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Super Immunity: इम्‍युनिटी का ‘डबल डोज’ नई स्‍टडी से हैरान वैज्ञानिक, जिन्‍हें कोरोना हुआ वे 2000 प्रतिशत एंटीबॉडी के साथ हो गए ‘सुपर इम्‍यून’

Super Immunity: इम्‍युनिटी का ‘डबल डोज’ नई स्‍टडी से हैरान वैज्ञानिक, जिन्‍हें कोरोना हुआ वे 2000 प्रतिशत एंटीबॉडी के साथ हो गए ‘सुपर इम्‍यून’
, मंगलवार, 21 दिसंबर 2021 (16:41 IST)
एक वक्‍त था जब कोरोना से बचने के लिए हर कोई अपनी इम्‍युनिटी को बढ़ाने के लिए तरह तरह की तरकीबें आजमा रहा था। ऐसा माना जा रहा था कि बस इम्‍युनिटी ही वो चीज है जिससे हम कोरोना वायरस से बच सकते हैं, यह बात सही भी है, जिन लोगों में इम्‍युनिटी पावर ज्‍यादा था, उन्‍हें कोरोना ने ज्‍यादा नुकसान नहीं पहुंचाया।

अब एक नई रिसर्च सामने आई है, जिसे एक खुशखबरी के तौर पर देखा जा रहा है। इस नई स्टडी में सामने आया कि ऐसे लोग जो वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं, उनके शरीर में ‘Super Immunity’ मिली  है। यानि ऐसे लोगों के पास इम्‍युनिटी का डबल डोज मिल गया है।

यह स्‍टडी अमेरिका के ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में एक छोटे से ग्रुप में की गई। जब इसका रिजल्ट आया तो वैज्ञानिक हैरान थे। उन्‍हें समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे कैसे हुआ।

रिपोर्ट के मुताबिक, 26 लोगों पर ये टेस्ट किया गया। इसके बाद स्टडी में सामने आया कि वैक्सीन लेने के बाद भी जो लोग पॉजिटिव हुए हैं, उनके अंदर 2000 प्रतिशत से ज्यादा एंटीबॉडी बढ़ गई है।

यह कैसे हुआ, वैज्ञानिक हैरान! 
दरअसल, जिन लोगों पर ये रिसर्च की गई, उन्हें वैक्सीन लेने से पहले कभी कोरोना वायरस संक्रमण नहीं हुआ था, जबकि वैक्सीन लेने के बाद वो संक्रमित हुए थे और टेस्ट में पता चला कि ऐसे में लोगों में एंटीबॉडी की मात्रा एक हजार से 2 हजार प्रतिशत तक बढ़ गई है।

2000 प्रतिशत एंटीबॉडी!
एंटीबॉडी ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के प्रोफेसर और इस स्टडी को करने वाले फिकाडु ताफेसे के मुताबिक स्टडी में हमने देखा कि इन लोगों में एंटीबॉडी का स्तर पर्याप्त मात्रा में बढ़ गया है और इसका प्रतिशत एक हजार से 2 हजार के बीच है। हमने स्टडी में पाया है कि एंटीबॉडी की ये मात्रा काफी ज्यादा है

अब प्रोफेसर फिकाडु ताफेसे के साथ ही दूसरे वैज्ञानिक भी एंटीबॉडी की इस मात्रा को ‘Super Immunity’ कह रहे हैं।

प्रोफेसर फिकाडु ताफेसे ने मीडि‍या को बताया, यह एक सुपर इम्युनिटी है’ 

खास बात यह है कि यह रिसर्च ओमिक्रॉन वायरस के संक्रमण के दौर में आ रही है, जब लोग संक्रमित हो रहे हैं। दुनिया में ओमिक्रॉन वेरिएंट तेजी से फैल रहा है। इसके साथ ही अभी यह भी तय नहीं है कि इस पर वैक्‍सीन काम करेगी या नहीं।

बता दें कि ओमिक्रॉन वेरिएंट इस वक्त दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट फैल चुका है और अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में काफी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में ये रिसर्च कारगर साबित हो सकती है। क्योंकि, ओमिक्रॉन वेरिएंट की चपेट में ऐसे भी लोग आ रहे हैं, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों खुराक ले रखी है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक रिसर्च में पाया गया है कि फाइजर या मॉडर्न का बूस्टर शॉट लेने वाले रोगियों में मूल वायरस की तुलना में ओमिक्रॉन रोकने के लिए 6.5 गुना कम एंटीबॉडी थे, जिसका मतलब ये हुआ कि अकले बूस्टर शॉट भी ओमिक्रॉन को रोकने में काबिल नहीं हैं।

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