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कोरोनाकाल में मरीजों की 'सांसों' के लिए आफत बना मेरठ DM का तुगलकी फरमान

कोरोनाकाल में मरीजों की 'सांसों' के लिए आफत बना मेरठ DM का तुगलकी फरमान

हिमा अग्रवाल

, बुधवार, 28 अप्रैल 2021 (23:29 IST)
मेरठ। डीएम ने एक तुगलकी फरमान जारी करके बड़ी संख्या में कोविड, नॉन कोविड और होम आइसोलेशन में रहने वाले पेशेंट की जान मुसीबत में डाल दी है। डीएम के बाला जी ने आदेश दिए हैं कि ऑक्सीजन गैस के सिलेंडर सिर्फ अस्पतालों को दिए जाएंगे प्राइवेट में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होगी।

डीएम साहब के इस फरमान के बाद नॉन कोविड अस्पताल और होम आइसोलेशन में रहने वाले कोविड पेशेंट्स मुसीबत में आ गए हैं। मेरठ के अस्पतालों में कोरोना सक्रमित लोगों के लिए जगह नही है, बेड नहीं मिल रहा है, ऐसे में कोविड पीड़ित घर में उपचार ले रहे हैं, घर में ही ऑक्सीजन की व्यवस्था डॉक्टर की कंसल्टेंसी में की गई है।

लेकिन लगता है डीएम साहब को होम आइसोलेशन रास नहीं आ रहा है, क्योंकि तभी तो उन्होंने ऑक्सीजन देने पर रोक लगा दी है। अब डीएम साहब से ये कौन पूछें कि आप अस्पताल में न तो कोविड पेशेंट बेड और आक्सीजन मुहैया करा पा रहे हैं? अब उनकी चलती सांसों को रोकने के लिए प्राइवेट में ऑक्सीजन देनी भी बंद कर दी।

मेरठ में परतापुर क्षेत्र के कंसल इंडस्ट्रीयल गैसेज गोदाम पर बुधवार को रोते-बिलखते देखा गया। इन बेबस और लाचार लोगों का आरोप है कि मेरठ जिला प्रशासन ने आम आदमी के लिए ऑक्सीजन गैस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। इससे उनके बीमार परिजन तिल तिल तड़प कर मरने को मजबूर हैं।
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वहीं इस बात की जानकारी मिलने पर जब मीडियाकर्मी कंसल गैस गोदाम पर पहुंचे तो वहां रोते-बिलखते परिजनों ने अपनी पीड़ा बताई और बताया कि उनके परिजन घर पर आइसोलेशन में हैं और वे डॉक्टर का लिखित पर्चा भी लाए हैं पर उन्हें ऑक्सीजन गैस नहीं दी जा रही।
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अपने पेशेंट की जान बचाने के लिए दूरदराज से आए तीमारदारों ने आरोप लगाया कि अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रशासन की ओर से यह कदम उठाए गए हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके मरीज जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं और उनकी ऑक्सीजन कम है।

साइड पर नियुक्त नोडल अफसर गैस डिप्टी कमिश्नर इंडस्ट्रीज वीके सिंह कोशर ने बताया कि आम आदमी के लिए प्रशासन के आदेश पर ऑक्सीजन गैस की सप्लाई पूर्णतः बंद कर दिया है। अस्पतालों के लिए भरपूर गैस उपलब्ध है।
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प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय ऑक्सीजन गैस की कालाबाजारी रोकने के लिए किया गया है। जब नोडल अधिकारी से पूछा गया कि जो लोग घर पर क्वारंटाइन होकर अपना इलाज करा रहे हैं, उन्हें कैसे गैस उपलब्ध होगी तो उन्होंने साफ कह दिया कि किसी को भी व्यक्तिगत गैस नहीं दी जाएगी।

अस्पतालों में भर्ती हो और इलाज कराएं। ऐसे में गरीब आदमी आखिर कहां जाएं, क्योंकि अस्पताल में बेड नहीं हैं, तीमारदार एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल की खाक छानते फिर रहे या उनके पेशेंट्स दम तोड़ दे रहे हैं।

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