Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

50 रुपए में मिलेगा एन-95 मास्क का बेहतर विकल्प, शोधकर्ताओं ने किया विकसित

50 रुपए में मिलेगा एन-95 मास्क का बेहतर विकल्प, शोधकर्ताओं ने किया विकसित
, शुक्रवार, 11 जून 2021 (12:45 IST)
नई दिल्ली, कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए फेस मास्क, सैनिटाइजर उपयोग और महामारी को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक सामाजिक आचरण जरूरी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मास्क को बेहद कारगर माना है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मास्क लगाने से कोरोना संक्रमण का फैलाव सीमित हो जाता है।

इस दिशा में एन-95 फेस मास्क को विशेष प्रभावी माना गया है। माना जाता है कि यह मास्क पीड़ित व्यक्ति से स्वस्थ लोगों तक वायरस संक्रमण पहुंचने की प्रक्रिया को प्रभावकारी तरीके से कम कर देता है। लेकिन, बाजार में उपलब्ध ज्यादातर एन-95 फेस मास्क कई बार असुविधाजनक होते हैं। ऐसे मास्क प्रायः धोकर दोबारा प्रयोग में नहीं लाए जा सकते हैं।

हाल ही में, भारतीय वैज्ञानिकों ने हाइब्रिड मल्टीप्लाई फेसमास्क विकसित किए हैं। इन्हें एसएचजी-95 (बिलियन सोशल मास्क) भी कहते हैं। ये ‘मेड इन इंडिया’ मास्क प्रदूषित कणों को लगभग 90 प्रतिशत और बैक्टीरिया को लगभग 99 प्रतिशत तक रोकने में सक्षम हैं।

इस मास्क का निर्माण इस तरह किया गया है कि इससे सांस लेने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है। मास्क को कानों पर बांधने के लिए आरामदेह लूप लगाया गया है। ये मास्क हाथों से बुने हुए सूती कपड़े से बनाए गए हैं। इन मास्क में फिल्टर के लिए अलग परत लगायी गई है, जिससे मास्क का फायदा बढ़ जाता है। इसके साथ ही, नये मास्क को हाथ से धोकर दोबारा प्रयोग में भी लाया जा सकता है।

हाइब्रिड मल्टीप्लाई फेसमास्क को हैदराबाद स्थित परिशोधन टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड ने जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक) और आईकेपी नॉलेज पार्क की सहायता से विकसित किया है। इसकी कीमत 50 से 75 रुपये प्रति मास्क रखी गई है, जिससे आम लोगों तक इसकी पहुंच संभव हो सके।

कोरोना संक्रमण के कारण मास्क की मांग को ध्यान में रखते हुए इन मास्क का निर्माण किया जा रहा है, और अब तक 1.45 लाख मास्क बिक चुके हैं। वहीं, इस पहल को कनाडा के ग्रैंड चैलेंजेस से भी सहायता मिल रही है। (इंडिया साइंस वायर)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

कोरोना वैक्सीन से शरीर के ‘चुंबक’ बनने का दावा, क्या हो सकता है ऐसा?