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वर्क लोड ऑफिस में बढ़ा रहा cardiac arrest, क्‍या है Smoke Break जो युवाओं में बांट रहा Diabetes और Blood pressure

नवीन रांगियाल
Cover Photo - Freepik
Side Effects Of Overworking In Office: दस से बारह बारह घंटों तक ऑफिस में ऑफिशियल और अनऑफिशियल शिफ्ट। काम का ढेर सारा प्रेशर। टारगेट अचीवमेंट की दौड़। ऑफिस और ऑफिस के बाहर लगातार होने वाली मीटिंग्‍स। इस बीच स्‍मोक ब्रेक, चाय- कॉफी और फिज़िकल एक्टिविटी बिल्‍कुल सिफर।

30 से 45 की उम्र तक के युवाओं की इन दिनों कुछ यही लाइफ स्‍टाइल है। इस जानलेवा रूटीन की खतरा इतना बढ़ गया है कि अब ऑफिस में ही लोगों को हार्ट अटैक आने लगे हैं। हाल ही में ऐसे दो मामले सामने आए हैं, जब ऑफिस में काम के दौरान दो महिला कर्मचारी एना सेबेस्टियन और सदफ फातिमा की मौत हो गई। बता दें कि इनकी मौत के पीछे की वजह ऑफिस का वर्क लोड बताया जा रहा है।

वर्कलोड से हुई एना सेबेस्टियन की मौत : महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक युवती एना सेबेस्टियन की मौत हो गई और इसकी मौत की वजह वर्कलोड निकली। 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट एना सेबेस्टियन अर्न्स्ट एंड यंग (EY) बिग फोर अकाउंटिंग फर्म में काम करती थी, लेकिन ज्यादा वर्कलोड और उसके स्ट्रेस के कारण उसकी नींद और भूख खत्म हो गई थी। हार्ट अटैक से उसकी मौत हुई। उसे कार्डिएक अरेस्‍ट आया था। यह आरोप लड़की मां ने एक ईमेल करके कंपनी पर लगाए। इसके बाद अन्ना के अंतिम संस्कार में कंपनी का कोई कर्मचारी शामिल नहीं हुआ।

एना की मौत से पहले क्‍या कहा था मां ने : बता दें कि एना की मौत से पहले कई कर्मचारी इस कंपनी से रिजाइन कर चुके थे। एना की मां अनीता ऑगस्टिन ने चेयरमैन राजीव मेमानी को लेटर लिखकर अपनी कंपनी के टॉक्सिक वर्क कल्‍चर में सुधार करने को कहा था। अनीता ने यह भी दावा किया है कि कई कर्मचारी वर्कलोड के चलते रिजाइन कर चुके थे। इसलिए उनकी बेटी के बॉस ने एना को रिजाइन करने से रोक दिया था। साथ ही कहा था कि उसे टीम के बाकी लोगों की राय बदलनी चाहिए। एना का मैनेजर अक्सर क्रिकेट मैचों के दौरान मीटिंग्स को रीशेड्यूल करता था। दिन खत्म होने पर उसे काम सौंपता, जिससे उनका तनाव बढ़ता जा रहा था।

EY कंपनी के पास नहीं था 9 घंटे वर्क का परमिट: पुणे की जिस कंपनी EY (अर्न्स्ट एंड यंग) में अन्ना सेबेस्टियन बतौर चार्टर्ड अकाउंटेंट काम करती थी, उस कंपनी के बारे में जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई है। जांच में सामने आया है कि EY कंपनी 2007 से स्टेट परमिट के बिना काम कर रही है। महाराष्ट्र के एडिशनल लेबर कमिश्नर शैलेंद्र पोल के मुताबिक कंपनी के पास शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत दिया जाने वाला सर्टिफिकेट नहीं था। यह कानून किसी भी कंपनी में कर्मचारी के अधिकतम 9 घंटे (हफ्ते में 48 घंटे) की ड्यूटी करने की अनुमति देता है। इस पर EY कंपनी को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है।

लखनऊ में HDFC बैंक में महिला की मौत : उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एचडीएफसी बैंक कर्मचारी सदफ फातिमा की काम के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। बताया जाता है कि महिला अपनी कुर्सी से गिर गई और तुरंत उनकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने एक्स पर खबर शेयर करते हुए लिखा— लखनऊ में काम के दबाव और तनाव के कारण एचडीएफसी की एक महिलाकर्मी की ऑफिस में ही, कुर्सी से गिरकर, मृत्यु का समाचार बेहद चिंतनीय है। उन्‍होंने इसे वर्क प्रेशर बताया है।

रिपोर्ट नहीं होते मामले : पुणे का यह मामला कोई पहला केस नहीं है, दुनिया में ऐसे कई मामले आ रहे हैं। देश में कई केस हो चुके हैं, लेकिन वे रिपोर्ट नहीं होते। पुणे मे हुआ मामला भी इसलिए सामने आया, क्योंकि लड़की मां ने ईमेल करके आरोप लगाए और कॉर्पोरेट सेक्टर की सच्चाई को उजागर करना चाहा। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई कि वर्कलोड से क्या वाकई मौत हो सकती है?

क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर और मनोचिकित्‍सक?
इंदौर में सीएचएल अस्‍पताल में हार्ट सर्जन डॉ मनीष पोरवाल ने वेबदुनिया को बताया कि आजकल युवाओं में स्‍मोक ब्रेक का चलन बढ़ गया है, स्‍मोक ब्रेक यानी ऑफिस में जरा भी तनाव बढ़ा और चाय- सिगरेट के लिए बाहर आ जाना। ऐसे में युवाओं में डायबिटीज और ब्‍लडप्रेशर बढ़ रहा है। मेरे पास 30 से 40 तक की उम्र के रोजाना कई युवा आ रहे हैं, जिन्‍हें ब्‍लडप्रेशर और डायबिटीज है। यह सब ओवर वर्क, टारगेट अचीवमेंट की वजह से हो रहा है। 15 से 20 प्रतिशत में हार्ट अटैक का कारण वर्क लोड से होने वाली बीमारियां हैं। डॉ पोरवाल ने बताया कि हालांकि यह निर्भर करता है कि मरीजों की हिस्‍ट्री क्‍या है, अगर उन्‍हें डायबिटीज और ब्‍लडप्रेशर है तो तनाव में कार्डिएक अरेस्‍ट का खतरा ज्‍यादा होता है। लेकिन यह सच है कि 15 से 20 प्रतिशत लोगों को ऑफिस में वर्क लोड अफेक्‍ट कर रहा है।

कैस कम करें ऑफिस का तनाव?
भोपाल के जाने माने मनोचिकित्‍सक डॉ सत्‍यकांत त्रिवेदी ने बताया कि ऑफिस में बढ़ते वर्क लोड और तनाव के कारण हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याएं बढ़ रही हैं। काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बेहद ज़रूरी है। फिजिकल एक्टिविटी तनाव को कम करने में मदद करती है और दिल को स्वस्थ रखती है। हर दिन कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज़ करने की कोशिश करें। मेडिटेशन, योग और डीप ब्रीदिंग जैसी तकनीकें तनाव को कम करने में प्रभावी होती हैं। माइंडफुलनेस भी लाभकारी है। संतुलित और पौष्टिक आहार हार्ट हेल्थ के लिए ज़रूरी है। काम के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लेना आवश्यक है। लंबे समय तक लगातार काम करने से मानसिक और शारीरिक थकावट हो सकती है। पर्याप्त नींद लेना तनाव को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद करता है। हर दिन 7-8 घंटे की नींद लेना महत्वपूर्ण। यदि तनाव बहुत ज्यादा हो, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें। कई बार प्रोफेशनल गाइडेंस से बेहतर परिणाम मिलते हैं।

दुनिया में सबसे ज्‍यादा काम करते हैं भारतीय
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय दुनिया में सबसे ज्‍यादा घंटे काम करते हैं। एक भारतीय कर्मचारी हर हफ्ते 46.7 घंटे काम करता है। 51 प्रतिशत भारतीय कर्मचारी हफ्ते में 49 घंटे से ज्‍यादा काम करते हैं। वहीं, दुनिया में सबसे कम घंटे काम वनातू के कर्मचारी करते हैं। वनातू में कर्मचारी हफ्ते में सिर्फ 24.7 घंटे काम करते हैं। जबकि किरिबाती में 27.3 घंटे काम करते हैं कर्मचारी। वहीं, माइक्रोनेशिया में कर्मचारी सिर्फ 30.4 घंटे काम करते हैं।

काम को लेकर क्‍या कहा था नारायण मूर्ति ने : नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने कुछ महीनों पहले बयान देकर एक बहस शुरू कर दी थी। उन्‍होंने कहा था कि युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए, तभी देश आगे बढ़ेगा। वह अपने 70 घंटे वाले बयान पर कायम है। इसके बाद नारायण मूर्ति ने कहा था कि वह काम के लिए सुबह 6:20 बजे ऑफिस में होते थे और वे खुद हफ्ते में 85-90 घंटे तक काम करते थे। न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक आईटी कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने सुझाव दिया था कि देश की उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए भारत के युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए।

भारत में वर्क लोड की हकीकत

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