उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण सामुदायिक स्तर पर फैला या नहीं, इसकी जानकारी हासिल करने के लिए अब उत्तर प्रदेश सरकार 11 जिलों में सीरो सर्वे कराने जा रही है। प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण की गंभीर स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया है।
यह सर्वे एक सप्ताह बाद शुरू होगा, जिसमें लोगों के रक्त के नमूनों के जरिए हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी की जांच भी होगी। इस जांच का मकसद कोरोना संक्रमण के साथ ही हेपेटाइटिस जैसी बीमारी की जांच करना भी है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसलिए ये सर्वे लखनऊ समेत कानपुर, मुरादाबाद, मेरठ, कौशांबी, वाराणसी, आगरा, प्रयागराज, गोरखपुर, बागपत व गाजियाबाद में कराया जाएगा। सर्वे के लिए 11 टीमें होंगी और प्रत्येक टीम में चार सदस्य होंगे। इस टीम का नेतृत्व जिले के सीनियर मेडिकल ऑफिसर करेंगे।
सीरो सर्वे कराने के पीछे सरकार का मकसद यह जानना है कि यह संक्रमण अब तक कितने लोगों को हो चुका है और उनके शरीर में कोरोना संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुई है यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हुई या नही।
प्रदेश के 11 जिलों में यह सर्वे केजीएमयू लखनऊ की देखरेख में होगा, सर्वे के लिए चुने गए जिलों में स्वास्थ्य अधिकारी मदद करेंगे। उत्तर प्रदेश में लगभग 80 प्रतिशत मरीज बिना कोराना लक्षण के मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से यह सर्वे करके जानने का प्रयास किया जाएगा कि कोरोना का संक्रमण कहां और किस क्षेत्र में फैल रहा है, ताकि कंटेनमेंट जोन बनाने में स्वास्थ्य विभाग को आसानी हो सके, कोरोना संक्रमण विस्तार को रोका जा सके।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले डोर टू डोर कोरोना सर्वे और जांच की मुहिम चलाई थी, डोर टू डोर सर्वे से बड़ी संख्या में कोरोना मरीज मिले। अब सीरो सर्वे के जरिए सरकार प्रदेश से कोरोना के पैर उखाड़ने की कोशिश कर रही है, जो मील का पत्थर साबित हो सकता है।