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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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देश के 4 राज्‍यों में बाढ़ से हाहाकार, Mansoon Shifting का ये कैसा पैटर्न, बारिश ने क्‍यों धारण किया रौद्र रूप?

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नवीन रांगियाल

  • गुजरात, राजस्‍थान, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में बाढ़ से तबाही
  • क्‍या डीप डिप्रेशन है गुजरात में बाढ़ के पीछे की वजह
  • ग्रेविटेशनल पोटेंशियल, साइक्‍लोन और ग्‍लोबल वार्मिंग के बारे में क्‍या कहते हैं वैज्ञानिक
What kind of pattern of Mansoon Shifting is this : गुजरात से लेकर राजस्‍थान, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना तक। उधर उत्‍तराखंड से हिमाचल प्रदेश, असम और त्रिपुरा तक। देश के जिस भी राज्‍य में देखो वहां इस बार बारिश ने भारी तबाही मचा रखी है। गुजरात, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में तो अब भी भारी बारिश का सिलसिला थमा नहीं है। बारिश से भारत में हजारों गांव प्रभावित हुए, सैकड़ों लोग मारे गए। चार राज्‍यों में आई बाढ़ ने हालात पूरी तरह से तहस नहस कर दिए हैं।

सवाल यह है कि आखिर क्‍यों पिछले कुछ सालों से कहीं भारी बारिश हो रही है तो कहीं कम बारिश है। राजस्‍थान के रेगिस्‍तान में जहां बारिश नहीं होती थी, वहां भी बाढ़ ने तबाही मचाई। क्‍या इसके पीछे gravitational potential, Cyclone, Climate change है। क्‍या होते हैं यह सब? जानते हैं क्‍या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक और विशेषज्ञ?

क्‍यों हुए ऐसे हालात : गुजरात हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। सिर्फ चार दिनों में बारिश जनित दुर्घटनाओं में 47 लोगों की मौत हो गई। 1500 से अधिक को बचाया गया, जबकि बाढ़ वाले इलाकों से 25 हजार से ज्यादा लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश : तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लगातार तीसरे दिन भी मूसलाधार बारिश हुई। इस वजह आंध्र प्रदेश में रविवार 1 सितंबर की शाम तक बारिश की वजह से 15 और तेलंगाना में 9 लोगों की मौत की खबर है। बारिश से प्रभावित 17,000 लोगों को 107 राहत शिविरों में पहुंचाया गया है, जबकि 1.1 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि क्षेत्र और 7,360 हेक्टेयर बागवानी क्षेत्र को नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के मुताबिक पुनर्वास केंद्रों में लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई। भारी बारिश से राजस्‍थान और मध्‍यप्रदेश में भी जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
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ग्रेविटेशनल पोटेंशियल (gravitational potential) से बदला मौसम : होल्कर विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ राम श्रीवास्तव ने वेबदुनिया को बताया कि दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम शिफ्ट हुआ है और मौसम शिफ्ट होने की वजह से ऐसे राज्यों में भारी बारिश हो रही है, जहां कभी कम या सामान्य होती थी। साइक्लोनिक क्लस्टर पर बारिश निर्भर करती है। जमीन के अंदर या केंद्र में 3 किमी की सिंगल क्लस्टर ऑफ आयरन मौजूद उसकी गति में जर्क आने लगा है, हिचकोले खाता है, वो धीरे घूमता है। इसे ग्रेविटेशनल पोटेंशियल (gravitational potential) कहा जाता है। इसी की वजह से बारिश कम या ज्यादा होती है।
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सीवी क्‍लाउड (cv cloud) है भारी बारिश के पीछे : भोपाल के मौसम वैज्ञानिक जीडी मिश्रा ने बताया कि मानसूनी बारिश सिस्‍टम से होती है। लेकिन पिछले 20 से 25 साल में मौसम का सिस्‍टम नहीं बन रहा है। दूसरी वजह है कि co2 बढ़ गई है। वाहनों की संख्‍या बढ गई है। सड़कें, ब्रिज और फ्लाइओवर लगातार बन रहे हैं। जिससे मानसून सेट नहीं हो रहा है, अगर मानसून सेट हो जाए तो पूरे देश में एक साथ एक जैसी बारिश होती है, लेकिन मानसून सेट नहीं होने की वजह से कहीं कहीं बहुत बारिश होती है तो कहीं नहीं होती है। ज्‍यादा बारिश के पीछे सीवी क्‍लाउड है, यानी गरजने वाले बादल। लेकिन अब आपने देखा होगा कि बादल कम गरज रहे हैं। जबकि आसमान में मौसम बना हुआ है।
कहने का मतलब है कि मानसून का पैटर्न बदल गया है। इसे विज्ञान में मानसून अनियमितता कहते हैं। इस पैटर्न में अब झडी नहीं लगती है। अब कहीं खूब बारिश होती है, या कहीं होती ही नहीं है। कुल मिलाकर सिस्‍टम मजबूत नहीं बन पा रहा है।

क्‍या डीप डिप्रेशन (deep depression) है गुजरात में बाढ़ की वजह : विशेषज्ञों के मुताबिक गुजरात में बाढ़ की वजह के पीछे डीप डिप्रेशन सिस्‍टम (गहरा अवदाब) है। यह सिस्टम पहले बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव वाले क्षेत्र के रूप में बना। फिर मध्य प्रदेश के ऊपर तेज हुआ और इसने डिप्रेशन का रूप ले लिया। इसके बाद राजस्थान पहुंचा और डीप डिप्रेशन में बदल गया। वहां से आगे यह गुजरात के ऊपर काफी धीमी गति से बढ़ रहा था और साथ में अरब सागर से इसे खूब नमी भी मिल रही थी, इसीलिए गुजरात के कई इलाकों में बेहद भारी बारिश हुई।
साइक्लोन (Cyclone) के साथ क्‍यों आती है भारी बारिश : दरअसल चक्रवात किसी जगह पर बहुत कम दबाव की स्थिति में बनते हैं और ऐसे में बड़े क्षेत्र से हवा खींचना शुरू कर देते हैं। जब हवा निम्न दबाव केंद्र में जमा हो जाती है तो ऊपर उठने लगती है। जो हवा इसमें इकट्ठी होती है, उसमें बड़ी मात्रा में नमी होती है। ये ऊपर जाकर बारिश वाले बादल में बदलते हैं और तूफान के साथ चल पड़ते हैं। ये बादल इतनी बड़ी संख्या में होते हैं कि सैकड़ों हाथियों के वजन के बराबर बारिश साथ लेकर चलते हैं। जब तूफान कहीं टकराता है तो फिर उस इलाके में जबरदस्त आंधी के साथ बारिश शुरू हो जाती है। चूंकि एक तूफान बहुत बड़े क्षेत्र से हवा खींचता है, लिहाजा उसका प्रभाव भी काफी बड़े एरिया तक होता है।

अचानक क्यों होती है मूसलाधार बारिश : इन दिनों बारिश का पैटर्न बहुत तीव्र है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तीव्र और लंबे समय तक बारिश के कई कारण हैं। मुख्य कारण वातावरण में नमी की मात्रा है। यदि बहुत अधिक नमी मौजूद है, तो भारी बारिश की संभावना रहती है। लेकिन अगर नमी कम है तो बारिश कम होगी। इसके अलावा एक और कारण है वायुमंडल का तापमान। यदि वातावरण गर्म है, तो हल्की बारिश होगी और यदि वातावरण ठंडा है तो भारी बारिश होगी।

पृथ्वी का तापमान एक वजह : पृथ्वी पर अत्यधिक गर्मी का बढ़ना भी तेज बारिश की वजह बनता है। प्रचंड गर्मी के दिनों में सतह के पास की हवा अस्थिर रहती है। बता दें कि यह अस्थिरता ऐसे बादलों का निर्माण करती है, जिसके चलते तूफान और भारी बारिश आती है।
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क्‍या तबाही मचा रहा बदला हुआ मौसम?
गुजरात में बाढ़ से मौतें :
गुजरात पिछले एक सप्ताह से जारी भारी बारिश के कारण भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। सिर्फ चार दिनों में बारिश जनित दुर्घटनाओं में करीब 47 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें जामनगर में 7, आणंद में 6 और अहमदाबाद में 6 लोगों की मौत हुई है। जिसके बाद कच्छ में 3, खेड़ा में 3, महिसागर में 3, वडोदरा में 3, सुरेंद्रनगर में 3, गांधीनगर में 2, छोटाउदेपुर में 2, दाहोद में 2, भरूच में 2, अरावली में 1, डांग में 1, में 1 की मौत हो गई है। देवभूमि द्वारका में 1, पंचमहल में 1 और मोरबी में 1 की मौत हुई। (यह आंकड़ा 25 से 30 अगस्‍त के बीच का है)

कच्छ और सौराष्ट्र सबसे बेहाल : इसी डीप डिप्रेशन के कारण गुजरात के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई है। इसके चलते पूर्व-मध्य गुजरात में 105 फीसद से अधिक बारिश दर्ज की गई। उत्तरी गुजरात में औसत रूप से 87 प्रतिशत बारिश हुई। वहीं, क्षेत्रवार आकलन करें तो कच्छ में सबसे ज्यादा 177 फीसद बारिश दर्ज हुई। सौराष्ट्र में 124 प्रतिशत से अधिक और दक्षिण गुजरात में 111 प्रतिशत से ज्यादा बारिश हुई। चूंकि डीप डिप्रेशन कच्छ और सौराष्ट्र के ऊपर से गुजर रहा था, इसलिए वहीं सबसे अधिक प्रभाव भी पड़ा।

आंध्रप्रदेश में बाढ़ से 4.5 लाख लोग प्रभावित : आंध्र प्रदेश में भारी बारिश के बाद बाढ़ का कहर जारी है। वर्षाजनित हादसों में 15 लोगों की मौत हो गई। करीब 4.5 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। विजयवाड़ा का हाल सबसे ज्यादा बेहाल है। राहत और बचाव कार्य में NDRF और SDRF की 39 टीमें जुटी हुई हैं।

तेलंगाना में भी बाढ़ से बुरा हाल : तेलंगाना में बारिश की वजह से हादसों में 16 लोगों की मौत हुई है। बाढ़ की वजह से 1.5 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर लगी फसलें तबाह हो गई। शुरुआती तौर पर 5,000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। बाढ़ का सबसे ज्यादा असर खम्मम में दिखा।

ट्रेन यातायात पर असर : तमिलनाडु और तेलंगाना ही नहीं अन्य राज्यों में भी बाढ़ के दौरान सैकड़ों ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। इन दोनों राज्यों में ही भारी बारिश और कई स्थानों पर पटरियों पर जलभराव के कारण 432 ट्रेनें रद्द कर दी गईं, 139 ट्रेनों के रूट बदले गए हैं।
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क्‍या इसका कोई अंत है : सवाल उठता है कि क्‍या देशभर में बदले इस मानसून चक्र और इसकी तीव्रता को रोकने या कंट्रोल करने के लिए कोई तरीका या उपाय है तो इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। वैज्ञानिकों और इस विषय के जानकारों का कहना है कि शहर जितनी तेजी से बढ़ रहे हैं। विकास हो रहा है, जंगल कट रहे हैं, सड़कें, पुल, इमारतें और हर चीज का जिस तरह से सीमेंटीकरण हो रहा है, तमाम तरह की परिजयोनाएं आ रही हैं, पहाड़ कट रहे हैं और नदियों का रुख बदल रहा है। ऐसे में फिलहाल तो इसका कोई हल नजर नहीं आता। दुनिया को इस नए खतरे और बदलाव के तहत अपनी तैयारी रखना होगी।

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