दुनिया के कई देशों में एक तरफ कोरोनावायरस की तीसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है तो दूसरी ओर कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य भी जोरो से चल रहा है। कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लगने के बाद भी डेल्टा वैरिएंट लोगों को अपना शिकार बना रहा है। ऐसे में कोरोना के बूस्टर डोज की चर्चा जोरो से चल रही है।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केंद्र (सीएसएसई) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार दुनिया के 192 देशों एवं क्षेत्रों में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 18 करोड़ 94 लाख 74 हजार 860 हो गई है जबकि 40 लाख 74 हजार 680 लोग इस महामारी से जान गंवा चुके हैं।
ज्यादातर मामले ऐसी जगह से जहां टीकाकरण नहीं : दुनियाभर में कोरोनावायरस के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं। अधिकांश देशों का मानना है कि ज्यादातर मामले ऐसी जगहों से आ रहे हैं जहां टीकाकरण नहीं हुआ है।
ब्रेकथ्रू इंफेक्शन : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक नए अध्ययन में यह पता चला है कि कोविड-19 रोधी टीकाकरण करवाने के बावजूद संक्रमण की चपेट में आने वाले अधिकांश मामलों में संक्रमण की वजह कोरोनावायरस का डेल्टा स्वरूप है। 86.09 फीसदी में संक्रमण की वजह कोरोनावायरस का डेल्टा स्वरूप था और इनमें से महज 9.8 फीसदी मामलों में अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी। टीकाकरण के बाद संक्रमण होने को ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन कहा जाता है।
हालांकि ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन में व्यक्ति का टीकाकरण हो चुका होता है इसलिए उसे अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत कम पड़ रही है और संक्रमण से मौत के मामले भी कम आ रहे हैं।
फाइजर ने की तीसरी खुराक की बात : जुलाई की शुरुआत में ही वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर ने कहा था कि वो अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों से अपने टीके की तीसरी खुराक देने की अनुमति मांगेंगे। कंपनी के अनुसार, इससे लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए ज्यादा इम्यूनिटी बनेगी। कंपनी की तरफ से ये भी कहा गया कि वैक्सीन की दो डोज से लोगों को कम से कम 6 महीने तक कोरोना संक्रमण से सुरक्षा मिलेगी।
क्या बोला WHO : इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि विकसित देशों को वैक्सीन का बूस्टर डोज देने की बजाय ऐसे देशों को वैक्सीन देना चाहिए जहां वैक्सीन की कमी है।