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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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खौफनाक! मां के 1000 टुकड़े कर दिए नरभक्षी ने, कुछ खुद पकाकर खा गया, कुछ कुत्ते को खिला दिए

ऐसे वीभत्स अपराध, जिन पर यूरोप में शोर नहीं मचता

खौफनाक! मां के 1000 टुकड़े कर दिए नरभक्षी ने, कुछ खुद पकाकर खा गया, कुछ कुत्ते को खिला दिए
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राम यादव

यह किस्सा स्पेन के 28 वर्षीय एक ऐसे युवक का है, जिसकी पशुता के आगे हर हिंसक पशु को भी शर्म आ जाए। अल्बेर्तो सांचेज़ गोमेज़ नाम के इस युवक को, 15 जून 2021 के दिन, राजधानी माद्रिद की एक अदालत ने 15 साल 5 महीने के लिए जेल भेज दिया। वह अपनी मां को ही मार कर खा गया था!
 
घटना फ़रवरी 2019 की है। राजधानी मैड्रिड के पास वेन्तास नाम की एक जगह है। अल्बेर्तो वहीं 68 वर्ष की अपनी मां के साथ एक फलैट में रहता था। एक दिन मां-बेटे के बीच कुछ तकरार हो गई। उसने पीछे से मां का गला दबाकर उसे मार डाला। मारने के बाद शव को मां के सोने के कमरे में ले जाकर एक आरी और दो छुरों से करीब 1000 टुकड़ों में काट डाला। टुकड़ों को प्लास्टिक की थैलियों और डिब्बों में बंद कर कुछ को फ़्रिज में और कुछ को दूसरी जगहों पर रख दिया। अगले 15 दिनों तक कभी उन्हें पकाकर तो कभी शायद बिना पकाए, कच्चे ही खाता रहा। कुछ टुकड़े घर के कुत्ते को भी खिलाए। यह सब उसने गिरफ्तारी के समय पुलिस के सामने स्वयं ही स्वीकार किया है।
 
इस तरह हुआ घटना का खुलासा : अल्बेर्तो की मां की एक सहेली ने 23 फ़रवरी 2019 के दिन पुलिस को फ़ोन किया कि गोमेज़ परिवार के यहां कुछ गड़बड़ लगता है, मरिया गोमेज़ का कुछ पता नहीं चल रहा है। पुलिस जब वहां पहुंची तो उसे पता चला कि क्या गड़बड़ है। उसने अल्बेर्तो से पूछताछ के बाद उसे गिरफ़्तार कर लिया। अल्बेर्तो उसी दिन से पास-पड़ोस में 'वेन्तास का आदमख़ोर' कहलाने लगा।
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मुकदमे के समय अदालत में अल्बेर्तो ने दावा किया कि घटना के दिन उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। उस दिन टीवी देखते समय उसे एक ऐसा संदेश सुनाई पड़ता लगा, जो कह रहा था कि 'अपनी मां को मार डालो।' 9 सदस्यों वाले ज्यूरीमंडल ने इसे स्वीकार नहीं किया।
 
यूरोप के किसी देश में नरभक्षण की यह पहली या अकेली घटना नहीं है। सितंबर 2020 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में 42 साल के एक हाई स्कूल शिक्षक द्वारा रेलवे के 43 साल के एक बिजलीसाज़ को मारकर उसका मांस खाने की घटना सामने आई। जर्मनी में नरभक्षण की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
 
ऐसी घटनाओं को लेकर भारत जैसा कोई शोर नहीं मचता। सरकारों की कोई निंदा-आलोचना नहीं होती। मीडिया भी चुप ही रहता है। बर्लिन वाले नरभक्षण की केवल एक दिन प्रिंट मीडिया में थोड़ी-बहुत चर्चा रही, उसके बाद से कभी कुछ सुनने में नहीं आया। इस साल जनवरी में उसे आजीवान कारावास की सज़ा सुनाई गई। जर्मनी में आजीवन कारावास का अर्थ है, आम तौर पर 15 साल जेल की सज़ा।

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