टेस्ट चैंपियनशिप फाइल के लिए प्लेइंग इलेवन चुनना आसान नहीं होने वाला है जनाब.... पिछले कई दिनों से लगातार भारत की अंतिम ग्यारह के कॉम्बिनेशन, तीसरे गेंदबाज, स्पिनर इन चीजों पर काफी डिशकशन चल रहा है। चले भी क्यों ना ऐतिहासिक मौका है, कोई गलती की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहता।
अब जो सबसे बड़ा मुद्दा निकलकर सामने आया है, वह ये है कि भारत के पेस अटैक में तीसरे तेज गेंदबाज के रूप में 100 टेस्ट मैच खेलने वाले इशांत शर्मा को मौका मिलेगा, या फिर टेस्ट में कदम जमा रहे मोहम्मद सिराज को चुना जाएगा, जिनका ऑस्ट्रेलिया दौरा लाजवाब रहा था। खैर, चर्चा तो काफी वक्त से चल रही है, लेकिन अब नतीजे पर पहुंचने का वक्त आ चुका है क्योंकि महामुकाबले को चंद दिन बचे हैं।
तो आइए आंकड़ों पर नजर डालें और जानें की कप्तान कोहली किसे चुन सकते हैं....
एक के पास अनुभव और दूसरे के पास युवा जोश
यह बात हम सभी जानते हैं कि इशांत शर्मा अनुभव के धनी हैं और मोहम्मद सिराज ने बीते 6 महीनों में अपनी गेंदबाजी से सभी को खासा प्रभावित किया है। ऐसे में कप्तान कोहली के सामने बड़ा सिरदर्द यह है कि जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी के अलावा तीसरे तेज गेंदबाज के रूप में किसको मौका दें। क्योंकि एक तरफ अनुभव है तो दूसरी तरफ युवा जोश।
इशांत शर्मा की बात करें, तो वह साल 2007 से इंग्लैंड के दौरे पर जा रहे हैं। 2007 में भले ही उनको एक भी मुकाबला खेलने का मौका ना मिला हो, लेकिन 2011, 2014 और 2018 के इंग्लैंड दौरे पर वो टीम इंडिया के मुख्य तेज गेंदबाज थे।
इशांत शर्मा का इंग्लैंड दौरे पर प्रदर्शन (हर सीरीज के अनुसार):
साल |
मैच |
औसत |
विकेट |
5 विकेट |
बेस्ट |
2011 |
4 |
58.18 |
11 |
- |
4/59 |
2014 |
3 |
27.21 |
14 |
1 |
7/74 |
2018 |
5 |
24.28 |
18 |
1 |
5/51 |
इन सभी आंकड़ो के अनुसार इशांत शर्मा ने इंग्लैंड की सरजमीं पर 12 टेस्ट मैच में 33.91 की औसत के साथ कुल 43 विकेट चटकाए हैं। इस दौरान वह दो बार एक पारी में पांच या उससे अधिक विकेट लेने में सफल रहे हैं और उनका सबसे बढ़िया प्रदर्शन 7/74 देखने को मिला है।
याद दिला दें की साल 2014 में जब महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर एक यादगार जीत का परचम फहराया था, तब इशांत शर्मा ने एक बड़ी और अहम भूमिका निभाते हुए 7 विकेट अपने नाम किए थे।
पिछले 3 सालों में बदले इशांत
यह बात किसी से नहीं छिपी है की पिछले 3 सालों में विश्व क्रिकेट को एक अलग ही इशांत शर्मा देखने को मिले हैं। आज दुनियाभर में टेस्ट फॉर्मेट में अगर टीम इंडिया के नाम का डंका बज रहा है तो उसमें एक बड़ा हाथ इशांत का रहा है। साल 2018-19 ऑस्ट्रेलिया की धरती पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने में इशांत ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
आंकड़े स्वयं दे रहे हैं गवाही
पिछले चार सालों में इशांत शर्मा के गेंदबाजी ग्राफ पर एक नजर:
साल |
मैच |
विकेट |
औसत |
5 विकेट |
बेस्ट |
2018 |
11 |
41 |
21.80 |
1 |
5/51 |
2019 |
6 |
25 |
15.56 |
2 |
5/22 |
2020 |
1 |
5 |
15.20 |
1 |
5/68 |
2021 |
4 |
6 |
26.67 |
- |
2/22 |
इन सभी आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए कप्तान विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट के लिए इशांत शर्मा को बाहर बैठना बिल्कुल भी आसान नहीं होगा।
लेकिन सिराज की क्या गलती
हालांकि, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जब से सिराज को टेस्ट क्रिकेट में खेलने का मौका मिला है, तब से क्रिकेट के जानकारों ने एक अलग ही मोहम्मद सिराज को मैदान पर गेंदबाजी करते हुए देखा है। सिराज को इसी साल मेलबर्न के मैदान पर लाल गेंद के साथ डेब्यू करने का मौका मिला था और उन्होंने इस मौके पर ऐसा चौका लगाया कि कुछ ही समय पर लोगों के दिलों दिमाग पर छा गए।
ऑस्ट्रेलिया की विशाल बल्लेबाजी के खिलाफ उन्होंने तीन टेस्ट मैचों में उम्दा गेंदबाजी करते हुए 29.54 की औसत के साथ 13 विकेट चटका डालें। ब्रिस्बेन टेस्ट मैच वो सिराज ही थे जिन्होंने 5/73 के आंकड़े दर्ज कर कंगारू टीम को चारों खाने चित कर दिया था। उसके बाद घरेलू सरजमीं पर इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में 22.67 की औसत के साथ तीन विकेट अपनी झोली में डालें।
असर आईपीएल पर भी साफ देखने को मिला
टेस्ट क्रिकेट में मिली सफलता का असर मोहम्मद सिराज के प्रदर्शन पर आईपीएल में भी देखने को मिला। आईपीएल-14 के दौरान उन्होंने 7 मैचों में 31.83 की औसत के साथ 6 विकेट चटकाए।
अब कोहली की परेशानी एकदम जायज है एक तरफ इशांत हैं और दूसरी तरफ सिराज.... दोनों ही चयन के पूरे-पूरे हकदार हैं लेकिन जगह किसको मिलेगी, इसका फैसला 18 जून को टॉस के समय ही होगा।