Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

अब तेलंगाना में मिला मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज, इस देश से लौटा है भारत

Webdunia
सोमवार, 25 जुलाई 2022 (00:30 IST)
नई दिल्ली/हैदराबाद। Monkeypox in india : तेलंगाना के कामारेड्डी जिले में विदेश से लौटे एक शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे हैं। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक मरीज को हैदराबाद के सरकारी ज्वर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

यह 6 जुलाई को कुवैत से लौटा था और 20 जुलाई को उसे बुखार आया। राज्य के जन स्वास्थ्य निदेशक जी श्रीनिवास राव ने बताया कि शख्स के शरीर पर 23 जुलाई को चकत्ते पड़ने लगे जिसके बाद उसे कामारेड्डी जिले के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
 
राव ने बताया कि निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर उसे कामारेड्डी जिले के सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया और वहां से मरीज को यहां ज्वर अस्पताल में लाया गया है।

मरीज के नमूने लेने के बाद उसे पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु संस्थान (एनआईवी) भेजा जाएगा और रिपोर्ट आने तक उसे पृथक वार्ड में रखा जाएगा। वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि हमने इस व्यक्ति के संपर्क में आए, छह लोगों की पहचान की है। 
 
हालांकि उनमें किसी तरह का कोई लक्षण नहीं है और उन्हें भी पृथक रखा गया है। तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री टी हरीश राव ने स्थिति की समीक्षा की है और उनके निर्देशों के आधार पर सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं।

मौत की आशंका बेहद कम : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मंकीपॉक्स को लेकर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किए जाने और भारत में इसके 5 मामले सामने आने के बाद विशेषज्ञों ने कहा कि इससे घबराने आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह कम संक्रामक है और इससे मौत की आशंका बेहद कम होती है।
 
एक्सपर्ट्‍स के मुताबिक मंकीपॉक्स को कड़ी निगरानी के जरिए प्रभावी रूप से रोका जा सकता है। संक्रमित व्यक्तियों को पृथक करके और उनके संपर्क में आए लोगों को अलग करके संक्रमण के प्रसार पर लगाम लगाई जा सकती है। साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि कमजोर रोग प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों की अधिक देखभाल करने की आवश्यकता है। एनआईवी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के प्रमुख संस्थानों में से एक है।
 
पुणे में स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआई‍वी) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर प्रज्ञा यादव ने कहा कि मंकीपॉक्स वायरस दोहरे डीएनए स्वरूप वाला वायरस है जिसमें दो अलग-अलग आनुवंशिक स्वरूप होते हैं। इनमें से एक स्वरूप मध्य अफ्रीकी (कांगो बेसिन) है और एक पश्चिम अफ्रीकी है।
 
उन्होंने पीटीआई से कहा कि 'हाल में जिस प्रकोप ने कई देशों को प्रभावित कर चिंता में डाल दिया है, उसके पीछे पश्चिमी स्वरूप है, जिसे पहले सामने आए कांगो स्वरूप से कम गंभीर बताया जा रहा है।'
 
महामारी विशेषज्ञ एवं संक्रामक रोग चिकित्सक डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि मंकीपॉक्स कोई नया वायरस नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पांच दशकों से विश्व स्तर पर मौजूद है, और इसकी वायरल संरचना, संचरण और रोगजनकता के बारे में काफी जानकारी उपलब्ध है।
 
उन्होंने कहा कि वायरस के कारण ज्यादातर मामलों में हल्की बीमारी होती है। यह कम संक्रामक है और सार्स-कोव-2 (कोरोना वायरस) के विपरीत इस रोग की चपेट में आने वाले व्यक्तियों के संपर्क में रहा जा सकता है। सार्स-कोव-2 में सांस लेने में समस्या आती है और इसमें ऐसे लोगों की संख्या अधिक होती है, जिनमें लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
 
लहरिया ने कहा कि 'अब तक, बहुत से ऐसे कारण हैं, जिनके आधार यह माना जा सकता है कि मंकीपॉक्स के प्रकोप से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है और रोगियों व उनके संपर्क में आए लोगों को पृथक करके तथा चेचक के मंजूरी प्राप्त टीकों के इस्तेमाल से इसपर लगाम लगाई जा सकती है।' उन्होंने कहा कि फिलहाल आम लोगों के टीकाकरण की सिफारिश नहीं की जानी चाहिए।
 
डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को मंकीपॉक्स को चिंताजनक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 70 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स का प्रसार होना ‘‘असाधारण’’ परिस्थिति है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसुस ने कहा कि संक्षेप में, हम एक ऐसी महामारी का सामना कर रहे हैं जो संचरण के नये माध्यमों के जरिए तेजी से दुनिया भर में फैल गई है और इस रोग के बारे में हमारे पास काफी कम जानकारी है।

वैश्विक स्तर पर 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और इसके कारण अभी तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
 
एनटीएजीआई के कोविड कार्यकारी समूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह बीमारी कम संक्रामक है और इससे मौत होने की आशंका भी बेहद कम होती है। लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है।
 
उन्होंने कहा कि भले ही इसका प्रसार चिंता का विषय है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। कड़ी निगरानी, ​​संक्रमित लोगों और उनके संपर्क में आए व्यक्तियों को अलग-अलग करके इस वायरस पर काबू पाया जा सकता है।

भारत ने कोविड-19 महामारी से सीखे गए सबक के आधार पर, देश में मंकीपॉक्स के मामलों का पता लगाने और उन पर नज़र रखने के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित की है।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

नवीनतम

दीपोत्सव 2024 : 1100 वेदाचार्य करेंगे सरयू आरती, अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की होगी रामलीला, बनेंगे नए रिकॉर्ड

UP की सभी 9 सीटों पर SP लड़ेगी उपचुनाव, अखिलेश यादव का ऐलान

महाराष्ट्र : MVA के दलों में 85-85 सीट पर बनी बात, पढ़िए कहां फंसा है पेंच

Meerut : एनसीआर में पेट्रोल पंपों पर मिल रहा मिलावटी तेल, पेट्रोलियम पदार्थ के काले कारोबार का भंड़ाफोड़, 6 आरोपी पुलिस हिरासत में

Wayanad Election : प्रियंका गांधी ने घोषित की संपत्ति, जानिए कितनी अमीर हैं कांग्रेस महासचिव

આગળનો લેખ
Show comments