Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

अमेरिका-ईरान युद्ध : डर या 40 साल पुराना बदला लेने की प्रतीक्षा में है अमेरिका

अमेरिका-ईरान युद्ध : डर या 40 साल पुराना बदला लेने की प्रतीक्षा में है अमेरिका
webdunia

नवीन रांगियाल

यह 4 नवंबर 1979 की बात है। ईरान में अमेरिकी दुतावास पर एक हमला होता है और करीब 66 लोगों को बंधक बना लिया जाता है। बाद में इनमें से कुछ लोगों को रिहा कर दिया जाता है, लेकिन 52 लोगों को तेहरान की अमेरिकी दुतावास में ही बंधक बना लिया जाता है, इन 52 लोगों को 444 दिनों तक कैद में रहना पड़ता है। करीब डेढ़ साल बाद 20 जनवरी 1981 का दिन आता है, अमेरिका में चुनाव होते हैं। अमेरिका के नए राष्‍ट्रपति रोनाल्ड रीगन की ताजपोशी के बाद बंधकों की रिहाई होती है। इस घटना को ईरानी छात्रों के संगठन ने अंजाम दिया था।

घटना के बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति जिमी कार्टर का बयान आता है। वे कहते हैं,

‘यह बेहद निंदनीय है, आतंकवाद और ब्‍लैकमेल की मशां के चलते इस घटना को अंजाम दिया गया’

इस घटना का नतीजा अमेरिका के अगले चुनावों में सामने आता है। जिमी कार्टर के हाथ से सत्‍ता फिसल जाती है। जिमी की इस हार के साथ ही पूरे अमेरिका में यह संदेश जाता है कि अमेरिका इतना कमजोर हो गया है कि अपने लोगों की सुरक्षा भी नहीं कर सकता।

दरअसल अमेरिका और ईरान के बीच इस पूरी घटना को एक स्‍क्रिप्‍ट के तौर पर देखा जाता है। साल 2012 में इस पूरे घटनाक्रम पर अमेरिकी डायरेक्‍टर बेन एफ्लेक ने ‘आर्गो’ नाम की अवार्ड विनिंग फिल्‍म भी बनाई है। 120 मिनट इस थ्रिलर फिल्‍म में खुद बेन एफ्लेक के साथ ही अलेन एरकिन और जॉन गुडमैन ने काम किया था।

दरअसल 70 के दशक में ईरान में अमेरिका का खासा दखल था, ईरानी इसके विरोध में थे और वहां की अवाम चाहती थी कि किसी भी तरह अमेरिका का ईरान में हस्‍तक्षेप खत्‍म हो और वो कमजोर भी हो। इसको लेकर ईरान में क्रांति का दौर था। इस घटना के बाद जहां जिमी कार्टर के हाथ से सत्‍ता चली गई, वहीं अमेरिका को अहसास भी हुआ कि वो कहीं न कहीं कमजोर हो गया है। कहा जाता है कि अमेरिका 40 साल बाद भी ईरान से उस घटना का बदला लेने की प्रतीक्षा में है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जॉर्ज बुश ने भी अपने कार्यकाल के दौरान अमरिका और ईरान की दुश्‍मनी को हवा दी थी। अब इस दृश्‍य के केंद्र में राष्‍टपति डोनाल्‍ड ट्रंप हैं।

क्‍या था दरार का इतिहास
दअरसल, साल 1979 में ईरान में क्रांति की शुरुआत हुई थी। ईरान वहां के सुल्‍तान रेजा शाह पहल्‍वी के तख्‍तापलट की फिराक में था, क्‍योंकि ईरान को अमेरिका का दखल बिल्‍कुल पसंद नहीं था और 1953 में अमेरिका की मदद से ही शाह को ईरान की सत्‍ता प्राप्‍त हुई थी। शाह ने ईरान में अमेरिकी सभ्यता को काफी बढ़ावा दिया और ईरान की आवाम पर तरह-तरह से अत्‍याचार किए। उसकी गतिविधियों के चलते ईरान में कई धार्मिक गुरू शाह के खिलाफ हो गए।

1979 वो साल था जब जिसने ईरान का इतिहास बदल दिया। ईरान में शुरू हुई क्रांति के चलते शाह ने अमेरिका में पनाह ले ली। इधर ईरान में इस्लामिक रिपब्लिक कानून लागू कर दिया गया। ऐसे में धर्म गुरू अयातोल्लाह रूहोलियाह खोमिनी को पूरे ईरान, कई धार्मिक संगठन और कट्टर स्टूडेंट्स का साथ मिला। ईरान सुल्‍तान शाह की अमेरिका से वापसी चाहते थे, लेकिन अमेरिका ने मना कर दिया, इससे विवाद और ज्‍यादा बढ़ गया।

अमेरिका ने तब से लेकर अब तक इसे लेकर कोई भी विद्रोह नहीं किया। लेकिन पिछले युद्ध में जॉर्ज बुश ने अमेरिकी फौजों को ईराक के खिलाफ खड़ाकर आंखें दिखाई थी। अब करीब 40 साल बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध की एक नई तस्‍वीर खींच दी है।

फिर आमने-सामने अमेरिका और ईरान
अमेरिका ने बीते शुक्रवार बगदाद के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर हमला किया। इस हमले में ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के मुखिया और उसकी क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था के आर्किटेक्ट जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई। ईरान इसे हत्‍या के तौर पर देख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर यह हवाई हमले किए गए थे। ट्रंप की ओर से कहा गया कि कथित रूप से ईरान द्वारा भविष्य में किए जा सकने वाले संभावित हमलों को रोकने के लिए इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। जिसके बाद ईरान ने सख्त लहजे में अमेरिका को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे डाली।

अब ट्रंप ने जवाब देते हुए तीन ट्वीट किए हैं और कहा है कि अगर किसी भी अमेरिकी नागरिक और संपत्ति पर ईरान ने हमला किया तो उनकी ओर से ईरान की 52 बेहद खास जगहों पर हमला किया जाएगा।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

क़ासिम सुलेमानी की हत्या के बाद इराक़ में क्या हो रहा है?