नई दिल्ली। कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को बड़ी त्रासदी झेलनी पड़ रही है। मजदूरों की दर्दभरी कहानियां सामने आ रही हैं। ऐसी दिल को झकझोरने वाली कहानी है 19 साल के विपिन कुमार की, जो लुधियाना 350 किलोमीटर पैदल चला लेकिन मंजिल पर पहुंचने से पहले ही भूख के कारण उसकी मौत हो गई है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तरप्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक विपिन कुमार लुधियाना में एक दुकान पर काम करता था। उसने 12 मार्च को पैदल ही हरदोई के सुरसा स्थित अपने घर के लिए यात्रा शुरू की। बिना खाना खाए 6 दिनों तक लगातार पैदल चलने और 350 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद सहारनपुर के निकट वह सड़क पर गिर गया।
एक एंबुलेंस ने उसे सड़क पर पड़े देखा और जिला अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों ने कहा कि उसकी मौत भूख से हुई। बताया जाता है कि कुमार ने अपने परिवार को 12 मई को बताया था कि वह घर लौट रहा है।
विपिन के पिता ने कहा था कि कुमार के पास पैदल चलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। कथित तौर पर भूख से मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तरप्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है। आयोग ने विपिन कुमार की मौत को 'मानवाधिकार उल्लंघन का गंभीर मामला' बताया है।
एनएचआरसी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब कोविड-19 संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की दर्दनाक स्थिति, उनकी बीमारी, सड़कों पर बच्चों को जन्म देने और उनकी मौत से संबंधित घटनाएं उसके संज्ञान में आई हैं।
आयोग ने कहा कि उसने 19 वर्षीय प्रवासी की सहारनपुर में कथित तौर पर भूख से हुई मौत के बारे में मीडिया में आई खबरों पर स्वत:संज्ञान लेते हुए उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है।
खबरों में कहा गया था कि विपिन 6 दिनों में साढ़े तीन सौ किलोमीटर पैदल चलकर लुधियाना से यहां आया था। वह उत्तर प्रदेश के हरदोई स्थित अपने घर जा रहा था।
उत्तर प्रदेश सरकार से चार हफ्ते में जवाब देते हुए यह बताने को कहा गया कि विभिन्न राज्यों में फंसे उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों की वर्तमान स्थिति क्या है, जो अपने घर लौटना चाहते हैं, उनकी सुगम वापसी सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
इसमें कहा गया कि मीडिया में ऐसी खबर है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रवासी कामगारों के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों के टोल प्लाजा पर छायादार आश्रय तथा जिन बसों में वह सफर करेंगे उनमें खाना और पीने का पानी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
बयान में कहा गया हालांकि ऐसे लग रहा है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा की गई घोषणाओं पर जमीनी स्तर पर अमल नहीं हो रहा है जिसके कारण प्रवासी मजदूर अब भी पीड़ा झेल रहे हैं। (भाषा)