाता है।

रॉकेट, तो उस यान को अंतरिक्ष में पहुंचाने के बाद अनुपयोगी हो जाता है और अंतरिक्ष में ही विलीन हो जाता है अथवा पृथ्वी पर गिरते समय जल जाता है। वहीं अंतरिक्ष यान अपना काम समाप्त कर वापस लौट आता है और अगली उड़ान के लिए पुनः तैयार कर लिया जाता है। अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पर वापस आने के लिए रॉकेट की आवश्यकता नहीं होती। 'स्पेस एक्स' ने अपने जिस 'फाल्कन-9' रॉकेट का निर्माण किया है वह उपग्रहों और 'स्‍पेस एक्स' द्वारा ही निर्मित 'ड्रैगन अंतरिक्ष यानों' को अंतरिक्ष में ले जाता है। रॉकेट 'फाल्कन-9' ने 2012 में इतिहास बना दिया था जब उसने अपनी ही कंपनी द्वारा बनाए गए 'ड्रैगन यान' को न केवल उसी कक्षा में भेज दिया जिसमें 'अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन' पहले से ही घूम रहा है।

साथ ही वह उस 'स्पेस स्टेशन' पर भी पहुंच गया। इस तरह 'स्पेस-एक्स' इस 'अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन' पर पहुंचने वाली पहली वाणिज्यिक कंपनी बन गई। उसके बाद से तो 'स्पेस एक्स', अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा से सहयोग करने वाली प्रमुख प्राइवेट कंपनी बन गई है। तब से 'फाल्कन-9' की सहायता से 'ड्रैगन यान' ने इस स्पेस स्टेशन के अनेक दौरे कर लिए हैं। इस प्रकार "स्पेस-एक्स" उपग्रहों को कक्षा में पहुंचाने और नासा के लिए स्पेस स्टेशन तक माल ढोने और लाने का काम करने लगी हैं। ड्रैगन अंतरिक्ष यान के साथ फाल्कन-9, को शुरू से ही इस तरह डिजाइन किया गया था कि जिससे मनुष्य को भी अंतरिक्ष में पहुंचाया जा सके और नासा के साथ समझौते के तहत 'स्पेस एक्स' सक्रिय रूप से इस लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है।

'स्पेस एक्स' कंपनी की योजना के अनुसार, अब वे शीघ्र ही माल ढोने के साथ-साथ अंतरिक्ष यात्रियों को भी ढोने लगेंगे। किन्तु जानने योग्य बात यह है कि लागत बचाने के उद्देश्य से इस कंपनी ने एक ऐसे रॉकेट का निर्माण किया जो दो भागों में बना है। उसका पिछला भाग तो उपग्रह, यान अथवा सामान को अंतरिक्ष में छोड़कर, अग्रिम भाग से पृथक होकर पुनः धरती पर लौट आता है जिसे फिर अगली उड़ान के लिए तैयार किया जाता है। उल्लेखनीय है कि मार्च 2016 में नासा के स्पेस स्टेशन में सामान आपूर्ति के लिए यान के साथ जो रॉकेट छोड़ा गया था उसके पिछले भाग को चमत्कारिक रूप से अटलांटिक महासागर में खड़े एक द्रोन जहाज पर उतार लिया गया और फिर इसी रॉकेट का उपयोग मार्च 2017 में एक संचार उपग्रह छोड़ने के लिए किया गया।

इस कंपनी का मानना है कि यदि अंतरग्रहीय परिवहन का विकास करना है तो ऐसे रॉकेटों का निर्माण करना होगा जिनका बार-बार उपयोग किया जा सके यानी यदि आप पृथ्वी से मंगल पर चले गए और फिर आपको मंगल से ही शुक्र ग्रह पर जाना है तो उसके लिए नया रॉकेट नहीं दिया जा सकता। यान को पुनः उसी रॉकेट का प्रयोग करना पड़ेगा। इस प्रकार इस आलेख से अब हमने 'स्पेस एक्स' कंपनी और उसके द्वारा बनाए जाने वाले रॉकेट और यान की जानकारी तो प्राप्त कर ली। अब अगले अंक में जानेंगे कि इस कंपनी ने ऐसा क्या किया, जिसने अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में बड़ी हलचल मचा दी।

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