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क्‍या आपको पता है, ओमिक्रॉन शरीर के किस हिस्से को करेगा टारगेट?

क्‍या आपको पता है, ओमिक्रॉन शरीर के किस हिस्से को करेगा टारगेट?
, गुरुवार, 30 दिसंबर 2021 (15:30 IST)
कोरोना ने दूसरी लहर में फेफड़ों पर असर किया था। क्‍या आपको पता है कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन शरीर के किस हिस्से को टारगेट करता है।

नया वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। ओमिक्रॉन को लेकर कई तरह की रिपोर्ट सामने आ रही है, जिनमें कहा जा रहा है कि ये नया वेरिएंट भले ही ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन यह बहुत तेजी से फैलता है। मगर कई डॉक्टर्स का मानना है कि इस पर अभी कुछ भी साफ कहना ठीक नहीं होगा।

डेल्टा वेरिएंट लोगों के फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर किया था और इस वजह से काफी मौतें हो गई थीं। अब सवाल है कि जो ये नया वेरिएंट है, वो शरीर के किस हिस्से को टारगेट करता है।

इस मामले में विशेषज्ञ डॉक्‍टरों का कहना है कि अभी तक यह देखने में आ रहा है कि ओमिक्रॉन अधिकतर केस में बहुत माइल्ड है। हालांकि यह लंग्स में पैचेज दे रहा है, लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं हो रहा है। इसके लिए अभी इंतजार करना होगा कि अगर भारी संख्या में केस आते हैं तो क्या सभी माइल्ड नेचर के ही होंगे। डेल्टा में भी शुरुआत में इतनी गंभीरता नजर नहीं आई थी, बाद में जब केस की संख्या बढ़ी तब सीरियस नेचर के केस ज्यादा उभरकर आए।

यह भी कहा जा रहा है कि ये वेरिएंट हर आयु वर्ग को प्रभावित कर रहा है, यहां तक कि साउथ अफ्रीका में बच्चों में भी इसके केस देखे गए हैं, लेकिन इनिशियल डेटा ये कहता है कि सीरियस डिजीज और डेथ जितनी भी अब तक हुई हैं, वो केवल अनवैक्सीनेटेड लोगों में देखी गई हैं। अगर आप वैक्सीनेटेड हैं तो शायद आप को यह वेरिएंट इफ्केट तो कर सकता है, लेकिन जो बीमारी होगी वो माइल्ड होगी, आप शायद आईसीयू तक नहीं जाएंगे और मौत की संभावना ना के बराबर होगी। इसलिए वैक्सीन आज भी हमारा सबसे सशक्त हथियार है।

इस बार ऑक्सीजन का क्‍या रोल होगा इस बारे में डॉक्टर के मुताबिक ये अभी बहुत कम केस में हुआ है, शुरू के दो हफ्तों में तो कहा जा रहा ता कि ये बिल्कुल जीरो के बराबर है, डेथ बी रिपोर्टेड नहीं थीं, फिर इंग्लैंड से पहली डेथ रिपोर्ट हुई थी, अब और भी जगहों से डेथ की खबर आ रही हैं।

जितने भी केस रिपोर्ट हुए हैं, उनमें बहुत ही कम संख्या में ऑक्सीजन लेवल कम होना या डेथ होना रिपोर्टेड है। ज्यादातर केस माइल्ड हैं, जिन्हें घर पर ही मैनेज किया जा रहा है, हॉस्पिटल एडमिट भी हो रहे हैं तो केवल एक दो दिन के लिए जाकर लोग घर आ रहे हैं।

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