लंदन। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से ब्रिटेन में गरीबी बढ़ रही है, जहां पहले ही आर्थिक संकट के बाद एक दशक से जारी मितव्ययिता के कारण गरीबी दर अधिक है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक करीब 1 करोड़ 40 लाख लोग गरीबी की श्रेणी में है जो देश की कुल आबादी का 25 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गरीबों में 42 लाख यानी कुल गरीबों में 30 प्रतिशत बच्चे हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि इससे स्थिति और खराब हो सकती है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी जाएगी।
सामाजिक बदलाव के लिए समर्पित संगठन जोसेफ राउनट्री फाउंडेशन के प्रधान अर्थशास्त्री डेव इनस ने कहा कि गरीबी का सबसे अधिक खतरा अतिथि सत्कार और खुदरा बाजार में काम करने वालों को होगा जिनके वेतन में कमी आ सकती है और रोजगार असुरक्षा अधिक होगी।
उल्लेखनीय है कि गत पखवाड़े में बेरोजगारी के लिए सरकार की सार्वभौमिक सहायता योजना के लिए करीब 10 लाख वयस्कों ने आवेदन किया है, जो दो समान्य पखवाड़े के औसत से 10 गुना अधिक है।
ब्रिटेन के बाल गरीबी कार्य समूह की निदेशक लुसिया मैक्गीहन ने कहा कि महामारी से पहले जो परिवार सम्माजनक वेतन पाते थे वे अचानक सार्वभौमिक आर्थिक मदद की ओर चले आए क्योंकि वे खुद को गरीब महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से हम संभवत: बहुत बड़ी मंदी की ओर जा रहे हैं और इससे बहुत जल्दी उबरना कठिन है।
इस बीच फूड बैंक जो सबसे असुरक्षित लोगों को खाना खिलाता है जैसे कि बेघर लोगों को, उसे कोरोना वायरस महामारी की वजह से बहुत कम दान मिल रहा है।
द ट्रूसल ट्रस्ट, जिसका ब्रिटेन में 1,200 फूड बैंक का नेटवर्क है, ने कहा कि वह अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रहा है। (भाषा)