Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Ground Report : सड़कों पर जारी है मजबूर मजदूरों के पलायन का ‘लांग मार्च’ !

विकास सिंह
सोमवार, 11 मई 2020 (11:37 IST)
लॉकडाउन में जहां एक ओर शहर के अंदर की सड़कें वीरान है वहीं नेशनल हाईवे पर हजारों लोगों का जत्था दिखाई दे रहा रहा है। एक राज्य को दूसरे राज्य से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे पर इन दिनों लोगों (प्रवासी मजदूरों) का रेला लगा हुआ है। प्रवासी मजदूरों के घर वापसी की अंतहीन लंबी लंबी कतारें सड़कों पर नजर आ रही है। सिर पर बोरी, हाथों में पोटली और साथ में छोटे छोटे बच्चों को लिए प्रवासी मजदूर सड़क पर बस चले ही जा रहे है। 
 
अब जब लॉकडाउन के तीसरे चरण के खत्म होने का क आखिरी हफ्ता शुरु हो गया है तब भी सड़कों पर मजदूरों का घर वापसी का ‘लांग मार्च’ जारी है। लांग मार्च शब्द उसी चीन से जुड़ा हुआ है जहां से भारत में होने वाले मजदूरों के लांग मार्च की जड़ें कहीं न कहीं जुड़ी हुई है।

चीन में 1934-35 में माओ-त्से- तुंग के बदलाव के लांग मार्च में एक लाख सैनिक निकले थे लेकिन अंत में मंजिल पहुंचते पहुंचते बीस हजार ही बचे थे। चीन में सैनिकों  का लांग मार्च विरोधी सेना (राष्ट्रवादी समूह) से बचने का था लेकिन भारत में जो लांग मार्च सड़कों पर मजदूरों का दिखाई दे रहा है वह मजबूरी का मार्च है।  
 
चीन से आयतित महामारी कोरोना और उसके बाद हुई तालाबंदी में मजदूरों के पलायन की जो तस्वीरें आ रही है वह कलेजे को कंपा देने वाली है। सड़कों पर जो मार्च दिखाई दे रहा है वह बेबस मजदूरों का अपने गांव पहुंचने का मार्च है। पलायन करते मजदूर अच्छी तरह जानते हैं कि हो सकता है कि वे गांव पहुंचने पर भी न बचे, पर अपनी मिट्टी से मिलने की चाह उनको खींचे लिए जा रही है। घर वापसी की इसी चाहत में अब तक सैकड़ों मजदूर रास्ते में दम तोड़ चुके है या हादसे का शिकार बन चुके है।  
 
तपती धूप में टूटी चप्पल पहने भूखे पेट वह बस चले ही जा रहे है। लंबे हाईवे पर अगर खाना, पानी कहीं मिलता है तो कहीं नहीं भी मिलता है। महाराष्ट्र से उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में अपने घर पहुंचने के लिए मुंबई -आगरा नेशनल हाईवे- 95 पर इंदौर के आसपास इस समय हजारों की तदाद में मजदूर दिखाई दे रहे है। यह सभी अपने घरों को जाने के लिए निकले है। मजदूरों का पैदल लांग मार्च (पलयान) सौ किलोमीटर से लेकर दो हजार किलोमीटर तक हो रहा है।
 
अगर इतिहास में झांके तो कई तरह का पलायन को इस देश ने देखा है। देश में आजादी के बाद 1947 के बंटवारे के समय से लेकर झारखंड के कालाहांडी से लेकर मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड तक रोजगार की तलाश में पलायन की खबरें और तस्वीरें आती रही है। लेकिन इस बार मजदूरों का जो पलायन हो रहा है वह भूखे प्यासे जान बचाने का पलायन है, बेबस लोग चलते चलते पस्त हो जा रहे हैं, फिर भी ये चलते ही जा रहे है।
 
मुंबई से मध्यप्रदेश के छत्तरपुर में अपने गांव पहुंचने वाले प्रवासी मजदूर दद्दूपाल जब अपने सफर को बताते है तो सुनने वाले के रौंगटे खड़े हो जाते है। मुंबई से छतरपुर तक सफर  पैदल और ट्रक चालकों के रहमो करम पर पूरा करने वाले दद्दूपाल ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि वह सुरक्षित घर पहुंच गए। दद्दूपाल बताते हैं कि वह मुंबई से छतरपुर तक का सफर उन्होंने सात दिन में पूरा किया। इस दौरान वह सैकड़ों किलोमीटर पैदल चले जिसके कि उनके पांव में घाव हो गए है।
 
दिक्कत यह है कि इन मजदूरों की बेबसी को न समाज समझ रहा है और न सरकार। कहने को तो हर राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए बड़े दावे कर रही है, मजदूरों की वापसी के लिए नोडल अफसर तैनात किए जा रहे है लेकिन नतीजा वहीं ढांक के तीन पात है।  
 

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी और गृहमंत्री शाह से की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा...

सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

सभी देखें

नवीनतम

उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर बवाल, हिंदू संगठनों का प्रदर्शन, पुलिस ने किया लाठीचार्ज, 27 लोग घायल

Maharashtra : पुणे में पानी की टंकी गिरी, 5 श्रमिकों की मौत, 5 अन्य घायल

Cyclone Dana : चक्रवात दाना पर ISRO की नजर, जानिए क्या है अपडेट, कैसी है राज्यों की तैयारियां

भारत के 51वें CJI होंगे जस्टिस संजीव खन्ना, 11 नवंबर को लेंगे शपथ

चीन के साथ समझौते पर क्‍या बोले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

આગળનો લેખ
Show comments